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कुसमा जंगल में हाथी ने जमाया डेरा, पहले भी तीन की ले ली थी जान

फतेहपुर (जामताड़ा) फतेहपुर प्रखंड की बनुडीह पंचायत के मालडीहा बेजोपाड़ा में झुंड स

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 05:43 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jun 2021 05:43 PM (IST)
कुसमा जंगल में हाथी ने जमाया डेरा, पहले भी तीन की ले ली थी जान
कुसमा जंगल में हाथी ने जमाया डेरा, पहले भी तीन की ले ली थी जान

फतेहपुर (जामताड़ा) : फतेहपुर प्रखंड की बनुडीह पंचायत के मालडीहा बेजोपाड़ा में झुंड से बिछड़े एक हाथी द्वारा दंपती को मार डालने के बाद ग्रामीण आक्रोशित हो गए। आक्रोशित ग्रामीणों ने वन विभाग के रेंजर प्रतिमा कुमारी को तीन घंटे बंधक बनाए रखा। हालांकि प्रशासन बड़ी चतुराई से भीड़ से रेंजर को मुक्त कराने में सफल रहा। इधर हाथी का आतंक इस गांव की त्रासदी रही है। वर्ष 2002 में हाथी ने कुचलकर एक महिला समेत तीन लोगों की जान ले ली थी। हाथी अब भी गांव के बगल कुसमा जंगल में डेरा डाले हैं। रात में वन विभाग की ओर से दक्ष हाथी भगाओ दल पहुंच सकता है। तभी हाथी को सुरक्षित रास्ता पकड़ाने की पहल होगी।

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ग्रामीणों का आरोप था कि घटना की सूचना विभाग को रविवार को करीब पांच बजे सुबह दे दी गई है। इसके तीन घंटे विलंब से घटनास्थल पर वन विभाग की टीम पहुंची। ग्रामीणों ने रेंजर को यह कहते हुए बंधक बना लिया की पहले यहां से हाथी को खदेड़ें। इसके बाद ही गांव से उन्हें जाने दिया जाएगा। ग्रामीणों रेंजर को सामुदायिक पुस्तकालय के बरामदे पर घेर कर घंटों रखा। इसकी सूचना पर बीडीओ मुकेश कुमार बाउरी, सीओ पंकज कुमार समेत पहले से मौजूद थाना प्रभारी सुमन कुमार ने लोगों को समझाने का काफी प्रयास किया गया, लेकिन कोई कुछ सुनने को तैयार नहीं थे। इसके बाद प्रशासन ने चतुराई से ग्रामीणों को समझाया। कहा कि सभी लोग मिलकर हाथी को खदेड़ेंगे। रेंजर को मुक्त करें तभी तो आगे की कार्रवाई हो पाएगी। इन बातों के बीच प्रशासन ने रेंजर को लेकर पैदल चलना शुरू कर दिया। ग्रामीणों का हुजूम पीछे चलता रहा। गांव से बाहर निकलते ही भीड़ छंटने लगी। तब जाकर प्रशासन व वन विभाग की टीम वहां से सुरक्षित निकल पाई।

घटना के बाद स्वजनों का रो-रोकर बुरा हाल : मौत की घटना के बाद स्वजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मृतक जियालाल पांवरिया व सोनामणि टुडू की तीन शादीशुदा बेटियां हैं। इनमें हीरामणि पांवरिया, प्रमीला पांवरिया मिहिमाला पांवरिया हैं। पुत्र में देवेन पांवरिया व लेबेन पांवरिया व पुत्रवधु जोबा हांसदा हैं। जोबा हांसदा ने अपनी जान दौड़कर बचाई। जबकि उनका छोटा पुत्र लेबेन घर में रह जाने से बच गया। बड़ा पुत्र देवेन बाहर गया था। घटना के बाद मृतक की पुत्री, नतनी व बड़ा पुत्र भी पहुंच चुका था। छोटे पुत्र लेबेन ने कहा कि वह रह गया था। जबकि मां, पिता व भाभी घर से निकल भागे थे। इसी क्रम में मां व पिता को हाथी ने मार डाला। बताया गया कि झूुंड से बिछड़ा हाथी दुमका से यहां पहुंचा है।

---रेंजर ने दिया दाह संस्कार के लिए मुआवजा : रेंजर प्रतिमा कुमारी ने घटनास्थल पर मृतक के बड़े पुत्र को दाह संस्कार के लिए 10000 का मुआवजा तत्काल दिया। साथ ही आश्वस्त किया कि प्रावधान के अनुसार जो भी मुआवजा निर्धारित है, वह जल्द ही देने का प्रयास किया जाएगा।

---पहले भी हाथी ने ली है जान : बनुडीह पंचायत के लिए यह त्रासदी कोई पहली नहीं है। बल्कि 2002 में भी हाथी के कुचलने से तीन लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें 18 वर्षीय महारानी मरांडी को हाथी ने बुरी तरह से कुचल दिया था। इसके अलावा विभूति मरांडी व उसकी पत्नी को भी हाथी ने पटक-पटक कर मार दिया था। घटना की सूचना के बाद पूर्व कृषि मंत्री सत्यानंद झा, प्रमुख किरण कुमारी बेसरा, भाजपा जिला मंत्री मनोज गोस्वामी, विष्णु मंडल, पंकज मंडल पहुंचे और पीड़ित स्वजन को ढांढस बंधाया।


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