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लाखों की लागत से बनी जलमीनार, फिर भी नहीं बुझी प्यास

नारायणपुर प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर में दस वर्ष पहले बनी जलमीनार लोगों के लिए अनुपयोगी साबित हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 05:23 PM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 05:23 PM (IST)
लाखों की लागत से बनी जलमीनार, फिर भी नहीं बुझी प्यास
लाखों की लागत से बनी जलमीनार, फिर भी नहीं बुझी प्यास

नारायणपुर (जामताड़ा) : नारायणपुर प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर में दस वर्ष पहले बनी जलमीनार लोगों के लिए अनुपयोगी साबित हो रहा है। लोगों की प्यास बुझाने के लिए जलमीनार का निर्माण किया गया था। उस समय नारायणपुर के लोगों में उम्मीद जगी थी कि पानी के लिए उन्हें दूर-दूर भटकना नहीं पड़ेगा। खासकर तपती गर्मी में तो राहत मिलेगी पर लोगों की यह उम्मीद अब तक पूरी नहीं हो पाई। जलमीनार का पानी लोगों की हलक तक पहुंचने से पूर्व ही खराब हो गई थी।

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वर्ष 2014 के चुनाव में भी बड़े-बड़े नेताओं ने जलमीनार चालू करवाने को बढ़-चढ़कर वादे किए पर मौजूदा चुनाव आने तक वह थोथी दलील ही साबित हुआ है। ऐसे में दुमका लोकसभा चुनाव में स्थानीय स्तर पर यह एक बड़ा मुद्दा होगा। मतदाता अभी से ही मन में बिठा चुके हैं कि इलाके में पहुंचने वाले नेताओं से इसका हिसाब-किताब लिया जाएगा। पाइप बिछाने के बाद से अटक गया काम : जलमीनार बनाने का उद्देश्य नारायणपुर के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाना था। वित्तीय वर्ष 2006-07 में पीएचईडी ने 88 लाख रुपये की लागत से 50 हजार गैलन क्षमता वाली जलमीनार का निर्माण करवाया था। रजिया नदी में लोहारंग के पास इसके लिए गैलरी भी बनी है। जलमीनार बनने के बाद कुछ सार्वजनिक स्थानों पर नल से पानी भी आने लगा था। परंतु इसी बीच गोविदपुर-साहिबगंज हाईवे का निर्माण शुरू होने के कारण जलापूर्ति के लिए बिछी पाइप उखाड़ ली गई। एक बार जो आपूर्ति बाधित हुई फिर इसे आरंभ करने की दिशा में किसी स्तर पर पहल नहीं हुई। जलापूर्ति योजना को शुरू करवाने के लिए पंचायत समिति एवं बीस सूत्री की बैठक में प्रस्ताव पारित कर जिला मुख्यालय भेजा गया। जनवरी 2017 को पीडब्ल्यूडी के अभियंता राजेश कुमार, पीएचईडी के एसडीओ मदन मोहन सिंह ने ब्लॉक परिसर में बनी इस जलमीनार, पंप हाउस आदि का निरीक्षण भी किया। सड़क की जमीन पर पाइप बिछाने को लेकर पीडब्ल्यूडी व पीएचईडी में सहमति नहीं बन पाई। बाद में सहमति बनी तो पिछले अप्रैल माह से पाइप बिछाने का कार्य आरंभ हुआ था। इसके बाद भी अब तक जलापूर्ति शुरू नहीं हो पाई।

मंत्री जलेश्वर ने किया था शिलान्यास : तत्कालीन पीएचईडी मंत्री जलेश्वर महतो ने जलमीनार निर्माण कार्य का ऑनलाइन शिलान्यास किया था। दो वर्ष में निर्माण कार्य पूर्ण कर जलापूर्ति का लाभ देने का लक्ष्य निर्धारित था। जलापूर्ति आरंभ होने से नारायणपुर के अलावा दलदला, पराठ, ठेकबहियार, बावनबीघा, कोल्हरिया, नतूनडीह के लोगों की प्यास बुझती।

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क्या कहते हैं ग्रामीण

'शुद्ध पेयजल नारायणपुर के लोगों को उपलब्ध करवाने का सपना कब साकार होगा। इसी उम्मीद पर साल दर साल गुजर रहा है। चुनाव में नेताजी से सवाल जरूर करेंगे कि इस पर पांच वर्षों तक ध्यान क्यों नहीं दिया गया।

संतोष मंडल

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'चुनावी वायदे शायद ही पूरे होते है। नारायणपुर में पेयजल की समस्या है। जलमीनार से जलापूर्ति होने से पूरे इलाके की प्यास बुझती। यह क्षेत्र का बड़ा चुनावी मुद्दा होगा।

निक्की रेखान

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'गर्मी में नारायणपुर में पेयजल की समस्या रहती है। लोग परेशान रहते हैं। पांच वर्ष तक किसी नेता ने इस पर ध्यान नहीं दिया। इस बार चुनाव में नेताओं से कहेंगे कि क्यों नहीं योजना पूरी की गई।

दिलीप मंडल

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'अब आश्वासन नहीं कार्य चाहिए। दस सालों तक हमलोगों को ठगा गया है। अन्यथा जलमीनार कब की चालू हो गई होती। इस बार गर्मी में लोग पानी के लिए तड़पेंगे तो इसका खामियाजा नेताओं को भी भुगतना होगा। यह चुनाव में बड़ा मुद्दा बनेगा।

नारायण पोद्दार


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