शीतक दुग्ध केंद्र का हो संचालन तो रोजागार का खुलेगा रास्ता
जामताड़ा वैश्विक महामारी को लेकर गत दो माह से जारी राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण जि
जामताड़ा : वैश्विक महामारी को लेकर गत दो माह से जारी राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण जिले में हजारों प्रवासी मजदूरों का प्रवेश हो चुका है। ऐसे में अब प्रवासियों के समक्ष एक मात्र चिता का विषय है रोजगार और परिवार का भरण पोषण करना। जामताड़ा जिला में उद्योग-धंधा का अभाव शुरू से ही रहा है। हालांकि कई क्षेत्रों में झारखंड राज्य गठन के बाद कृषि-पशुपालन, मत्स्य आदि पर आधारित उद्योग की स्थापना की गई है। इन्हीं उद्योगों में से नाला प्रखंड क्षेत्र के पातुलिया गांव में शीतक दुग्ध उत्पादन केंद्र भी शामिल है। केंद्र भवन निर्माण होने व संबंधित उपकरण स्थापित करने में 9 वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक दुग्ध संग्रहण एवं दुग्ध से निर्मित सामग्री बनाने का काम आरंभ नहीं हो पाया है। अब घर आए प्रवासियों एवं पशुपालकों का एक मात्र रोजगार का सहारा शीतक दुग्ध उत्पादक केंद्र पर ही टिका है। इस संदर्भ में जागरण कई पशुपालकों से बात कर उनका जिज्ञासा जानने का प्रयास किया, आइए जानते हैं कतिपय लोगों से हुई बातचीत का अंश -
-- जिले के 80 प्रतिशत आबादी कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य उत्पादन के साथ दैनिक कार्य पर आश्रित है। ऐसे में नाला में स्थापित दुग्ध संग्रहण केंद्र का संचालन शुरूनहीं होना स्थानीय लोगों के लिए चिता का विषय है। जनप्रतिनिधि व जिला प्रशासन इस दिशा में गंभीरता से पहल करें, केंद्र को चालू कराने का काम करें तभी लोगों को स्थानीय क्षेत्र में रोजगार मिल सकेगा।
---अशोक माजी, पशुपालक सह समाज सेवी।
-- पशुपालकों को घर पर दुग्ध का उचित दाम मिले और आसपास के मजदूरों को नियमित रोजगार उपलब्ध कराने के उदेश्य से 9 वर्ष पूर्व करोड़ों रुपये खर्च कर शीतक दुग्ध उत्पादन केंद्र स्थापित किया गया। लेकिन जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक पदाधिकारी की उदासीन रवैया के कारण अब तक चालू नहीं हो पाया। केंद्र चालू नहीं होने का परिणाम है कि मजदूरों का पलायन अन्य राज्यों में बढ़ते जा रहा है। सरकार जनहित को ध्यान में रखकर केंद्र को शीघ्र चालू कराने का काम करें।
--- सुभाष यादव, पशुपालक सह समाजसेवी।
--- नाला स्थित पातुलिया में स्थापित शीतक दूध उत्पादन केंद्र के निर्माण व उपकरण स्थापित करने में करोडों की सरकारी राशि खर्च किया गया। इसके बाद भी परिणाम शून्य है। स्थापित उपकरण 9 वर्ष से धूल फांक रहा है। भवन जर्जरता की ओर अग्रसर हो रहा है। मजदूरों व पशुपालकों के मन में सजाए सपना पानी फेर रहा है। लॉकडाउन के विषम परिस्थिति में सरकार को केंद्र चालू कराना चाहिए ताकि प्रवासियों को स्थानीय क्षेत्र में ही रोजगार सुलभ हो सकें।
समीर मित्र, पशुपालक।
--- उत्पादित दुग्ध का उचित दाम घर पर मिले और दैनिक मजदूरों को नियमित काम मिले इस उद्देश्य से स्थापित दुग्ध उत्पादन केंद्र 9 वर्ष से सरकारी उदासीनता के कारण बेकार साबित हो रहा है। जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक पदाधिकारी अपनी रूचि दिखाए होते तो वर्तमान समय में केंद्र से सैकड़ों मजदूरों का रोजगार सृजन होता। महागठबंधन सरकार एवं जिला प्रशासन से केंद्र चालू कराने की मांग करता हूं।
--- शमा माजी, समाजसेवी सह पशुपालक