बारिश व ठंड से जन जीवन अस्त-व्यस्त
संवाद सहयोगी, जामताड़ा : पिछले तीन दिनों से घने कोहरे व बादलों तथा रिमझिम बारिश की च
संवाद सहयोगी,
जामताड़ा : पिछले तीन दिनों से घने कोहरे व बादलों तथा रिमझिम बारिश की चपेट से मंगलवार को भी लोगों को मुक्ति नहीं मिली। सुबह में कोहरा छंटा तो लगा अब राहत मिलेगी, लेकिन धूप की जगह बादल और गहरे हो गए। दिन भर बूंदाबांदी होती रही। सोमवार रात को हवाएं बदली और पछुआ चलने से शीतलहर ने ठंड और बढ़ा दी। पिछले कई दिनों से मौसम में उतार-चढ़ाव चल रहा है। पिछले दो दिन सोमवार व मंगलवार को नियमित बूंदाबांदी जारी है। इससे पूर्व शनिवार व रविवार को भी पूरे दिन बादल छाया रहा और हवा का प्रकोप जारी है। सोमवार को दिन में पूर्वोत्तर हवाएं चल रही थीं और मौसम में बादल के साथ बूंदाबांदी बारिश होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। शाम को अचानक हवाओं का रुख बदला और पछुआ चलने लगी। इससे शीतलहर एवं कोहरा बढ़ने आशंका तेज हो गई है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो यदि बादल रहे तो ठंड कम रहेगी तथा शीत लहरी चली तो ठंडक और बढ़ेगी। मंगलवार को न्यूनतम तापमान 12 डिग्री सेल्सियस तथा अधिकतम 16 डिग्री सेल्सियस रेकार्ड किया गया।
--- शहर रहा वीरान : पिछले तीन दिनों से मौसम कुछ इस तरह का हो गया है कि इससे व्यापारियों का व्यवसाय चौपट हो रहा है। न तो ठीक ढंग से बरसात हो रही है और न ही आसमान साफ हो रहा है। जबकि महज नया साल के साथ कई महत्वपूर्ण त्योहार दरवाजे पर दस्तक दे चुका है। शहर में चहल कदमी रेस होना था लेकिन दिन भर बूंदाबादी होते रहने के कारण दूसरे दिन भी ऐसे मौसम में ग्राहकों का घर से निकलना मुश्किल हो गया। दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ काफी कम हो गई है। दर्जनों प्रतिष्ठान तो खोला गया लेकिन कई घंटा ग्राहक के इंतजार के बाद बंद कर दिया गया। स्थानीय मुख्य बाजार, सब्जी बाजार, सुभाष चौक आदि बाजारों की दुकानों पर ग्राहकों का टोटा रहा। लोग अपने घर या मोहल्ला के प्रमुख स्थानों पर चूल्हा व अलाव जलाकर समय काटते रहे व ठंड से मुक्ति पाने का प्रयास किया। जबकि सरकारी स्तर से अलाव की व्यवस्था आरंभ नहीं हो सकी है।
------ ठंड के मौसम में पशुपालन में सावधानी : ठंड के मौसम में पशु -पक्षियों की देखभाल बहुत ही सावधानी और उचित तरीके से करनी चाहिये। ठंड के मौसम में पशुपालन करते समय मौसम में होने वाले परिवर्तन से पशुओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है, परंतु ठंड के मौसम में पशुओं की दूध देने की क्षमता शिखर पर होती है तथा दूध की मांग भी बढ़ जाती है। ऐसे में ठंड के मौसम में पशुपालन करते समय पशु प्रबंधन ठीक न होने पर मवेशियों को ठंड से खतरा पहुंचेगा। दुधारू पशुओं की विशेष सुरक्षा नहीं की गई तो दूध कम कर देंगे। ये सलाह जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. बी चौधरी ने पशुपालकों को दी है। कहा कि शीतलहरी में पशुओं को खुली जगह में न रखें, ढके स्थानों में रखे, पशुशाला के खुले दरवाजों व खिड़कियों को चटाई या बोरे से ढंक दें। पशुशाला में गोबर और मूत्र निकास की उचित व्यवस्था हो ताकि जल जमाव न हो सकें। संभव हो तो बासी पानी पशुओं को न पिलाए।
---- नियमित कई दिन तक बूंदा बांदी बारिश से जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। ऐसे मौसम में बारिश से कई स्थानों पर जलजमाव, कीचड़ व गंदगी से पैदा होने वाले मच्छर व बैक्टीरिया बीमारियां फैलाते हैं। इसके अलावा मौसम में नमी के कारण बैक्टीरिया अधिक पनपते हैं जो पानी और खाद्य पदार्थो को दूषित कर, शरीर की बीमारियों का कारण बनते हैं। खास कर मलेरिया जल जमाव में होने वाली आम बात है लेकिन गंभीर संक्रामक बीमारी है, जो जलजमाव से पैदा होने वाले मच्छरों के काटने से होती है। वहीं डेंगू बुखार भी मच्छरों के काटने से ही फैलता है, लेकिन डेंगू फैलाने वाले मच्छर साफ पानी में पनपते हैं,। इससे बचने के लिए मच्छरों से बचें और घर से निकलने से पहले शरीर को पूरी तरह ढंककर रखें
---- जल जमाव से परेशानी : पिछले सोमवार से हो रहे नियमित बूंदाबांदी से शहर में जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जल जमाव की समस्या केवल सड़कों पर ही नहीं बल्कि सार्वजनिक स्थानों पर भी देखने को मिली। जल जमाव से जहां आवाजाही में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है वहीं जगह-जगह जल जमाव के कारण ठंड को बढ़ावा भी मिल रहा है। इधर सुभाष चौक, राजकीय बालिक उच्च विद्यालय के पास सड़क में, कोर्ट रोड, राजबाड़ी रोड समेत कई अन्य मार्ग में सड़क जाम की स्थिति दिखाई देखने को मिली। वहीं पुराना कोर्ट परिसर, बस स्टैंड, गांधी मैदान, प्रखंड परिसर समेत कई अन्य स्थानों पर जल जमाव की समस्या से लोगों को जूझते देखा गया।