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कर्मकारों की पुश्तैनी करोबार बंदी के कगार पर

कुंडहित (जामताड़ा) दो महीने लॉकडाउन के दौरान कुंडहित प्रखंड के अम्बा गावं के कर्मक

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Jun 2020 08:16 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 06:21 AM (IST)
कर्मकारों की पुश्तैनी करोबार बंदी के कगार पर
कर्मकारों की पुश्तैनी करोबार बंदी के कगार पर

कुंडहित (जामताड़ा) : दो महीने लॉकडाउन के दौरान कुंडहित प्रखंड के अम्बा गावं के कर्मकारों का पुश्तैनी करोबार बंद होने से उनके समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। परिवार के पास जीविका के लिए हथौड़ा ही एक मात्र साधन है। दो महीने के लॉकडाउन से दर्जनों परिवार के समक्ष विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है। यहां दर्जनों कर्मकार परिवार हथौड़ी से पीट-पीट कर तांबा, कांसा जैसे धातुओं से विभिन्न प्रकार के बर्तनों का निर्माण कर परिवार का भरण पोषण करते हैं। लेकिन कर्मकार परिवारों के पास आर्थिक संकट होने के कारण उनका कुटीर उद्योग बंद होने के कगार पर हैं। तपती आग के सामने दिन गुजारनेवाले कर्मकारों के लिए दो जून की रोटी का जुगाड़ करना मुश्किल है। उल्लेखनीय है कि कुंडहित प्रखंड के अम्बा गांव में कर्मकार जाति के लगभग दर्जन भर परिवार रहते हैं। अपनी आजीविका के लिए ये परिवार आज भी वर्तन बनाने के पारम्परिक धंधे पर आश्रित हैं। कर्मकार परिवारों ने पूरे दिन तपती आग के सामने हथौड़ी से पीट-पीट कर तांबा, कांसा जैसे धातुओं से विभिन्न बर्तनों का निर्माण कर बेचते हैं। आज के तकनीकी युग में हाथ से बने बर्तनों का बाजार पीछे छूटते जा रहे हैं। जिससे इन कर्मकारों की आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है। यहां पर निर्मित बर्तन दुमका के बाजारों में ले जाकर बेचा जाता है। बर्तन बनाकर बेचने के बाद थोड़ी बहुत आय के सहारे अपने तथा अपने परिजनों का जीवनयापन कर रहे हैं।

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-- सरकारी स्तर पर नहीं मिल रही सहायता : पारम्परिक धंधे के सहारे आजीविका चला रहे कर्मकारों की आर्थिक उन्नति के लिए सरकार के स्तर से किसी प्रकार का प्रयास नहीं किया जा रहा है। अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए ऋण लेना भी इनके लिए पहाड़ पर चढ़ने जैसा कठिन है। कर्मकारों को बीपीएल नम्बर नहीं मिला है जिस वजह से इन्हें सरकारी की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जबकि प्रधानमंत्री ने ग्रामीण स्तर पर कुटीर उद्योग को बढ़वा देने के लिए लोकल को वोकल का लाभ देने पर कर्मकारों को उम्मीद जगी है।

क्या कहते हैं कर्मकार : अंबा निवासी वाचस्पति दे, पंचानन दे, संतोष दे, गोपीनाथ दे, रविलाल कविराज, मुचिराम कर्मकार, निमाई दे आदि का कहना है कि सरकार धंधे को बढ़ाने के लिए कोई सहायता नहीं दे रही है। बीपीएल नहीं रहने के कारण ऋण भी नहीं मिल रहा है। पूंजी के अभाव में अपेक्षित लाभ नहीं मिल रहा है। सरकार ने कृषि लोन तो दिया लेकिन समुचित आय नहीं होने के कारण उसे वापस तक करने में समर्थ नहीं हो रहे हैं। लोगों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रामीण स्तर पर कुटीर उद्योग को बढ़वा देने का आश्वासन दिया है। अब देखना यह है कि कब तक लाभ मिलता है।

-- क्या कहते हैं अधिकारी : बीडीओ गिरिवर मिज ने बताया कि ग्रामीणस्तर पर कुटीर एवं शिल्प उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से पहल शुरू कर दी गई है। सरकार के निर्देश आते ही अम्बा के कर्मकार बर्तन बनानेवालों को लाभ दिया जाएगा।


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