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जामताड़ा में बंद का आंशिक असर

सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल बेअसर रहा। जिले में एसबीआइ व निजी बैंकों की शाखाएं खुली रहीं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Jan 2020 11:03 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jan 2020 11:03 PM (IST)
जामताड़ा में बंद का आंशिक असर
जामताड़ा में बंद का आंशिक असर

संवाद सहयोगी,जामताड़ा : सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल बेअसर रहा। जिले में एसबीआइ व निजी बैंकों की शाखाएं खुली रहीं। अन्य सभी श्रेणी की बैंक शाखाएं बुधवार को बंद रहीं। लोगों को अपना काम निपटाने को एसबीआइ व निजी बैंक शाखा के साथ एटीएम शाखाओं पर आश्रित रहना पड़ा। एसबीआई व निजी बैंक की दर्जनों शाखा जिले के विभिन्न क्षेत्र में अन्य दिन की तरह खुली रहने से बुधवार को ग्राहकों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। बाजार, यातायात, शिक्षण संस्थान समेत सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों में हड़ताल पूरी तरह बेअसर रहा।

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दस केंद्रीय ट्रेड यूनियन ने केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों के विरोध में आठ जनवरी को भारत बंद का ऐलान किया था। इसके तहत बैंक कर्मी हड़ताल पर रहे। हड़ताल का असर यातायात पर भी नहीं दिखा। बाजार भी खुले रहे। जिले में आइसीआईसीआई बैंक, इलाहाबाद बैंक, यूनियन बैंक,बैंक ऑफ इंडिया आदि बैंक की शाखा बुधवार को हड़ताल के कारण बंद रही। ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन, बैंक एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया, इंडियन नेशनल बैंक एम्पलाइज फेडरेशन और इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस के संयुक्त तत्वावधान में बैंक कर्मी हड़ताल पर थे।

कुडहित (जामताड़ा) : बुधवार को भारत बंद के दौरान कुंडहित प्रखंड में हड़ताल बेअसर रही। प्रखंड क्षेत्र में किसी तरह का प्रभाव नहीं देखा गया। अन्य दिनों की तरह सड़कों पर वाहनों का आवाजाही होती रही। सरकार व गैर सरकारी विद्यालय खुले रहे। भारतीय स्टैट बैंक, वनांचल बैंक, झारखंड कोऑपरेटिव बैंक रोज की तरह खुला था। बैंक ऑफ इंडिया पूर्ण बंद रहा। ग्राहकों को बेरंग लौटना पड़ा।

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यूनियन की प्रमुख मांगें

बैंकिग सुधार, बैंकों के अवांछित विलय का विरोध, कारपोरेट घरानों पास बकाया, जानबूझकर न चुकायी जा रही ऋण राशि की वसूली के लिए कठोरतम कार्रवाई करने, 11 वां द्विपक्षीय समझौता , बैंकों में सभी संवर्ग में पर्याप्त बहाली, नई पेंशन नीति को रद करने, पेंशन अपडेशन, न्यूनतम मजदूरी 21 हजार रुपये, समान काम के लिए समान वेतन व दैनिक मजदूरों की सेवा नियमित करने की मांग को लेकर आंदोलन किया गया था।

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