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प्रशासनिक जांच में नहीं पाई गई भूख से मौत

जामताड़ा : करमाटांड़ करमाडीह ग्राम में मांगा राम बावरी व कालाझरिया की दुखी देवी की मौ

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Aug 2018 07:32 PM (IST)Updated: Fri, 24 Aug 2018 07:32 PM (IST)
प्रशासनिक जांच में नहीं पाई गई भूख से मौत
प्रशासनिक जांच में नहीं पाई गई भूख से मौत

जामताड़ा : करमाटांड़ करमाडीह ग्राम में मांगा राम बावरी व कालाझरिया की दुखी देवी की मौत की प्रशासनिक जांच में कहीं से भी भूख व आर्थिक तंगी से मौत होने का तथ्य उजागर नहीं हुआ है। दोनों मामलों की जांच अपर समाहर्ता विधान चंद्र चौधरी से कराई गई। जबकि अखबारों में (दैनिक जागरण नहीं) भूख से मौत की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी। जांच रिपोर्ट के आधार पर ये बातें यहां शुक्रवार को उपायुक्त आदित्य कुमार आनंद ने प्रेस वार्ता के दौरान कही।

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उपायुक्त ने बताया कि 23 मार्च को दो विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का स्वत: संज्ञान लेते हुए खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग की ओर से निर्गत पत्र के आलोक में अपर समाहर्ता विधान चन्द्र चौधरी से पूरे मामले की जांच कराई थी। करमाडीह ग्राम के जिस मांगा राम बावरी की मौत हुई थी उनकी पत्नी बिया बाउरी के नाम से अंत्योदय कार्ड संख्या 20 0350 2402 पूर्व से निर्गत है। पत्नी को डीलर से प्रत्येक माह 35 किग्रा. चावल मुहैया कराया जाता रहा है। इस माह की 15 तारीख को भी डीलर ने लुबिया बावरी को 35 किग्रा. चावल दिया था। जबकि मृतक के पुत्र अजीत बावरी के नाम से भी पीएच कार्ड निर्गत है जिस पर प्रत्येक माह उन्हें भी 20 किग्रा चावल उपलब्ध कराया जाता है। इस माह की 13 तारीख को उसे डीलर ने चावल दिया था। मृतक की उम्र 60 वर्ष नहीं होने का कारण उन्हें सामाजिक सुरक्षा पेंशन से आच्छादित नहीं किया गया था। ऐसे में अनाज रहने के बावजूद भूख से मौत किसी की कैसे हो सकती है।

दुखी देवी को मिला था अनाज व तीन माह की पेंशन : डीसी ने दूसरे मामले के बाबत बताया कि कालाझरिया निवासी दुखी देवी उम्र करीब 72 वर्ष की मृत्यु हुई थी। दुखी देवी के नाम से पीएच राशन कार्ड बना हुआ है जिसका कार्ड संख्या 69 पर इसी अगस्त में 10 किग्रा चावल एवं ढाई लीटर केरोसिन तेल डीलर ने दिया है। दुखी देवी वृद्धावस्था पेंशन से भी आच्छादित थीं व इसी 10 जुलाई को तीन माह की पेंशन की राशि 1800 रुपये का भुगतान उनके बैंक खाते के माध्यम से किया गया था। इस राशि की निकासी भी उसने कर ली थी। ऐसे में मौत के दोनों ही मामले को भूख व आर्थिक तंगी से जोड़ना बेबुनियाद व तथ्य से परे हैं।

आकस्मिक खाद्यान्न कोष में राशि की कमी नहीं : डीसी ने सरकार की ओर से गठित झारखंड राज्य आकस्मिक खाद्यान्न कोष में राशि की कमी नहीं होने की बात कही। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक पंचायत तथा नगर क्षेत्र में प्रत्येक वार्ड के लिए नगर निकाय को राशि उपलब्ध करा दी गई है। किसी भी आकस्मिकता की स्थिति में इस राशि से बाजार समिति की दर से स्थानीय बाजार से 10 किलो चावल क्रय करते हुए लाभुक को उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है। साथ ही अन्नपूर्णा योजना का भी जिला में क्रियान्वयन कराया जा रहा है। इसके लिए प्रत्येक अंचलाधिकारी को सरकार के स्तर से प्राधिकृत किया गया है। इस योजना में वैसे लाभुकों को शामिल किया जाना है जिनकी उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक है तथा जो पेंशन पाने की अहर्ता रखते हैं लेकिन किसी कारणवश उन्हें अभी तक पेंशन से आच्छादित नहीं किया गया है। डीसी ने बताया कि ऐसे लोगों के लिए प्रत्येक माह उन्हें 10 किलो अनाज मुहैया कराया जाना है। जिले में इसके लिए लगभग 1474 लाभुकों का चयन अंचल अधिकारी ने किया है। पूरे जिले में सारी योजनाओं का बेहतर कार्यान्वयन कराया जा रहा है।


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