भागवत कथा में रुक्मिणी विवाह का उत्सव मना
बिदापाथर (जामताड़ा) फतेहपुर प्रखंड के बड़वा गांव स्थित राधा-गिरिधारी मंदिर परिसर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा में कथा वाचक वृंदावन धाम के शौनेंद्र कृष्ण शास्त्री वत्सल महाराज ने भगवान के उद्धव व गोपी प्रसंग श्रीकृष्ण व रुक्मिणी का वर्णन किया।
बिदापाथर (जामताड़ा) : फतेहपुर प्रखंड के बड़वा गांव स्थित राधा-गिरिधारी मंदिर परिसर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा में कथा वाचक वृंदावन धाम के शौनेंद्र कृष्ण शास्त्री वत्सल महाराज ने भगवान के उद्धव व गोपी प्रसंग, श्रीकृष्ण व रुक्मिणी का वर्णन किया। कथावाचक ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा मानव मात्र को ही मृत्यु के भय से मुक्त कर देती है। राजा परीक्षित ने मोक्ष प्राप्ति के लिए सात दिनों तक भागवत कथा का श्रवण किया था। भगवान पर जिनकी विशेष कृपा होती है। वहीं भगवान के कथा स्थल पर भागवत कथा सुनने के लिए पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि कण-कण में बसते हैं भगवान।
कहा कि हमें परोपकार की भावना रखनी चाहिए व एक-दूसरे से प्रेम भाव। भागवत जीवन दर्शन का ग्रंथ है। भागवत कथा में भगवान के विभिन्न रूपों का वर्णन मिलता है। कहा कि बच्चे गिली मिट्टी की तरह होते हैं, जिस प्रकार गिली मिट्टी को विभिन्न प्रकार के रूप में दिया जा सकता है, मिट्टी सूख जाने पर संभव नहीं, उसी प्रकार हमें अपने बच्चे को संस्कारवान बनाना चाहिए। संस्कार अपने परिवार से ही मिल सकता है। कथावाचक ने रुक्मिणी विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने सभी राजाओं को पराजित कर विदर्भ राजकुमारी रुक्मिणी को द्वारका में लाकर उनका विधिपूर्वक पाणिग्रहण किया। भागवत कथा आयोजक मंडली की ओर से मनमोहक झांकी प्रस्तुत कर बड़ी ही धूमधाम के साथ रुक्मिणी विवाह का उत्सव मनाया गया। भागवत कथा को लेकर कथा स्थल पर बड़वा सहित मंझलाडीह, बाघमारा, डांढ़, सिमलडूबी, जलाई, नामुजलाई, पिपला, पाटनपुर, चड़कमारा, मोहनबांक, बाबूडीह, लकड़ा कुंदा, मोहजुड़ी, हदलबांक आदि गांव के लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।