jamtara news साइबर अपराध पर लगाम को स्पेशल टास्क फोर्स की मांग करेगी पुलिस
लगातार घटित हो रहे साइबर अपराध के रोकथाम के लिए जामताड़ा पुलिस टास्क फोर्स गठित करना चाहती है। इस काम में जुटे अधिकारियों का मानना है कि जिले में साइबर अपराध को रोकने को पर्याप्त बल नहीं है। जिसका फायदा साइबर अपराधी उठाते हैं ऐसे में टास्क फोर्स बेहतर होगा।
जागरण संवाददाता, जामताड़ा : साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए जामताड़ा साइबर थाने की पुलिस स्पेशल टास्क फोर्स का गठन चाहती है। पिछले दिनों छापेमारी के दौरान पुलिस टीम पर हुए हमले के मद्देनजर विभागीय स्तर इसकी मांग रखी जा रही है। टीम में महिला पुलिस के लिए भी पत्राचार किया जाएगा ताकि कार्रवाई के दौरान विरोध और पत्थरबाजी में शामिल महिलाओं और बच्चों को नियंत्रित किया जा सके।
सूत्रों के अनुसार जामताड़ा की साइबर पुलिस के पास ऐसे मामलों से निपटने के लिए उपयुक्त बल नहीं है। आठ से 10 कर्मियों पर ही छापेमारी, केस स्टडी और कागजी प्रक्रिया को पूरा करने की जिम्मेदारी होती है। दूसरे राज्यों से आने वाले मामलों के निपटारे और उन केसों में छापेमारी के दौरान यहां की टीम को सहयोग करना पड़ता है। कई बार दो से तीन राज्यों की पुलिस टीम जामताड़ा साइबर थाना पहुंचती है। तब कार्य का बोझ अिधक बढ़ जाता है। छापेमारी के दौरान कई बार आरोपितों के स्वजनों और ग्रामीणों के विरोध का भी सामना करना पड़ता है। पिछले दिनों बांकुडीह में पुलिस टीम पर ग्रामीणों ने हमला कर दिया था। इससे पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसे में आरोपित कम पुलिस बल के कारण भीड़ का फायदा उठाकर भागने में कामयाब हो जाते हैं। अभी तक साइबर ठगों को पकड़ने की जिम्मेदारी इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी ही संभालते हैं। साइबर थाने की पुलिस के पास आधा दर्जन के करीब ही इंस्पेक्टर हैं। हालांकि कम फोर्स के बावजूद पुलिस ने पिछले दो महीने के दौरान 50 से भी ज्यादा आरोपितों को गिरफ्तार किया है।
क्या होगा फायदा: साइबर थाने के पास जिले से जुड़े मामलों के अलावा देशभर के दर्जनों पुराने मामले हैं। यदि यहां 15 से 20 लोगों की स्पेशल टीम बनाई जाती है तो इस टीम के जिम्मे सिर्फ अपराधियों की धरपकड़ की जिम्मेदारी रह जाएगी। तब पुराने मामलों के निष्पादन में आसानी होगी।
साइबर डीएसपी जामताड़ा मजरूल होदा ने कहा कि वर्तमान में साइबर पुलिस के पास के पास जामताड़ा से जुड़े केसों के साथ दूसरे राज्यों से आने वाले मामलों के निपटारे की भी जिम्मेदारी है। कागजी प्रक्रिया पूरी करने के साथ छापेमारी तक की जिम्मेदारी सबकुछ इसी टीम को करना पड़ता है। स्पेशल टास्क फोर्स के पास सिर्फ छापेमारी की जिम्मेवारी होगी। टीम में इंस्पेक्टर रैंक की महिला अधिकारी के होने से ठगों पर कार्रवाई में सहूलियत होगी। ऐसे कई मामले सामने आते हैं जब छापेमारी के दौरान महिलाओं का विरोध देखते हुए पुलिस के सामना बाधा सामने आती है। स्पेशल टास्क फोर्स के जरिए ही रोकथाम लगाई जा सकती है।