इस गुरु के जज्बे से गांव की बदल गई शैक्षणिक दुनिया
प्रमोद चौधरी, जामताड़ा : जामताड़ा के कुंडहित प्रखंड से नौ किमी दूर एक पंचायत है खाजूरी। ग
प्रमोद चौधरी, जामताड़ा : जामताड़ा के कुंडहित प्रखंड से नौ किमी दूर एक पंचायत है खाजूरी। ग्रामीण परिवेश की वजह से इसकी कोई खास पहचान नहीं थी। सरकारी शिक्षा व्यवस्था के नाम पर वहां खाजूरी आदर्श मध्य विद्यालय था, जिसकी स्थिति असुविधाओं से घिरी जीर्ण-शीर्ण थी, पर एक गुरु का जज्बा व समर्पण कुछ इस तरह पूरे पंचायत के लिए फलदायी बना कि आज जामताड़ा से लेकर सीमावर्ती राज्य पं. बंगाल के वीरभूम तक इसकी अलग नई पहचान बन चुकी है। सुखेन मान्ना नामक गुरु के गुरुत्व के बूते इस सरकारी स्कूल के साथ पूरे पंचायत की शैक्षणिक दुनिया ही बदल गई।
कुंडहित प्रखंड के गायपाथर निवासी मान्ना अपनी मेहनत व खुद की जेब काटकर इस स्कूल को इस तरह से संसाधनों से लैस किया कि किसी बड़े निजी स्कूल की चमक-दमक भी इस स्कूल के सामने फिकी पड़ रही है। इस कायाकल्प के लिए जिला से राज्य तक के शासन-प्रशासन ने मान्ना की मेहनत को न सिर्फ दाद दी, बल्कि राज्य स्तर पर उन्हें सम्मान की सौगात भी मिली।
-आठ साल की मेहनत रंग लाई : कुंडहित प्रखंड के गायपाथर निवासी सुखेन मान्ना की नियुक्ति बिहार लोकसेवा आयोग से वर्ष 2000 में हुई थी। 2001 में आदर्श मध्य विद्यालय कुंडहित में उनकी नियुक्ति होने के बाद वर्ष 2004 में उनका स्थानांतरण आदर्श मध्य विद्यालय खाजुरी में हुआ। इसी समय से उन्होंने स्कूल की दशा-दिशा बदलने की पहल शुरू की। पर चार साल के दरम्यान उनका तबादला से वास्ता पड़ता रहा। अंत में वर्ष 2009 से मान्ना का प्रतिनियोजन फिर इसी विद्यालय में कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने इस विद्यालय के विकास को एक मिशन के रूप में लिया और सुविधाओं की राह में उसे संवारते रहे। आठ साल के दौरान उनकी मेहनत का रंग प्रखंड से जिला व राज्य मुख्यालय तक चढ़ने लगा।
---अभिनव प्रयोग देखने शांति निकेतन के शोधार्थी भी पहुंचे : बिना कोई सरकारी सुविधा प्राप्त किए परिवेशहीन व अनुशासनरहित इस विद्यालय को मिशन के रूप में लेकर उन्होंने कायाकल्प किया। विद्यालय परिसर में एक आकर्षक बगीचा, सुसज्जित पुस्तकालय, शिक्षक की परिचर्चा के लिए कमरा, र¨नग वाटर, फर्नीचर आदि से लैसकर इसे हर दृष्टिकोण से निजी स्कूल के समरूप बना दिया। स्कूल का रंगरोगन भी आज देखते ही बनता है। पहले स्कूल के नाम पर बेरंग दो तल्ला भवन था, पर उन्होंने अपने कार्यकाल में फोर एसी की तर्ज पर दो भवन सरकारी सहयोग से बनवाए।
---विवेकानंद ज्ञानशाला से युवाओं की मिली राह : खाजुरी समेत आसपास के भटके युवाओं को प्रगति की राह दिखाने के लिए स्कूल में पुस्तकालय बनाया। इसका नामकरण विवेकानंद ज्ञानशाला रखा गया। इसके बाद उन्होंने कोलकाता के उद्बोधन कार्यालय से विवेकानंद से संबंधित बहुत सारी किताबें खरीदकर लाई। रविंद्रनाथ टैगोर की कई उपन्यास व बंगाली साहित्य से संबंधित ढेरों पुस्तकें संग्रहित की गई। इसके पीछे गांव के शिक्षित युवाओं की मानसिकता में आमूल-चूल परिवर्तन लाना उनका उद्देश्य था। नई पीढ़ी को इससे एक नई दिशा भी मिली। इसमें खाजुरी के ही शिक्षाविद व सेवानिवृत्त हाईस्कूल के अंग्रेजी शिक्षक बिमान चन्द्र ¨सह का सहयोग भी मान्ना को खूब मिला।
---ये मिला सम्मान : शिक्षा के प्रति उल्लेखनीय समर्पण को देखकर ही शिक्षा विभाग के तत्कालीन सचिव आराधना पटनायक ने उन्हें 2017 में रांची में आयोजित शिक्षक समागम में पुरस्कार के साथ प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया। इसके पूर्व जामताड़ा के पूर्व डीएसइ अभय शंकर राज्य मुख्यालय की टीम के साथ पहुंचे थे।
-------
वर्जन : नौकरी से हटकर सुविधाहीन इस इलाके के लिए कुछ अलग करने की तमन्ना थी। इस आदर्श स्कूल के पहले जब महज वर्ष भर के लिए ¨सहवाहिनी उच्च विद्यालय में था, तो स्कूल अवधि के पूर्व परिसर में ही खुले श्यामपट्ट लगाकर निश्शुल्क को¨चग करवाता था। इसी का परिणाम रहा कि बैंक, अभियंत्रण, चिकित्सा व स्टाफ सलेक्शन ग्रेड आदि क्षेत्रों में छात्र अभिषेक प्रतिदर्शी, शुभेंदु मंडल, गोपीनाथ मंडल, सुखेन मंडल, सुरोजित ¨सह, शुभोजित ¨सह, सुप्रियो फौजदार आदि अपना करियर संवार रहे हैं। विद्यालय के विकास में खुद के नौ-दस लाख रुपए खर्च किए। फिलहाल उच्च विद्यालय नगरी में शिक्षक हूं। --सुखेन मान्ना, शिक्षक -----उत्क्रमित मध्य विद्यालय खजूरी को आदर्श विद्यालय बनाने में इस शिक्षक का अथक प्रयास रहा है। उन्होंने अपने कार्य अवधि में छात्र-छात्राओं व अभिभावक के सहयोग समेत निजी खर्च से विद्यालय को हर स्तर पर जिला के लिए सिरमौर बनाया। इनसे अन्य विद्यालयों के शिक्षकों को भी प्रेरणा लेना चाहिए। ऐसे कर्तव्यनिष्ठ शिक्षकों से सबका मान बढ़ता है।
--बांके बिहारी ¨सह, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जामताड़ा