चार दिनों बाद जामताड़ा में दिखा सूरज
लगातार बारिश के बाद सोमवार को मौसम साफ होने लगा। धूप निकलने से लोगों को राहत मिली है। चार दिनों से लगातार वर्षा की वजह से लोगों का जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया था। दो दिनों के अंदर बारिश में कई घर गिरे।
जासं, जामताड़ा, /फतेहपुर जामताड़ा : लगातार बारिश के बाद सोमवार को मौसम साफ होने लगा। धूप निकलने से लोगों को राहत मिली है। चार दिनों से लगातार वर्षा की वजह से लोगों का जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया था। दो दिनों के अंदर बारिश में कई घर गिरे। शहर से गांव तक लोगों को जलजमाव से भी वास्ता पड़ा। रविवार रात भारी बारिश से पुराना कोर्ट परिसर स्थित अनुमंडल कार्यालय का क्षतिग्रस्त भवन गिर गया। गनीमत हुई कि यह घटना दिन में नहीं हुई। सोमवार को उपायुक्त गणेश कुमार गिरने भवन का निरीक्षण भी किया। अनुमंडल परिसर में कई भवनों को पूर्व में ही जर्जर घोषित किया जा चुका है।
इधर सोमवार दोपहर को मौसम साफ हुआ पर अभी भी बादल आसमान में मंडरा रहे हैं। बारिश थमने से लोगों ने अपना काम निपटाए। बाजार भी पूजा की खरीददारी की रौनक लौटी। अब ज्यादा बारिश होती तो धान की फसल का भी नुकसान होता।
फतेहपुर पंचायत के नीमडंगाल के रहने वाले लुखीराम मरांडी का घर रविवार रात को गिर गया। फतेहपुर गोस्वामी टोला का सुंदर गोस्वामी का भी घर इस बारिश में गिर गया है।
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मैथन डैम से पानी छोड़ने से राहत
मिहिजाम (जामताड़ा) : चार दिनों से हो रही लगातार बारिश से बड़ाकर नदी का जल स्तर बढ़ गया। हालांकि अभी तक नदी का जलस्तर गांवों तक नहीं पहुंचा है। बराकर नदी का जल स्तर बढ़ते ही मैथन डैम का पानी को बंगाल की ओर छोड़ दिया गया है। इससे कारण ग्रामीण राहत की सांस ले रहे हैं। लधना गांव के निवासी रोबिन मिर्धा ने बताया कि अभी नदी का पानी उफान पर नहीं है। परंतु पानी का स्तर से पता चलता है कि आने वाले दिनों में हमारे मकानों में तो नहीं पर खेतों में पानी पहुंच कर फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है। केलाही के ग्रामीण श्यामल मंडल ने बताया कि अभी तक के बारिश में घरों तक पानी नहीं पहुंचा है परंतु बराकर नदी का पानी को रोका गया तो नदी से सटे लगभग सभी गांव पानी की चपेट में आ सकता है। ग्रामीण विवेक मंडल, ननकु हेम्ब्रम, सुखदेव मुर्मू, हरेन गोराई, सवालाल मंडल, बालक सोरेन ने कहा कि प्रत्येक वर्ष बराकर नदी से सटे लगभग सभी गांवों पर पानी का ख्तरा बढ़ जाता है। इस बार प्रशासन की सूझबूझ से पानी डैम के गेट से बंगाल की ओर छोड़ दिया गया।