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भगवान भरोसे जामताड़ा सदर अस्पताल की सुरक्षा

जामताड़ा  100 बेड क्षमतावाला सदर अस्पताल की सुरक्षा भगवान भरोसे है। ऐसे में केवल मरीज ही नहीं अस्पताल कर्मी व चिकित्सक भी दिन रात स्वयं को असुरक्षित समझते हैं। खास कर रात्रि में अस्पताल की सुरक्षा कर्मियों एवं चिकित्सकों पर आश्रित है जो किसी भी तरह उचित नहीं है। सदर अस्पताल में दिवा रात्रि स्वास्थ्य सेवा संचालित हैं। ऐसे में तीन शिफ्ट में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती अनिवार्य है। पूर्व में सदर अस्पताल में 10 सुरक्षा कर्मी को प्रतिनियुक्त किया गया था। इसके बाद भी नवजात शिशुओं समेत अन्य चोरी व आगजनी की घटना घटित हो चुकी है। लेकिन वर्तमान समय में सुरक्षा कर्मी नहीं हैं भगवान भरोसे पूरे अस्पताल की सुरक्षा है। ऐसे में अस्पताल परिसर असुरक्षित है। सदर अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Feb 2020 08:10 PM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 06:18 AM (IST)
भगवान भरोसे जामताड़ा सदर अस्पताल की सुरक्षा
भगवान भरोसे जामताड़ा सदर अस्पताल की सुरक्षा

जामताड़ा : 100 बेड क्षमतावाला सदर अस्पताल की सुरक्षा भगवान भरोसे है। ऐसे में केवल मरीज ही नहीं अस्पताल कर्मी व चिकित्सक भी दिन रात स्वयं को असुरक्षित समझते हैं। खास कर रात्रि में अस्पताल की सुरक्षा कर्मियों एवं चिकित्सकों पर आश्रित है जो किसी भी तरह उचित नहीं है।

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सदर अस्पताल में दिवा रात्रि स्वास्थ्य सेवा संचालित हैं। ऐसे में तीन शिफ्ट में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती अनिवार्य है। पूर्व में सदर अस्पताल में 10 सुरक्षा कर्मी को प्रतिनियुक्त किया गया था। इसके बाद भी नवजात शिशुओं समेत अन्य चोरी व आगजनी की घटना घटित हो चुकी है। लेकिन वर्तमान समय में सुरक्षा कर्मी नहीं हैं, भगवान भरोसे पूरे अस्पताल की सुरक्षा है। ऐसे में अस्पताल परिसर असुरक्षित है। सदर अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं लेकिन इसका कोई फायदा नहीं मिल रहा है। हंगामा करनेवाले लोग कभी डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी के साथ हाथापाई भी करते रहते हैं, तो कभी कैदी वार्ड से इलाजरत विचाराधीन बंदी भागने की चिता अस्पताल प्रबंधक को परेशानी में डाल देता है। सदर अस्पताल से प्रसव के उपरांत प्रसूता वार्ड से नवजात की चोरी की घटना हो चुकी है। कई बार हंगामा के शिकार सिविल सर्जन, चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी भी हुए हैं। सुरक्षा के अभाव का परिणाम होता है कि इलाज कराने आए रोगी भी कब चले जाते हैं और कब आते हैं इसका कोई ठिकाना नहीं रहता है। कभी-कभी तो अज्ञात रोगी इलाज के क्रम में ही बिना सूचना के ही चले जाते हैं। इस पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। अस्पताल में पुरुष-महिला सुरक्षागार्ड के नाम पर कुछ भी नहीं है।

--प्रतिनियुक्त 10 होमगार्ड को हटाया गया : गत वर्ष सदर अस्पताल की सुरक्षा में दस होमगार्ड को प्रतिनियुक्ति किया गया था। लेकिन गत चार-पांच माह से कोई होमगार्ड को सुरक्षा में प्रतिनियुक्त नहीं किया गया है। जबकि समय-समय पर सीएस एवं अस्पताल उपाधीक्षक ने उपायुक्त समेत अन्य वरीय पदाधिकारी के समक्ष सुरक्षा कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की मांग करते रहे, लेकिन सुरक्षाकर्मी की तैनाती नहीं हो सकी है। अस्पताल प्रवेश करने एवं बाहर निकलने के कई मार्ग हैं, इतना ही नहीं अस्पताल परिसर में दर्जनों बाइक लगी रहती हैं। परिसर से कई बार बाइक चोरी होने की घटना भी हो चुकी है। ऐसे में अस्पताल समेत पूरे परिसर की सुरक्षा को ले कर्मी नहीं होना कई सवाल खड़ा कर रहा है।

-- वर्जन : अस्पताल प्रबंधन ने सिविल सर्जन से इस निमित पत्राचार किया गया है। शीघ्र ही सुरक्षा कर्मियों की प्रतिनियुक्ति करने की मांग की गई है। वर्तमान समय में अस्पताल कर्मी व चिकित्सक को सुरक्षा के प्रति गंभीर रहना पड़ रहा है। कई दिन पूर्व उपायुक्त गणेश कुमार से भी सुरक्षा कर्मी के प्रतिनियुक्ति की मांग की गई है। -- डॉ. दुर्गेश झा, प्रभारी उपाधीक्षक।


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