बुटबेरिया में एनपीआर बहिष्कार जागरूकता अभियान चलाया
मुरलीपहाड़ी (जामताड़ा) नारायणपुर प्रखंड की बुटबेरिया पंचायत में संविधान बचाओ आंदोलन के तहत एनपीआर बहिष्कार जागरूकता अभियान चलाया गया जिसमें पंचायत के अगल-बगल के गांव से ग्रामीण जमा हुए और एनपीआर बहिष्कार के नारे लगाए।
मुरलीपहाड़ी (जामताड़ा) : नारायणपुर प्रखंड की बुटबेरिया पंचायत में संविधान बचाओ आंदोलन के तहत एनपीआर बहिष्कार जागरूकता अभियान चलाया गया जिसमें पंचायत के अगल-बगल के गांव से ग्रामीण जमा हुए और एनपीआर बहिष्कार के नारे लगाए। लोगों ने आरोप लगाया कि कहा कि भारत सरकार देश की जनता को मुख्यधारा से भटका रही है। जब से वर्तमान सरकारें आई हैं, देश घाटे में ही चल रहा है। युवा बेरोजगार हो रहे हैं और किसानों की आत्महत्या बढ़ रही है। वर्तमान सरकार हिदू-मुस्लिम को आपस में लड़ा रही है। कभी सीएए तो कभी एनआरसी और कभी एनपीआर जैसे विवादास्पद मुद्दे को उछाल-उछाल कर समाज को तोड़ने का प्रयास कर रही है।
मौके पर संविधान बचाओ आंदोलन के संयोजक गाजी रहमतुल्लाह रहमत ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार भारत की जनता को बेवकूफ बनाने का काम कर रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में दिए अपने भाषण में कहा है कि एनपीआर एनआरसी की पहली कवायद है और प्रचार यह किया जा रहा है कि एनपीआर के लिए किसी भी तरह के कागजात नहीं दिखाने पड़ेंगे। जनता अपने स्तर से जो भी जानकारी देगी उसे ही मान्य समझा जाएगा। यह सिर्फ और सिर्फ एक धोखा है। एनपीआर में माता और पिता के जन्म स्थान और जन्म तिथि से संबंधित एक कॉलम है जिसे भर देने के बाद एनआरसी की प्रक्रिया पूरी हो जाती है और अलग से एनआरसी के लिए किसी किस्म की दूसरी जानकारी की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों को धोखे में रख रही है। एनपीआर में मांगी गई जानकारी को ही एनआरसी में इस्तेमाल किया जाएगा क्योंकि अमित शाह ने कह दिया है कि एनपीआर एनआरसी की पहली कवायद है। इसलिए हम एनपीआर का पूर्ण रूप से बहिष्कार करते हैं। कहा कि मार्च महीने में एनपीआर के विरुद्ध संविधान बचाओ आंदोलन की तरफ से भारत बंद का आह्वान किया गया है और इसे सफल बनाना है। इसका खास ख्याल रखा जाएगा कि एनपीआर के लिए आनेवाले किसी भी कर्मचारी के साथ दुर्व्यवहार न हो।
उन्होंने कहा कि जहां तक जनगणना की बात है तो उसमें तमाम ग्रामीणों को बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना है और किसी का भी घर इससे वंचित नहीं रहना चाहिए। इस अवसर पर मौलाना कमरुद्दीन सलफी, मौलाना जुल्फिकार फैजी, मोहम्मद आजम अंसारी, मोहम्मद कौसर, मोहम्मद हनीफ, राजू अंसारी, असलम अंसारी, मकसूद अंसारी व अन्य कई बुद्धिजीवी उपस्थित थे।