उपाधीक्षक गायब, गरीबों की चिकित्सा प्रभावित
जामताड़ा अस्पताल उपाधीक्षक के पिछले एक पखवारा से अवकाश में रहने के कारण सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सेवा बाधित होने लगी है। मरीजों को समुचित इलाज की सुविधा नवजात को जन्म प्रमाणपत्र प्रोत्साहन राशि समेत अन्य कार्य समय पर पूरा नहीं हो रहा। इतना ही नहीं रेफर मरीजों को एम्बुलेंस व आवश्यक दवा क्रय की प्रक्रिया भी ठप हो चुकी है।
जामताड़ा : अस्पताल उपाधीक्षक के पिछले एक पखवारा से अवकाश में रहने के कारण सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सेवा बाधित होने लगी है। मरीजों को समुचित इलाज की सुविधा, नवजात को जन्म प्रमाणपत्र, प्रोत्साहन राशि समेत अन्य कार्य समय पर पूरा नहीं हो रहा। इतना ही नहीं रेफर मरीजों को एम्बुलेंस व आवश्यक दवा क्रय की प्रक्रिया भी ठप हो चुकी है। वर्तमान समय में प्रभारी सदर अस्पताल प्रबंधक वैकल्पिक व्यवस्था में स्वास्थ्य सेवा किसी तरह चलाने का काम कर रही है। लेकिन जहां उपाधीक्षक के हस्ताक्षर का सवाल होता है वहां उनके भी हाथ बंध जाते हैं।
पूर्व में कई सालों से डॉ. डीसी मुंशी अस्पताल उपाधीक्षक के पद पर पदस्थापित थे। राज्य मुख्यालय से नवंबर माह के पहले सप्ताह में डॉ. चंद्रशेखर आजाद का पदस्थापन हुआ। डॉ. चंद्रशेखर ने पिछले 9 नवंबर को सदर अस्पताल में उपाधीक्षक के पद पर योगदान कर प्रभार लिया। पुन: 10 नवंबर को पूर्व पदस्थापित केंद्र में प्रभार देने की बात कहकर यहां से गए। उसके बाद से सेहत खराब होने की वजह बताकर वे सीएस से तीन चरणों में अवकाश ले चुके हैं। इसके लिए ईमेल भेजा गया। विभागीय सूचना के अनुरूप 30 नवंबर तक डॉ. चंद्रशेखर सदर अस्पताल पहुंच सकते हैं। हालांकि सीएस डॉ. आशा एक्का के मौखिक निर्देश पर सदर अस्पताल में पदस्थापित चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. डीसी मुंशी को उपाधीक्षक से संबंधित कार्य में सहयोग करने को कहा है।
-- 400 से अधिक जन्म प्रमाणपत्र लंबित : सदर अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 15 गर्भवती महिलाओं का प्रसव होता है। नवजात का जन्म प्रमाणपत्र सदर अस्पताल से निर्गत होता है। वर्तमान समय में हर काम के लिए जन्म प्रमाणपत्र अनिवार्य है। ऐसे में पिछले 15-20 दिनों से जन्म प्रमाणपत्र निर्गत कार्य ठप हो चुका है। परिवारवाले जन्म प्रमाणपत्र लेने सदर अस्पताल पहुंचते हैं, लेकिन कर्मियों का एक ही जवाब उपाधीक्षक अवकाश में हैं, आने पर मिलेगा। अस्पताल कर्मियों को भी मालूम नहीं कि उपाधीक्षक कब तक अवकाश पर हैं।
-- प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं हो रहा : बंध्याकरण व पुरुष नसबंदी करानेवाले महिला, पुरुष एवं प्रसव महिला को प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। प्रोत्साहन का उद्देश्य मरीजों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना है। इतना ही नहीं बंध्याकरण व नसबंदी के साथ संस्थागत प्रसव कराने को सदर अस्पताल पहुंचानेवाले प्रेरक को भी प्रोत्साहन राशि मिलती है। उपाधीक्षक के अभाव में इन सभी कार्यो पर भी ग्रहण लग चुका है। इन समस्याओं के निदान की मांग मरीज के परिजन व अस्पताल कर्मियों ने सीएस से कर चुके हैं।
-- अस्पताल प्रबंधन के समक्ष राशि को टोटा : सदर अस्पताल चलाने के लिए प्रतिदिन विभिन्न कार्य के लिए राशि खर्च होती है। अस्पताल की साफ-सफाई को सामग्री क्रय, रेफर बीपीएल मरीजों को अन्य अस्पताल पहुंचाने के लिए वाहन में ईधन पानी, बिजली व्यवस्था दुरुस्त करने, आपातकालीन सेवा में आवश्यक दवा की खरीदारी में तत्काल राशि लगती है। ये सारे कार्य प्रभावित हो रहे हैं। खर्च राशि का विपत्र उपाधीक्षक की स्वीकृति के उपरांत संबंधित बैंक खाता से राशि निकलेगी और भुगतान संभव होगा।
--- क्या कहते हैं लोग : रामदेव मुर्मू, गुणाधर सोरेन, यासिन मियां, सकूर अंसारी, सुखेन मंडल, राजाराम प्रसाद, गायत्री देवी, कृष्णा देवी समेत कई अन्य ने बताया कि पिछले एक पखवारे से अधिक दिनों से उपाधीक्षक नहीं रहने के कारण मरीज व उसके परिजनों को परेशानी हो रही है। जन्म प्रमाणपत्र निर्गत नहीं हो रहा है। अस्पताल में कर्मियों की मनमानी व लचर स्वास्थ्य व्यवस्था बढ़ ही रही है। प्रोत्साहन राशि भी नहीं मिल रही।
--वर्जन :
अस्पताल उपाधीक्षक की सेहत खराब है। उन्होंने आवेदन देकर अवकाश की मांग की है। उम्मीद है 30 नवंबर तक ड्यूटी में योगदान देंगे। वर्तमान समय में चिकित्सा सेवा सुव्यवस्थित रखने के लिए प्रभारी प्रबंधक व डॉ. डीसी मुंशी को सक्रिय रहने को कहा गया है। 108 नंबर की एंबुलेंस पर्याप्त संख्या में उपलब्ध है। कहा कि उपाधीक्षक के हस्ताक्षर से संबंधित कार्य बाधित हैं। 30 नवंबर तक नहीं योगदान देने की स्थिति में राज्य मुख्यालय को सूचित कर वैकल्पिक व्यवस्था की मांग की जाएगी। वित्तीय प्रभार राज्य मुख्यालय से प्राप्त होता है। यह मेरे क्षेत्राधिकार से बाहर है। ---डॉ. आशा एक्का, सीएस।