मांस-मछली की जगह घर-घर रसोइ का विकल्प बना अंडा
मिहिजाम (जामताड़ा) संडे हो या मंडे रोज खायें अंडे की कहावत इन दिनों चरितार्थ हो रही
मिहिजाम (जामताड़ा) : संडे हो या मंडे रोज खायें अंडे की कहावत इन दिनों चरितार्थ हो रही है। कोरोना से बचाव व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अंडा को लोग ज्यादा चाह से घरों में सब्जी के रूप में उपयोग कर हैं। अंडों की संस्थागत बिक्री काफी कम है। लेकिन घरेलू मांग बढ़ी है। इसे अंडा के विक्रेता भी स्वीकार कर रहे हैं।
मिहिजाम में क्षेत्र में अंडा का कोई बड़ा थोक विक्रेता नही हैं। तीन-चार अंडा बेचनेवाले व्यापारी हैं जो क्षेत्र के विभिन्न दुकानों, विद्यालयों व खुदरा अंडा की मांग पूरी करते हैं। शहर के सीमा पार रेलनगरी चित्तरंजन में भी अंडा का थोक विक्रेता हैं। परंतु दो से तीन चरणों तक लॉकडाउन के दौरान दुकान बंद रही। नतीजतन अंडा की खपत में कमी आई। लेकिन अंडा के दामों में कोई फेर बदल नहीं हुआ। लॉकडाउन से अभी तक लगभग ढाई महीने हो गए हैं। बाजार, विद्यालय, रेस्तरां, होटल पूर्णत: बंद हैं। लॉकडाउन के पूर्व एक दुकानदार लगभग 10 से बारह पेटी की बिक्री कर लेते थे परन्तु अभी मात्र चार से पांच पेटी अंडा बेच रहे हैं। विक्रेताओं का कहना है कि रेलनगरी चित्तरंजन सील होने से अंडा की बिक्री में कमी हुई है। कोरोना संक्रमण से बचाव को चित्तरंजन सील किया गया है। वहां पॉजिटिव मरीज मिले हैं। इसलिए वे मिहिजाम में बाजार करने नहीं आ रहे हैं। इस कारण अंडा की बिक्री में कुछ कमी देखी जा रही है।
क्या कहते हैं अंडा विक्रेता : अंडा विक्रेता सोनम, सोहेल, मुकेश यादव, अंजनी, प्रणव कुमार कहते हैं कि लॉकडाउन फोर में बाजार में दुकान खुली है। क्षेत्र के मुहल्ले व गांव में अंडा की मांग है। प्रतिदिन पांच से छह पेटी अंडा बेचते हैं। घरेलू खपत बढ़ी है। होटल आदि संस्थान बंद रहने से थोक में बिक्री नहीं हो रही है। पर घर-घर लोग खरीद कर ज्यादा ले जा रहे हैं। आसनसोल से अंडा मंगवाकर दुकान-दुकान में अंडा बेच रहे हैं। लॉकडाउन होने से पूर्व पांच रुपये प्रति अंडा बेचते थे। आज भी अंडा के दामों में कोई वृद्धि नहीं हुई है। अंडा की मांग घरों में बढ़ी है। चित्तरंजन के लोग बाजार करने आते थे तो अंडा की खपत ठीक थी परन्तु जब से लॉकडाउन हुआ चित्तरंजन सील हो गया है। लोग मिहिजाम बाजार नहीं पहुंच रहे हैं। बाजार शाम के समय बंद रहने व फास्टफूड, होटल तथा रेस्तरां में बंद रहने से अंडा की खपत में कमी आई है। हालांकि मांस-मछली के दामों में उछाल जरूर आई है। घरों में मांस-मछली के स्थान पर लोग अंडा को तरजीह दे रहे हैं।