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मुद्रा योजना में रोड़ा बनी जागरूकता की कमी

जामताड़ा केंद्र सरकार ने छोटे उद्यम शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई)

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 11:13 AM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 11:13 AM (IST)
मुद्रा योजना में रोड़ा बनी जागरूकता की कमी
मुद्रा योजना में रोड़ा बनी जागरूकता की कमी

जामताड़ा : केंद्र सरकार ने छोटे उद्यम शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) की शुरुआत अप्रैल 2015 में की है। इसके तहत लोगों को अपना उद्यम, कारोबार शुरू करने के लिए छोटी रकम का लोन दिया जाता है। इस योजना के तहत जामताड़ा जिले को भी चालू वित्तीय वर्ष में 41 करोड़ 92 लाख रुपये ऋण वितरण करने का लक्ष्य दिया गया। लेकिन समुचित प्रचार-प्रसार नहीं होने से छोटे कारोबारी बैंकों तक नहीं पहुंचे और जो पहुंचे पचास हजार से दस लाख तक की प्रोत्साहन राशि देने कर बात पर जमा करने में रुचि नहीं लिए। नतीजतन बैंकों को ऋण वसूली करने में परेशानी हो रही है।

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59 प्रतिशत ऋण वितरण : जिले को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत निर्धारित लक्ष्य के विरुद्ध मात्र 59 प्रतिशत ही लोन वितरण किया गया है। इस योजना के तहत तीन कैटगरी शिशु, किशोर व तरुण के रूप में विभाजित कर 50 हजार, 5 लाख व दस लाख तक ऋण वितरण करने का प्रावधान है। इसमें शिशु वर्ग में कुल 1577 बैंक खाता में 5 करोड़ 80 लाख तक ऋण आवंटित किया गया। किशोर वर्ग के तहत 531 बैंक खाता में 10 करोड़ 89 लाख का ऋण आवंटित किया गया है। तरुण वर्ग के तहत 116 बैंक खाता में 7 करोड़ 88 लाख रूपया ऋण आवंटित किया गया। यानि कुल लक्ष्य 41 करोड़ 92 लाख के विरुद्ध मात्र करीब 24 करोड़ की राशि बतौर ऋण वितरित की गई।

जागरूकता की कमी से वंचित रहे ऋण सुविधा से : बैंकों से ऋण लेने के लिए ग्राहक को एक व्यवसायी के रूप में अपना पहचान देना होता है। योजना की शुरुआती दौर में तो ग्राहकों की दौड़ बैंक तक अनवरत जारी रही लेकिन बैंक ने जब व्यवसायी होने का सबूत प्रस्तुत करने को कहा तो अत्यंत छोटे व्यवसायी जैसे सब्जी बिक्रेता, फल बिक्रेता, ढाबा संचालक आदि के पास लेन-देन, चालू पूंजी आदि का दस्तावेजी सबूत नहीं होने से उसे निराशा हाथ लगी। बैंक भी असमंजस में रह गया कि ऐसे लोगों को किस आधार पर ऋण दिया जाए।

सरकार ने इस योजना के तहत ऋण लेने वाले को प्रतिभूति से भी वंचित रखा। छोटे व्यवसायी बैंक गए लेकिन जब उन्हें पता चला कि ऋण के साथ ब्याज भी जमा करना होता है तो वे लौट गए।

हालांकि इस योजना को सरजमीन पर साकार करने में कई बैंक प्रबंधक यथा सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जामताड़ा के शाखा प्रबंधक राहुल कुमार दफ्तर से बाहर निकलकर गांव तक पहुंचे और लोगों को जागरूक किया।

केस स्टडी वन :

मुझे मुद्रा योजना से एक नई जिदगी मिली। कई बैंकों से जब निराशा हाथ लगी तो सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से मुद्रा योजना के तहत एक लाख का ऋण लिया। चालीस हजार में सीट फोल्डर व कटिग मशीन की खरीदारी की। पहले दूसरे के यहां कारीगर का कार्य करता था आज खुद छह लोगों को रोजगार देते हुए प्रतिमाह 30 स्टील आलमीरा का निर्माण कर बाजार भेज रहा हूं। आमदनी में वृद्धि होने से बैंक की राशि भी वापस कर रहा हूं। उम्मीद करता हूं कि शीघ्र ही सभी राशि बैंक को वापस कर दूंगा और पुन: व्यवसाय विस्तार के लिए नया ऋण लेकर कार्य करूंगा।

-- राजेंद्र चौधरी,जामताड़ा - फोटो न. 15

-- केस स्टडी टू : प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत मुझे पचास हजार का ऋण मिला। पहले दूसरे के यहां मोहताज था अब स्वयं चाय-नाश्ता दुकान चला रहा हूं और समय पर बैंक को ऋण भी वापस कर रहा हूं। -- टिकू बाउरी,महुलडंगाल,जामताड़ा - फोटो न. 14

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वर्जन :

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का प्रचार प्रसार नहीं होने व लोगों में व्याप्त भ्रांतियों के कारण लक्ष्य पूर्ण करने में कठिनाई हुई। अब लोग योजना को पूरी तरह समझ चुके हैं। इसलिए उम्मीद है नए वित्तीय वर्ष में प्राप्त होने वाली लक्ष्य को आसानी से पूर्ण कर लिया जाएगा।

- एसएल बैठा,एलडीएम जामताड़ा - फोटो न. 13


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