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सामूहिक नृत्य करते आदिवासियों ने किया मंदिरों का भ्रमण

संवाद सहयोगी कुंडहित (जामताड़ा) दुर्गा पूजा में बंगाली समाज के साथ आदिवासी समाज के लोग भ

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 07:09 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 05:06 AM (IST)
सामूहिक नृत्य करते आदिवासियों ने किया मंदिरों का भ्रमण
सामूहिक नृत्य करते आदिवासियों ने किया मंदिरों का भ्रमण

संवाद सहयोगी, कुंडहित (जामताड़ा) :

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दुर्गा पूजा में बंगाली समाज के साथ आदिवासी समाज के लोग भी आनंद लेने से पीछे नहीं रहे। आदिवासी समुदाय के लोग दुर्गा पूजा में विभिन्न मंदिरों में पारंपरिक परिधान धारण कर तथा हाथ में मोर पंख लेकर सामूहिक नृत्य करते मंदिरों का भ्रमण किया।

-- क्या है परम्परा: आदिवासी समाज में मान्यता के अनुसार दैत्याधिराज महिषासुर का पता ठिकाना आदिवासी लोगों ने ही माता को दिया था। इसी मान्यता के अनुसार महादशमी के तीन दिन पहले से आदिवासी समुदाय के लोग गांव से निकल कर जंगलों को जाते है और महिषासुर को खोजने की परंपरा का निवर्हन करते है जिसे दसांय पर्व के नाम से जानते हैं। इस दौरान समुदाय के लोग तंत्र-मंत्र की सिद्धि प्राप्ति के लिए विभिन्न पूजा अराधना करने की भी परंपरा है। महादशमी के दिन समुदाय के लोग सामूहिक नृत्य करते हुए गांव-गांव का परिभ्रमण करते है। धोबना के कारोबारी हांसदा, साइलेन मुर्मू आदि बताते है कि इस वर्ष अभी तक धान खेती काफी उम्दा हुई है, जिससे लोग काफी प्रसन्न है। खेती से प्रसन्न लोगों ने धूमधाम से दसांय पर्व मनाते हुए आदिशक्ति के प्रति कृतज्ञता प्रकट कर रहे है। लोगो ने बताया कि क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग धूमधाम के साथ दसांय पर्व मना रहे है।


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