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साइबर अपराध के विरुद्ध सजगता से जुटाएं साक्ष्य

बढ़ रहे साइबर अपराध व अनुसंधान में सुस्ती फिलहाल खोज का हिस्सा बन चुका है। इसी खोज के प्रयास एवं जागरूकता के लिए जामताड़ा समेत अन्य जिले में जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 08 Sep 2019 12:09 AM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 06:34 AM (IST)
साइबर अपराध के विरुद्ध सजगता से जुटाएं साक्ष्य
साइबर अपराध के विरुद्ध सजगता से जुटाएं साक्ष्य

संवाद सहयोगी,जामताड़ा : बढ़ रहे साइबर अपराध व अनुसंधान में सुस्ती फिलहाल खोज का हिस्सा बन चुका है। इसी खोज के प्रयास एवं जागरूकता के लिए जामताड़ा समेत अन्य जिले में जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। जागरुकता अभियान से केवल आम लोगों को लाभ नहीं बल्कि पुलिस पदाधिकारी,बैंक पदाधिकारी,अधिवक्ता को भी बेहतर साक्ष्य संग्रह करने एवं आरोपित को उचित दंड दिलाने में सफलता मिलेगी। ये बातें शनिवार को दुलाडीह स्थित नगर भवन में जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा आयोजित साइबर जागरुकता कार्यक्रम में झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनंत विजय सिंह ने कहीं।

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अनुसंधान कार्य समय परनहीं होने और रिपोर्ट में साक्ष्य का अभाव होने का अनुचित लाभ आरोपित को मिल रहा है। इस कार्य में अनुसंधान से जुड़े हर स्तर के पदाधिकारी को गंभीरता दिखाने की आवश्यकता है। कानूनी प्रावधान है कि जब तक अपराध सिद्ध नहीं होता है तो आरोपित को दोषी नहीं माना जाएगा। ऐसे में अधिक से अधिक साक्ष्य में सतर्कता की आवश्कता होती है। कहा कि मालूम है कि अनुसंधान प्रक्रिया कई स्तर पर पूर्ण होता है। ऐसे में कई स्तर से अनुसंधानकर्ता को उचित सहयोग नहीं मिल पाता है या विलंब से प्राप्त होता है। ऐसे में अनुसंधान बाधित होता है। खासकर बैंक के सीसीटीवी फुटेज प्राप्त करने में लंबे समय का इंतजार करना पड़ता है। कहा कि संभावित जिले में साइबर थाना स्थापित होने के उपरांत साइबर अपराध नियंत्रण व अनुसंधान की दिशा में बेहतर कार्य हो रहा है। पूर्व की स्थिति में परिवर्तन हुई है। इंटरनेट कंपनियां अपराध से संबंधित डाटा अनुसंधान कर्ता को समय पर उपल्बध नही कराने से परेशानी होती है इसे दूर करने को न्यायिक स्तर से भी पहल की जा रही है। पुलिस पदाधिकारी,बैंक पदाधिकारी,प्रशासनिक पदाधिकारी से कहा कि साइबर अपराध नियंत्रण से संबंधित कार्रवाई विभिन्न स्तर पर चलते रहना चाहिए,कानूनी प्रक्रिया को साक्ष्य के साथ पूर्ण करते रहना है,वहीं सतही साक्ष्य प्रस्तुत करने को संबंधित तकनीक के प्रति गंभीरता दिखाना होगा।

झारखंड ज्यूडिसियल एकेडमी के निदेशक गौतम चौधरी ने कहा कि झारखंड प्रदेश में सबसे अधिक संख्या में साइबर अपराध जामताड़ा व देवघर जिले के कई क्षेत्रों में हो रहा है। इसी कारण उक्त दोनों जिले में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। रांची के आइजी नवीन कुमार सिंह ने कहा कि स्थानीय पुलिस इस दिशा में अग्रसर है कि संबंधित थाना में मामला दर्ज नहीं है तो गिरफ्तारी क्यों करुं। इसी प्रकार अन्य जिले व राज्य की पुलिस आरोपितों की खोज में संबंधित थाना पहुंचता जरुर है लेकिन चंद दिनों में ही अपने राज्य वापस लौटने की तैयारी में रहता है इसका सीधा लाभ आरोपित को मिलता है इन समस्या के समाधान के लिए एक पोर्टल तैयार किया गया है जिसमें सभी मामले, अपराध व आरोपितों से संबंधित सभी जानकारी अंकित रहता है। इस पोर्टल में अब तक विभिन्न राज्यों से डेढ़ वर्ष की अवधि में 800 मामले पंजीकृत हो चुका है। जिला जज प्रदीप कुमार चौरसिया,मनोज कुमार श्रीवास्तव,पुलिस अधिक्षक अंशुमान कुमार,एडीजे कमल कुमार श्रीवास्तव,सीजीएम मोहम्द अब्दुल नसीर,न्यायिक दंडाधिकारी अरविद कुमार,जिला विधिक प्राधिकार के सचिव कुशेश्वर सिकू,अधिवक्ता गणेशचंद्र चौधरी,मोहनलाल बर्मन समेत सभी श्रेणी के पुलिस पदाधिकारी,अधिवक्ता व प्रशासनिक पदाधिकारी मौजूद थे।


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