जिले में बेहतर बारिश के बूते 2600 हेक्टेयर खेतों में हुई धनरोपनी
जामताड़ा सावन माह की शुरुआत में ही नियमित झमाझम बारिश ने किसानों में आस जगा दी है। च
जामताड़ा : सावन माह की शुरुआत में ही नियमित झमाझम बारिश ने किसानों में आस जगा दी है। चार दिनों से हो रही बारिश के बीच धीमी गति से चल रही धनरोपनी को गति मिली है। किसान खेतों में उतर आए हैं और खेत तैयार करने के साथ धान रोपने में जुट गए हैं। पहली जुलाई से जिले के विभिन्न क्षेत्रों में झमाझम बारिश प्रतिदिन हो रही है। 1 से 8 जुलाई तक जिले में 90.8 मिमी. बारिश हुई है। जामताड़ा प्रखंड में सबसे अधिक 115 मिमी जबकि सबसे कम कुंडहित प्रखंड में 38 मिमी बारिश सात दिनों में हुई है। बेहतर बारिश से चार दिनों में धनरोपनी चार गुना बढ़ी है। चार दिन पूर्व 650 हेक्टेयर खेतों में धान रोपा गया था जो बढ़कर बुधवार तक 2600 हेक्टेयर हो गया है। किसान ऊंचे स्थानों में धनरोपनी के लिए अंतिम तैयारी में जुटे हैं। बारिश ऐसे ही होती रही तो जुलाई माह के अंत व अगस्त माह के पहले सप्ताह तक लक्षित 52000 हेक्टेयर खेतों में धनरोपनी पूरी हो जाएगी।
---जल प्रबंधन का अनुकूल समय : कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख संजीव कुमार कहते हैं कि किसानों के लिए जल प्रबंधन का यह सबसे अनुकूल व बेहतर समय है। पूरे जिले में जलसंकट एक भयानक समस्या है। लगातार गिरते भूमिगत जलस्तर व सूखते जलस्त्रोतों को रिचार्ज करने व इसमें जलसंचय करने का यही मौका है। तालाब, जोरिया, नदी-नाले, कुआं, जलकुंड और डोभा में पानी का संग्रह अधिक से अधिक करने के प्रति लोगों को गंभीर होना चाहिए। कहा कि बीते वर्षो में सुखाड़ की वजह से धान व अन्य फसलों की उपज में भारी क्षति को पाटना तो संभव नहीं है, लेकिन जलसंचय कर बहुत हद तक किसान अपनी फसलों की रक्षा कर सकते हैं। इसके लिए कृषकों को खेत का पानी खेत में और गांव का पानी गांव में संचित करने के लिए जुट जाना चाहिए।
---जल प्रबंधन से आएगी खुशहाली : जिला कृषि पदाधिकारी सबन गुड़िया ने कहा कि उचित जल प्रबंधन से ही खुशहाली संभव है। इसके लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। घटते भूगर्भ जल स्त्रोत को रोकना ही नहीं बल्कि जलस्त्रोत में भी वृद्धि करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि उचित जल प्रबंधन के तरीकों को अपनाकर हरेक व्यक्ति जल प्रबंधन में सहयोगी बन सकता है। भूमि की स्थिति व मिट्टी के प्रकार को समझते हुए वर्षा जल प्रबंधन, उचित सिचाई विधि से पानी की बचत बढ़ाई जा सकती है। बेहतर बारिश की वजह से धनरोपनी को काफी गति मिली है। कहा कि अब तक 2600 हेक्टेयर खेतों में धान रोपने का कार्य पूर्ण किया गया है।