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इंद्रधनुष अभियान से बच्चों को मिलेगा नवजीवन

नारायणपुर स्वास्थ्य क्षेत्र के 366 टोलों में टीका से वंचित व ड्रापआउट शून्य से दो वर्ष तक के चिह्नित बच्चों को टीका देने के लिए स्वास्थ्य विभाग सघन इंद्रधनुष कार्यक्रम चलाएगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 06:00 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 06:17 AM (IST)
इंद्रधनुष अभियान से बच्चों को मिलेगा नवजीवन
इंद्रधनुष अभियान से बच्चों को मिलेगा नवजीवन

मुरलीपहाड़ी (जामताड़ा) : नारायणपुर स्वास्थ्य क्षेत्र के 366 टोलों में टीका से वंचित व ड्रापआउट शून्य से दो वर्ष तक के चिह्नित बच्चों को टीका देने के लिए स्वास्थ्य विभाग सघन इंद्रधनुष कार्यक्रम चलाएगा। यह अभियान दो दिसंबर से नौ मार्च तक चलेगा। इसके लिए माइक्रो प्लान स्वास्थ्य विभाग ने बना लिया है। इसका सर्वे कार्य भी लगभग पूरा हो चुका है। सर्वे में ने टीका से लेफ्ट आउट व ड्राप आउट एक-एक बच्चे की सूची बनाई गई है। अब ऐसे बच्चे को स्वस्थ्य रखने के लिए सभी प्रकार के टीके अलग-अलग चरणों में स्वास्थ्य कर्मी लगाएंगे।

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शिशु मृत्यु दर चिता का कारक : प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अरविद कुमार दास के मुताबिक यूनिसेफ व भारत सरकार क्षेत्र में टीकाकरण का प्रतिशत 65 ही मानती है। अब भी क्षेत्र में उनके आकलन के अनुसार 35 प्रतिशत बच्चे टीका से या तो वंचित है या फिर एक-दो टीका लेकर कार्यक्रम से अलग हो चुके है। नतीजतन जिस संख्या में शिशु का जन्म हो रहा है, उसकी साठ फीसदी शिशु एक माह में ही मौत को गले लगा ले रहे हैं। ऐसे में शिशु मृत्यु दर को किसी भी सूरत में विभाग शून्य करने का लक्ष्य रखा है। यदि सभी दो वर्ष तक के बच्चों को पूर्ण टीका लग जाएगा तो निश्चित रूप से शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी।

कौन-कौन सा टीका किसलिए जरूरी : प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया एक मजबूत व शक्तिशाली स्वस्थ बच्चे के लिए प्रत्येक माता-पिता हर संभव प्रयास करता है। गरीबी से जूझ रहे परिवार के लोग भी उन्हें स्वस्थ देखना चाहता है। स्वास्थ्य विभाग बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए जन्म से लेकर दो वर्ष तक की उम्र तक करीब 30,000 रुपये का टीकाकरण करती है। अभी जो महत्वपूर्ण टीका बच्चों को दिए जाते हैं उनमें से टीवी रोग से बचाने के लिए बीसीजी का टीका दिया जाता है। हेपेटाइटिस बी से बचाने के लिए हेप बी का टीका दिया जाता है। पोलियो रोग से बचाने के लिए ओपी भी व आईपी भी दो प्रकार की टीका है। बच्चों को काली खांसी, डिप्थीरिया, टिटनेस, डी इंफेक्शन से बचाने के लिए पेंटा नामक टीका लगाया जाता है।

दस्त से बचाने के लिए रोटा टीका तीन बार दिया जाता है। खसरा व रूबेला रोग से बचाने के लिए बच्चे को एक बार नौ माह की उम्र में व दूसरे बार डेढ़ वर्ष की उम्र में एमआर वैक्सीन दी जाती है। बच्चों को दिमागी बुखार, डिप्थीरिया से बचाव को जेईई व डीपीटी टीका है। इतने प्रकार के टीके को यदि किसी निजी अस्पताल से लिया जाए तो उस दंपति को बच्चे के लिए हजारों में भुगतान करना पड़ता है। सारे टीके लगाए जाएं तो सारी गंभीर बीमारियों से जूझने से बच्चों को बचाया जा सकता है। इसके लिए जागरूकता जरूरी है।

दैनिक टीकाकरण के अलावा चलेगा अभियान : स्वास्थ्य विभाग ने इस कार्यक्रम को प्रभावी बनाने के लिए गुरुवार व शनिवार को आंगनबाड़ी केंद्रों में जारी दैनिक टीककरण को छोड़कर शेष कार्य दिवस में टीका देने की व्यवस्था बनाई है। गांव-मोहल्ला के ऐसे स्थान तय किए गए हैं जहां बच्चे सुगम तरीके से पहुंच सके।

सहिया व सेविका करेंगी सहयोग : क्षेत्र के सभी चिह्नित बच्चों को इस तीन महीने के कार्यक्रम में पूर्ण टीका लगाने में गांव की सहिया, आंगनबाड़ी सेविका का सहयोग स्वास्थ्य कर्मी लेंगे। प्रत्येक चिह्नित टोलों में अभी से ही जागरूकता का कार्यक्रम शुरू कर दिया गया है। एक-एक परिवार को इसकी जानकारी सहिया व सेविका दे रही हैं। पोलियो मुक्त अभियान की तरह इस सघन मिशन इंद्र धनुष कार्यक्रम को सफल करने के लिए पीएमओ तक की नजर रहेगी।


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