छठ महापर्व में मिट्टी के बर्तनों का विशेष महत्व
छठ पर्व में मिट्टी के बर्तनों का विशेष महत्व है।
मिहिजाम (जामताड़ा) : गुरुवार को नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व आरंभ हो गया। छठ महापर्व में भगवान भास्कर को भोग लगाने के लिए मिट्टी या पीतल के बर्तनों का उपयोग शुद्ध माना जाता है। मान्यता के अनुसार मिट्टी के बर्तन में भगवान का भोग बनने से भगवान प्रसन्न होते हैं जिसके कारण मिट्टी से बने बर्तन की मांग बढ़ जाती है। इसके अलावा मिट्टी की बनी पूजन सामग्री का उपयोग किया जाता है। मिट्टी के बर्तन बेचने वाले कुम्हार नागेश्वर पंडित ने बताया कि प्रत्येक वर्ष छठ महापर्व को मिट्टी का बर्तन बेचने का कार्य करते हैं। पर्व में मिट्टी के हाथी 201 रुपये, खीर हंडी 80 रुपये, खीर हंडी छोटा 60 रुपये, ढकनी 20 से 5 रुपये तक, दीपक प्रति एक रुपया, कोशी 101 रुपये, चार मुखी दीपक पांच रुपये सहित कच्ची मिट्टी का ढकना की बिक्री हो रही है। बताया कि महंगाई बढ़ने के कारण मिट्टी भी महंगी हुई है। जो भक्त मन्नत मांगते है और जिनकी मन्नतें पूरी होती है। वैसे व्रती हाथी में कोशी भरने का कार्य करती है। बताया कि इस वर्ष मंहगाई व बारिश के कारण मिट्टी के दाम बढ़े हैं।