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गले मिलना मना था, दिल पर नहीं था पहरा

संवाद सहयोगी जामताड़ा सोमवार को जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में ईद का त्योहार घ

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 06:37 PM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 06:37 PM (IST)
गले मिलना मना था, दिल पर नहीं था पहरा
गले मिलना मना था, दिल पर नहीं था पहरा

संवाद सहयोगी, जामताड़ा : सोमवार को जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में ईद का त्योहार घरों में रहकर शांति पूर्वक मनाया गया। जामताड़ा समेत ग्रामीण इलाकों में पहली बार ईदगाह में ईद की नमाज नहीं पढ़ी गई। ईद की नमाज ईदगाह व मस्जिद के बदले अपने घरों में अदा की गई। इसके बाद लोगों ने हाथ व गले लगने की बजाय अपने दिल पर हाथ रखकर एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी। -पांच-छह लोग ही दूरी बनाकर मस्जिद में पढ़े नमाज : लोगों ने सादगी पूर्ण वातावरण में शारीरिक दूरी का पालन करते हुए घरों में ही रह कर ईद मनाई और नमाज अदा की। इधर मस्जिदों में भी संबंधित इमाम ने शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए 5 से 6 लोगों के साथ नमाज अदा की और कोरोना संक्रमण से निजात दिलाने के लिए दुआ की। प्रशासनिक निर्देशों का पालन करते हुए मस्जिद व ईदगाह पर नमाजी नहीं पहुंचे। लॉकडाउन के चलते बदले हुए हालातों में ईदगाह के बजाय लोगों ने घरों में ही परिवार के सदस्यों के साथ ईद मनाई। सड़कों पर भी सन्नाटा पसरा रहा। प्रत्येक वर्ष ईदगाह व मस्जिदों में काफी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग ईद के दिन नमाज अदा करने के उपरांत एक दूसरों को बधाइयां देते थे। इस बार ऐसा संभव नहीं हो पाया। संक्रमण के खतरे से बचाव को सगे संबंधी भी एक दूसरे के घरों में पहुंचकर ईद की बधाइयां देने से पीछे नहीं हटे। मोबाइल फोन पर एक दूसरे को ईद की मुबारक देने के साथ उनके परिवार के लिए लोगों को मुबारकबाद दी। घरों में मीठे पकवान बने, बच्चे उत्साहित : पाकडीह व सरखेलडीह के जामा मस्जिद के इमाम हाफिज कमरुद्दीन ने बताया कि लॉकडाउन के कारण त्योहार हम सब ने अपने घरों में ही मनाया। क्योंकि सरकार का आदेश है कि लॉकडाउन का पालन करें और घरों में रहें। उसके चलते घरों में ही नमाज अदा की और त्योहार मनाया। एक-दूसरे को टेलीफोन पर मुबारकबाद दी। घरों में मीठे पकवान बनाए गए। बच्चों में काफी उत्साह देखा जा रहा था। जिले भर के सभी मस्जिदों के इमामों ने समुदाय के लोगों से कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए मस्जिदों एवं ईदगाहों के बजाय घरों पर ही ईद की नमाज अदा करने और सादगी से ईद मनाने का आह्वान किया था। इसका पूरे जिले में असर देखने को मिला। --बाजार में सन्नाटा : ईद के मौके पर बाजारों में भी बहुत कम संख्या में लोग नजर नजर आए। प्रशासन व पुलिस की तरफ से ईद को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। ईदगाह, मस्जिद व अल्पसंख्यक बहुल गांवों में दंडाधिकारी पुलिस पदाधिकारी व सुरक्षाकर्मी प्रतिनियुक्त किए गए थे। नमाज समाप्ति के उपरांत प्रतिनियुक्त पदाधिकारी और कर्मी गांव से वापस आए। पुराने कपड़े में ही लोगों ने मनायी ईद : कोरोना महामारी के चलते इस बार ईद का पर्व लोग पुराने कपड़े में ही मनाया। महामारी के चलते करीब दो महीने से कपड़ा और दर्जी की दुकानें बंद होने के कारण लोग कपड़े नहीं खरीद पाए। विभिन्न उलेमाओं ने भी अपील की थी कि कोई भी ईद में नया कपड़ा नहीं खरीदेंगे। कपड़े के पैसे से गरीब असहाय लोगों की मदद करें। सोमवार को ईद की नमाज भी पुराने कपड़े में दूरी बनाकर नमाज पढ़ी गई। एक-दूसरे के घर जाकर सेवई का स्वाद लेने के बजाय लोग मोबाइल पर ही ईद की मुबारकबाद दिए।

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