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सिचाई के अभाव में हर वर्ष मारी जाती है फसल

संवाद सहयोगी कुंडहित (जामताड़ा) कुंडहित में विकास योजनाओं में पानी की तरह पैसा बहाए

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Nov 2020 06:31 PM (IST)Updated: Tue, 03 Nov 2020 06:31 PM (IST)
सिचाई के अभाव में हर वर्ष मारी जाती है फसल
सिचाई के अभाव में हर वर्ष मारी जाती है फसल

संवाद सहयोगी, कुंडहित (जामताड़ा): कुंडहित में विकास योजनाओं में पानी की तरह पैसा बहाए जाने के बाद भी खेतों को पर्याप्त सिचाई की सुविधा अब तक नहीं मिल पाई है। नतीजतन किसान बदहाल हैं। झारखंड पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित संतालपरगना के कुंडहित प्रखंड में आज भी भगवान के भरोसे खेती होती है। समय पर और पर्याप्त सिचाई की सुविधा नहीं मिल पाने के कारण किसानों को हर बार उम्मीद से कम पैदावार पर संतोष करना पड़ रहा है। मानसून की दगाबाजी के कारण क्षेत्र में पिछले सात साल से ढंग से खेती किसान नहीं कर पाए। पानी के अभाव में क्षेत्र में रबी की खेती नहीं के बराबर होती है।

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15 पंचायतों वाले कुंडहित प्रखंड में एक नहर, एक बड़ी तथा दो छोटी नदी, 12 माइक्रो लिफ्ट एरिगेशन, दर्जनों जोरिया, चेकडैम, क्रॉस बांध, और 103 सरकारी खास तालाब व सैकड़ों छोटे-बड़े निजी तालाब व कूप है। जानकारों के अनुसार प्रखंड के प्रत्येक गांव में औसतन आठ तालाब और पांच कूप है। सिंचाई के इतने साधन रहने के बाद भी बारिश नहीं होने पर प्रखंड क्षेत्र की खेती चौपट होती रहती है।

पर्याप्त जल की अनुपलब्धता, सही स्थल पर सिचाई संसाधनों की कमी समेत सिचाई के लिए गंभीर प्रयास के अभाव में किसानों को हर वर्ष खेती के नाम पर मायूसी मिलती है। बारिश की दगाबाजी के कारण गर्मी में नदियां, जोरिया और तालाब सूख जाता है। बरसात के बाद जाड़े के मौसम तक ही इनमें पानी रहता है। वह भी कम मात्रा में। सही स्थानों पर सिचाई संसाधन नहीं रहने से इनकी उपयोगिता नहीं के बराबर रह जाती है। क्षेत्र के किसान कहते हैं कि अगर सही जगह पर सही ढंग से चेकडैम आदि बनाए जाते तो सिचाई की समस्या बहुत कम हो जाती। कुछ कम हो पाती। नब्बे के दशक में बनाए गए दर्जन भर माइक्रो लिफ्ट एरिगेशन बेकार पड़ा है। कही बिजली नहीं तो कहीं पाइप के कारण बंद है। मशीन की चोरी व अधूरा निर्माण की वजह से योजनाएं ठप पड़ी है।

---अजय बराज नहर का लाभ नहीं : सिचाई के लिए क्षेत्र में चल रही बड़ी और महत्वाकांक्षी योजना अजय बराज नहर परियोजना आज भी निर्माणाधीन ही है। चार दशक पहले शुरू हुई यह परियोजना अगर पूरी हो जाए तो क्षेत्र में सिचाई को रोना बंद हो जाएगा। नहर की मुख्य शाखा में नाला अंचल तक पानी तो आया था लेकिन कुंडहित प्रखंड नहीं पहुंच पाया है। जबकि वर्षो पहले कुंडहित प्रखंड के बरमसिया, कमलिया, भेलाडीह, कोलिडीह सहित 12 स्थानों पर माइक्रो लिफ्ट एरिगेशन का निर्माण किया गया है। ये सभी विभागीय उदासीनता के कारण ठप है।

---क्या कहते है किसान :

--कई सालों से मौसम दगा दे रहा है। खरीफ व रबी फसल चाह कर भी नहीं कर पा रहे। सरकार की ओर से सिचाई सुविधा के बनाई गई योजनाएं मुंह बाए खड़ी है।

--शमसुल

--- सरकार सिचाई सुविधा देने में पानी के तरह पैसा खर्च की है पर स्थल चयन गलत होने की वजह से इसका लाभ किसानों को नहीं मिला। सारे लिफ्ट एरिगेशन योजनाएं ठप पड़ी है। देखरेख पर ध्यान ही नहीं दिया गया।

--बलराम घोष

किसानों को मानसून पर निर्भर रहना पड़ता है। इसी वजह से प्रत्येक वर्ष खेती चौपट हो रही। सरकार ग्रामीणों की सहभगिता लेकर सिचाई की योजनाएं धरातल पर उतारे तो खेती का विकास संभव हो पाएगा।

---मुकुंद चंद।


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