रमजान की इबादत से कब्र जन्नत का बाग हो जाता
जामताड़ा : रहमत और बरकत का महीना माह-ए-रमजान रुखसत होने वाला है। इस नेक महीने में हमन
जामताड़ा : रहमत और बरकत का महीना माह-ए-रमजान रुखसत होने वाला है। इस नेक महीने में हमने क्या खोया और क्या पाया। इसका एक-एक पल का हिसाब अल्लाह के घर में होने वाला है। यह बातें सुभाष चौक स्थित जामा मस्जिद में रमजान महीने के अंतिम जुम्मे में अलविदा पर तकरीर करते हुए मौलाना नसरुद्दीन ने फरमाया। कहा कि पूरे रमजान महीने में अल्लाह ने अपने चाहने वालों को बख्शा है। उससे ज्यादा ईद के दिन बख्शा जाएगा। इस नेक महीने में अल्लाह की इबादत करने वाले पापियों के गुनाह भी माफ कर दिए जाते हैं, अगर एक महीना इबादत करके अल्लाह को राजी कर लेते हैं। कहा कि इस महीने की ताजीम कर लेते हैं, एहतराम कर लेते हैं तो आप की दुनिया भी संवर गई। कब्र भी संवर गया और आखरत भी संवर जाती है। इस नेक महीने के तीन पड़ाव हैं। पहला रहमत, दूसरा मगफिरत और तीसरा से जहन्नुम से छुटकारा का। पहला 10 रोजा इबादत करने से अल्लाह अपने चाहने वालों को दौलत, सेहत, कूबत, औलाद, खुशियों के अलावा बहुत सारी नियामतें देते हैं। दूसरे पड़ाव की इबादत से कब्र का अजाब, कब्र की तंग और कब्र की बेचैनी से छुटकारा मिलती है और कब्र जन्नत के बागों से बाग हो जाएगा। तीसरा 10 रोजा की इबादत से अल्लाह अपने चाहने वालों के लिए जन्नत का रास्ता खोल देते हैं। लेकिन अफसोस हम रमजान शरीफ का एहतराम नहीं करते हैं। झूठ बोलते हैं, हराम की लुकमा पर नजर रखते हैं। जिसकी दावत इस्लाम नहीं देती है। जो इस महीने का एहतराम करेगा, उसे अल्लाह जन्नत की खूबसूरत जगह देंगे जो एहतराम नहीं करेगा वह जलील और रुसवा होगा। कहा कि हर माले नेसाब पर जकात और फितरा वाजिब है। जो अब तक जकात और फितरा अदा नहीं किए हैं। वह ईद की नमाज से पहले जकात और फितरा अदा कर दें। वहीं अलविदा की नमाज को लेकर मस्जिद परिसर की काफी साफ-सफाई की गई थी। कालीन बिछाया गया। आसपास के इलाके की भी साफ-सफाई की गई। ईद को लेकर बच्चों में भी काफी चहल पहल देखी गई। शनिवार को ईद की नमाज 9:00 बजे ईदगाह में होगी।