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सीताकाटा में काटी थी नेताजी ने कई रातें

जामताड़ा जिला के करमाटांड़ इलाका महापुरुष व स्वतंत्रता सेनानियों के लिए काफी प्रसिद्ध रहा है। वर्तमान समय में भले ही  जामताड़ा जिले के करमाटांड़ साइबर अपराध के लिए बदनाम है  परंतु यहां के ऐतिहासिक व जर्जर भवन  आज भी महापुरुषों व स्वतंत्रता सेनानियों के लगाव-जुड़ाव की कहानी बताते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 07:00 AM (IST)
सीताकाटा में काटी थी नेताजी ने कई रातें
सीताकाटा में काटी थी नेताजी ने कई रातें

षिकेश कुमार, विद्यासागर (जामताड़ा): जामताड़ा जिला के करमाटांड़ इलाका महापुरुष व स्वतंत्रता सेनानियों के लिए काफी प्रसिद्ध रहा है। वर्तमान समय में भले ही  जामताड़ा जिले के करमाटांड़ साइबर अपराध के लिए बदनाम है  परंतु यहां के ऐतिहासिक व जर्जर भवन  आज भी महापुरुषों व स्वतंत्रता सेनानियों के लगाव-जुड़ाव की कहानी बताते हैं। आजादी की लड़ाई के दौरान सुभाष चंद्र बोस करमाटांड़ कई बार आए थे। उनकी कई रातें यहां अपने रिश्तेदार के यहां गुजरी है। वो भव अब भले जर्जर हो गया है, भूखंड बिक चुके हैं पर उनकी यादें आज भी यहां की आबो-हवा में घर की हुई है।

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आजादी के पूर्व कई बार नेताजी सुभाषचंद्र बोस जामताड़ा जिले में आ चुके हैं। चाहे अपने सहयोगी स्वतंत्रता सेनानी के साथ अंग्रेजों से लोहा लेने के दौरान या फिर अपने रिश्तेदार के कुशल-क्षेम जानने को। बूढ़े-बुजुर्गों की मानें तो करमाटांड़ के सीताकाटा में नेताजी के मामा केके मुखर्जी के एक रिश्तेदार रहा करते थे। यही कारण है कि आजादी की लड़ाई के दौरान नेताजी कई बार सीताकाटा गांव आए। यही नहीं गोमो जाने के पूर्व भी वे करमाटांड़ के सीताकाटा गांव आए थे। हालांकि जिस घर में सुभाष चंद्र बोस ठहरते थे, वह घर आज भी अवशेष व खंडहर के रूप में  अवस्थित है। ये जर्जर भवन काफी दिन पूर्व ही जमींदोज भी हो गया।

ऐतिहासिक भूखंड के मौजूद मालिक राजेंद्र मंडल के मुताबिक नेताजी के रिश्तेदार आजादी के कुछ दिन बाद ही अपनी जमीन बेचकर यहां से प. बंगाल चले गए। स्थानीय राजेंद्र मंडल के पुर्वजों ने उनकी जमीन व घर खरीदा था। अब उस भूखंड पर नया मालिक घर तक बना चुका है। जिस स्थान पर सुभाष चंद्र बोस रुकते थे, उससे कुछ ही दूरी पर महान समाज सुधारक पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर भी कई वर्षों तक रहे थे। आजादी के पूर्व वहां इक्का-दुक्का घर थ। परंतु आज वहां कई आलीशान मकान बन गए हैं। उस समय तो बिजली, सड़क कुछ नहीं थी। परंतु अब वहां बिजली, सड़क सब कुछ उपलब्ध है। इस कारण वह जगह अपनी पुरानी पहचान खो चुका है। अब नेताजी से जुड़ी यादें नई पीढ़ी के लिए कहानी बनकर रह गई है।

कोलकाता से लोग देखने पहुंचते : नेताजी सुभाष चंद्र बोस के रिश्तेदार के यहां नेताजी आया करते थे, उस भवन को देखने के लिए आज भी कोलकाता से लोग यहां पहुंचते हैं ।भले ही उसके आसपास आज बड़े-बड़े भवन निर्माण हो गए हैं परंतु उनकी गाथा आज भी सुनने को मिलती है।

वर्षों तक मामा जी के नाम बिजली बिल मिलता रहा : नेताजी सुभाष चंद्र बोस के रिश्तेदार केके मुखर्जी के नाम पर काफी दिनों तक घर का बिजली बिल आया करता था। जमीन खरीदारी के बाद जमीन खरीदारों ने अपने नाम से बिजली बिल करवा लिया। जमीन खरीदार पथुवा मंडलाइन के परिजन अब यहां पर रहते हैं। उसी के वंशज राजेंद्र मंडल हैं।


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