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चरघरा दुर्गा मंदिर में 1925 से हो रही पूजा

धनबाद कांकोमठ के पुजारी पूरी करवाते सारे अनुष्ठान मंडप से निकल रहा पॉलीथिन मुक्त समाज का संदेश संवाद सूत्र विद्यासागर (जामताड़ा) विद्यासागर प्रखंड क्षेत्र के चरघरा रोड स्थित दुर्गा मंदिर में पूजा-अर्चना 1925 से प्रांरभ हुई। तब हरिप्रसाद पूजा का बीड़ा उठाया था। प्रारंभिक पूजा छोटे रूप में होती थी परंतु धीरे-धीरे विस्तार होता गया। चरघरा

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 07:48 PM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 07:48 PM (IST)
चरघरा दुर्गा मंदिर में 1925 से हो रही पूजा
चरघरा दुर्गा मंदिर में 1925 से हो रही पूजा

---धनबाद कांकोमठ के पुजारी पूरी करवाते सारे अनुष्ठान, मंडप से निकल रहा पॉलीथिन मुक्त समाज का संदेश

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संवाद सूत्र, विद्यासागर (जामताड़ा) : विद्यासागर प्रखंड क्षेत्र के चरघरा रोड स्थित दुर्गा मंदिर में पूजा-अर्चना 1925 से प्रांरभ हुई। तब हरिप्रसाद पूजा का बीड़ा उठाया था। प्रारंभिक पूजा छोटे रूप में होती थी परंतु धीरे-धीरे विस्तार होता गया। चरघरा रोड की प्रतिमा का निर्माण रूपनारायणपुर के कलाकार साहेब लाल करते हैं। प्रखंड के पूजा पंडाल में सबसे बड़ा पंडाल यही पर बनी है। नेपाल मंडल ने पूजा पंडाल, लाइट की व्यवस्था व साउंड की व्यवस्था की है। महल की तरह इस पंडाल का निर्माण किया गया है। साथ ही अंदर में फूल बेलपत्र आदि की सजावट की गई है। सुभाष चौक से पूजा पंडाल तक व सुखल पोखरा तक लाइट की सुसज्जित व्यवस्था की जा रही है। यह सबों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगा।

पूजा समिति के अध्यक्ष विनोद मंडल ने बताया कि इस पूजा-अर्चना में कुल ढाई लाख रुपये की खर्च आती है। यहां पूजा वैष्णवी होती है मंडप की मूर्ति की वेदी पर स्थापित प्रतिमा की पूजा षष्ठी से होती है। इसी दिन मंदिर का पट खुलता है। सप्तमी और अष्टमी में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। अष्टमी के दिन प्रसाद बंटता है। पूजा काको मठ धनबाद के शंभू नाथ द्विवेदी करवाते हैं। पूजा-अर्चना के बाद एकादशी के दिन भव्य मेले का आयोजन करमाटांड़ किया जाता है। अगले दिन चरघरा मेले के बाद मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। बाजार के सभी लोग एक साथ मिलकर मां की प्रतिमा का विसर्जन धूमधाम से करते हैं। समिति अध्यक्ष विनोद मंडल ने बताया कि मंडप में लोगों को पॉलीथिन मुक्त व स्वच्छता के प्रति जागरूक करने किया जा रहा है।


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