नारायण अवतार ने किया पापियों का संहार
प्रखंड क्षेत्र के देवलबाड़ी में आयोजित बांग्ला कीर्तन का मंगलवार रात्रि में समापन हुआ। कीर्तन मंडली के पीहू आचार्य की टीम ने बांग्ला भजन-कीर्तन के माध्यम से भगवान नारायण के लीला का गुणगान किया।
नारायणपुर (जामताड़ा) : प्रखंड क्षेत्र के देवलबाड़ी में आयोजित बांग्ला कीर्तन का मंगलवार रात्रि में समापन हुआ। कीर्तन मंडली के पीहू आचार्य की टीम ने बांग्ला भजन-कीर्तन के माध्यम से भगवान नारायण के लीला का गुणगान किया। उन्होंने कहा कि जब अयोध्या नरेश महाराज दशरथ के शब्दभेदी वाण से श्रवण कुमार की मौत हुई तो उन्हें श्रवण कुमार के माता-पिता ने श्राप दिया था। श्राप में कहा कि महाराज दशरथ की भी मृत्यु पुत्र वियोग में होगी। श्राप से महाराज दशरथ खुश भी थे और निराश भी थे। महाराज दशरथ की तीन नारियां थीं परंतु उन्हें संतान की प्राप्ति नहीं हुई थी। संतान होने की खुशी थी परंतु पुत्र वियोग में मरने के श्राप से वे दुखी भी हुए। नियती के आगे किसी की नहीं चलती है। पुत्र प्राप्ति के लिए अयोध्या में यज्ञ हुआ और महाराज दशरथ को रानी कौशल्या से राम, कैकई से भरत और रानी सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुध्न हुए। उन्होंने कहा कि जब-जब धरा पर पापियों का साम्राज्य स्थापित हुआ है तब-तब भगवान नारायण ने अवतार लेकर पापियों का संहार किया है। दुराचारी रावण का अंत करने के लिए भगवान ने अवतार लिया था। आयोजन को सफल बनाने में उत्तम मंडल, मोहित मंडल, श्रीनिवास मंडल, परेश दास, नरेश दास, कृष्णा दास आदि की महती भूमिका रही।
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