दूध उत्पादन केंद्र चालू होने से सैकड़ों को मिलेगा रोजगार
जामताड़ा हर क्षेत्र की एक अलग विशेषता होती है। इन्हीं विशेषताओं से क्षेत्र विशेष की अलग पह
जामताड़ा : हर क्षेत्र की एक अलग विशेषता होती है। इन्हीं विशेषताओं से क्षेत्र विशेष की अलग पहचान होती है। गोपालकों की अधिकता के आधार पर जिले के नाला प्रखंड को दुग्ध उत्पादन केंद्र के लिए झारखंड सरकार ने चयनित किया। 9 वर्ष पूर्व झारखंड के तत्कालीन कृषि एवं पशुपालन मंत्री सत्यानंद झा उर्फ बाटुल के पहल पर नाला स्थित पातुलिया गांव में करीब 60 लाख की लागत से दुग्ध शीतक केंद्र स्थापित किया गया। इतना ही नहीं केंद्र निर्माण कार्य पूर्ण होने के उपरांत केंद्र को जनोपयोगी बनाने के लिए लाखों रुपया का आवश्यक उपकरण भी उपलब्ध करवाया गया।
--- केंद्र स्थापना से खुश हुए पशुपालक : पातुलिया गांव में शीतल दुग्ध उत्पादन केंद्र स्थापित होने के उपरांत आसपास के पशुपालकों में खुशी का लहर दौड़ गई। पशुपालकों में उत्पादित दूध का उचित मूल्य मिलने तथा मजदूरों को नियमित रोजगार मिलने की उम्मीद अंगड़ाई लेने लगी। लेकिन 10 वर्ष बाद भी पशुपालकों की उम्मीद पूरी नहीं हुई। केंद्र स्थापित होने के बाद पशुपालकों में यह चर्चा जोरों पर होने लगी कि अब गांव से 50 किलोमीटर दूर स्थित पश्चिम बंगाल के आसनसोल एवं चित्तरंजन दूध बेचने को नहीं जाना पड़ेगा।
---5000 लीटर दूध क्षमतावाला केंद्र स्थापित : नाला प्रखंड स्थित पातुलिया गांव में स्थापित शीतल दुग्ध उत्पादन केंद्र 5000 लीटर क्षमता का है। केंद्र चालू होने के उपरांत आसपास के दर्जनों गांव के पशुपालकों द्वारा उत्पादित दूध का उक्त केंद्र में ही खपत की उम्मीद जाग्रत हुई। केंद्र में योजना के अनुरूप उपलब्ध दूध से पेड़ा, मक्खन, घी एवं विभिन्न मीठा तैयार किया जाना था। आसपास क्षेत्र के पशुपालक इसलिए भी खुशी थे कि अब नाला प्रखंड में बने दूध से निर्मित खाद्य सामग्री दूसरे क्षेत्र में आपूर्ति की जाएगी। लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण क्षेत्र के लोग एकबार ठगा सा महसूस कर रहे हैं। जहां 9 वर्ष से केंद्र में ताला लटक रहा है वहीं लाखों के कीमती उपकरण जंग लगने के कगार पर है।
-- राज्य का नेतृत्व बदलापुर केंद्र नहीं खुला : शीतल दुग्ध उत्पादन केंद्र का निर्माण भाजपा सरकार के कार्यकाल में किया गया। परंतु कतिपय कारणों से केंद्र का संचालन शुरू नहीं हो पाया। अब राज्य में नेतृत्व महागठबंधन के हाथों में है, ऐसे में लोगों को उम्मीद जगी थी कि अब दुग्ध उत्पादन केंद्र का श्रीगणेश होगा लेकिन अब तक नहीं हो पाया है। केंद्र का क्रियान्वयन शुरू होने से आसपास के सैकड़ों पशुपालकों एवं बेरोजगारों की आमदनी का जरिया बन सकता था।