रमजान में अल्लाह की इबादत घरों में करें
जामताड़ा रहमत और बरकत का महीना माहे रमजान की आगाज होनेवाली है साथ ही कोरोना का भी प्रकोप आस-पड़ोस के जिले व देश में फैला हुआ है ऐसे में परहेज ही एकमात्र उपाय है उक्त बातें शुक्रवार को मौलाना अब्दुल करीम ने कहा।
जामताड़ा : रहमत और बरकत का महीना माहे रमजान की आगाज होनेवाली है, साथ ही कोरोना का भी प्रकोप आस-पड़ोस के जिले व देश में फैला हुआ है ऐसे में परहेज ही एकमात्र उपाय है उक्त बातें शुक्रवार को मौलाना अब्दुल करीम ने कहा। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कोरोना के मद्देनजर रमजान को सादगी के साथ मनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने सरकार द्वारा घोषित मार्गदर्शन का हौसला अफजाई किया है। कहा कि अगर स्वस्थ रहना है तो रमजान के महीने में किसी भी परिस्थिति में सामूहिक रूप से रोजेदार रोजा न खोलें व नमाज अदा न करें। ऐसी बात नहीं है कि अल्लाह की इबादत करने से मना किया गया है। अल्लाह से रोजा रखते हुए मग फीरत मांगे और महामारी की इस बीमारी से अपने वतन को महफूज रखने की दुआ मांगे। इबादत अपने घरों में शारीरिक दूरी बनाकर कर सकते हैं लेकिन मस्जिदों में सामूहिक रूप से नमाज पढ़ने पर पूर्ण प्रतिबंध है। इफ्तार करने के बाद एक-दूसरे से हाथ मिलाना, गले मिलना और अपने घरों में इफ्तार पार्टी का आयोजन न करें और न ही अपने आसपास होने दें। रमजान के महीने में खानपान का अतिरिक्त दुकान नहीं लगाना है। रोजेदार जरूरत की सामग्री शारीरिक दूरी का पालन करते हुए चिह्नित दुकानों से एक बार में सात से 10 दिनों का सामान खरीदकर रख लें । सेहरी और इबादत भी अपने-अपने घरों के अंदर ही करने तथा कोरोना महामारी संक्रमण से बचाव के लिए समुदाय के लोगों से अपील किया।