आदिम जनजाति पेंशन के लाभ से वंचित
संवाद सहयोगी कुंडहित (जामताड़ा) सरकार आदिम जनजाति लोगो के उत्थान के लिये कई योजनाएं
संवाद सहयोगी, कुंडहित (जामताड़ा) : सरकार आदिम जनजाति लोगो के उत्थान के लिये कई योजनाएं चला रही है फिर भी देहात क्षेत्र के आदिम जनजाति लोगों को योजना से वंचित रहना पड़ रहा है। जाति प्रमाणपत्र के अभाव में इन्हें पेंशन योजना का लाभ भी नहीं मिल रहा। कुंडहित प्रखंड के सुद्राक्षीपुर पंचायत अन्तर्गत बांदरबेड़िया गांव में आदिम जनजाति कई समस्याओं से घिरी है। गांव में लोग आवास, पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली की सुविधा से वंचित है। गांव में कुल 22 परिवार आदिम जनजाति के हैं। अधिकांश लोगों झोपड़ी बनाकर जीवन गुजार रहे हैं। गांव का दो चापाकल महीने भर से पानी उगलना बंद कर दिया है। एक चापाकल से पूरे गांव की प्यास बुझती है। गांव में छह वर्ष उम्र तक के लगभग 25 बच्चे हैं पर उन्हें आंगनबाड़ी का लाभ नहीं मिल रहा ।
ग्रामीण प्रतिमा पहाड़िया, उर्मिला पहाड़िया, मालती, बसंती, पार्वती, युगती, राधारानी, सावित्री, सोनाली पहाड़िया आदि ने बताया गांव में अधिकांश परिवार के पास पक्का मकान नहीं होने के कारण गर्मी व वर्षा के मौसम में काफी कठिनाई होती है। झोपड़ी में जीवन गुजर रहा है। बताया की सरकार आदिम जनजाति पेंशन योजना के तहत प्रति परिवार के एक वयस्क महिला को प्रतिमाह 1000 रुपया पेंशन देने की बात करती है पर इसके लिए जाति प्रमाण पत्र अनिवार्य कर दिया गया है। जाति प्रमाण पत्र के लिए जमीन का कागजात जरूरी है। अधिकांश परिवार भूमिहीन होने के कारण जाति प्रमाण पत्र प्रखंड कार्यालय से निर्गत नही हो पा रहा है। इस वजह से मुख्यमंत्री राज्य आदिम जनजाति पेंशन योजना के लाभ नहीं मिल रहा।
----क्या कहते हैं अधिकारी : बीडीओ सह सीओ गिरिवर मिज ने बताया सरकार के निर्देश के आलोक में आदिम जनजाति परिवार के लोगों को पेंशन का लाभ देने के लिए जाति प्रमाण पत्र अनिवार्य कर दिया गया है। बगैर जाति प्रमाण पत्र के पेंशन का लाभ नहीं दिया जा सकता।