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Cyber crime: ई-वॉलेट से काले धन को सफेद कर रहे साइबर अपराधी Jamtara News

Cyber criminal. मोबाइल के ईजी रिचार्ज के साथ अन्य ऑनलाइन भुगतान में भी साइबर अपराधी रकम उड़ाने का काम कर रहे हैं।

By Edited By: Published: Sat, 22 Jun 2019 10:53 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jun 2019 03:43 PM (IST)
Cyber crime: ई-वॉलेट से काले धन को सफेद कर रहे साइबर अपराधी Jamtara News
Cyber crime: ई-वॉलेट से काले धन को सफेद कर रहे साइबर अपराधी Jamtara News

जामताड़ा, प्रमोद चौधरी। देश की साइबर क्राइम कैपिटल के रूप में विख्यात हो चुके जामताड़ा के अपराधी बैंक खाताधारकों के खाते का कोड पता कर रकम उड़ाते हैं। ऑनलाइन भी रकम निकाल लेते हैं। अब उन्होंने ठगी का एक और तरीका अख्तियार किया है। सरकारी एजेंसी या अन्य कहीं होने वाले भुगतान पर संबंधित व्यक्ति की नकदी लेकर ऑनलाइन भुगतान कर देते हैं। भुगतान के लिए साइबर अपराधी ई-वॉलेट का प्रयोग किया जाता है।

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पंजाब से जुड़ा ऐसा एक मामला सामने आने के बाद पुलिस के होश फाख्ता हैं। दरअसल, मोबाइल के ईजी रिचार्ज के साथ अन्य ऑनलाइन भुगतान में भी साइबर अपराधी रकम उड़ाने का काम कर रहे हैं। इस काम में साइबर अपराधियों के लिए गिरफ्तारी का जोखिम कम होता है। पंजाब, यूपी, एमपी जैसे राज्यों में सरकारी व गैर सरकारी किसी एजेंसी को भुगतान करना होता है तो साइबर अपराधी व एजेंट संबंधित उपभोक्ताओं से नकदी लेकर बदले में साइबर क्राइम से उड़ाई गई राशि का भुगतान ऑनलाइन कर दे रहे हैं। उड़ाई गई राशि वे फर्जी तरीके से बनाए गए ई-वॉलेट में रखते है। माना जा रहा है कि देश भर में ऑनलाइन ऐसे भुगतान करोड़ों रुपये में हो रहे हैं। जामताड़ा के करमाटांड़ थाना के हीरापुर से पांच साइबर अपराधी दबोचे गए हैं। इन्होंने जामताड़ा में बैठकर पंजाब के गुर्गे सह फ्रेंचाइजी सेंटर के एजेंट का इशारा मिलते ही यहां से अपने फर्जी ई-वॉलेट से पंजाब में बिजली पावर लिमिटेड को भुगतान कर दिया।

ऐसे करते हैं ई-वॉलेट से भुगतान
ऑनलाइन भुगतान में हो रही ठगी के मामले बढ़ने के बाद पुलिस की सक्रियता देख अपराधियों ने यह नई तकनीक निकाली है। सरकारी या किसी निजी कंपनी को ऑनलाइन भुगतान साइबर अपराधी अपने फर्जी ई-वॉलेट से करते हैं। इस ई-वॉलेट का सिम भी फर्जी ही होता है। यूपी, एमपी, राजस्थान, पंजाब, केरल, महाराष्ट्र आदि इलाकों में बिजली, टेलीफोन क्षेत्र में ऑनलाइन भुगतान के लिए फ्रेंचाइजी खोलकर बैठे लोगों के बीच ये अपने एजेंट बनाते हैं। साइबर अपराधी अपना लिंक बनाकर रखे हैं। जैसे ही कोई उपभोक्ता वहां भुगतान के लिए पहुंचता है, उनसे नकदी लेकर एजेंट साइबर अपराधी को कॉल कर देता है। ली गई राशि और भुगतान के लिए संबंधित सरकारी-गैर सरकारी कंपनी के नाम की जानकारी देता है। उपभोक्ता से मिली नकद राशि के एवज में यहां से साइबर अपराधी अपने ई-वॉलेट से उसका ऑनलाइन भुगतान कर देते हैं। बदले में वह एजेंट करार के मुताबिक चालीस से पचास फीसद तक की राशि कमीशन के रूप में काटकर शेष राशि साइबर अपराधी को सौंप देता है।

ई-वॉलेट से नकदी नहीं मिल सकती
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि ई-वॉलेट से केवल ऑनलाइन लेन-देन हो सकता है। इससे नकदी नहीं निकाली जा सकती। इसलिए साइबर अपराधी इसका इस्तेमाल करते हैं। साइबर अपराधी ई-वॉलेट से जिस राशि का भुगतान करता है वह विभिन्न बैंक खाताधारकों की वह राशि होती है जिसे उसने साइबर अपराध के जरिए उड़ाकर इस ई-वॉलेट में रखी होती है। इस गोरखधंधे में न तो भुगतान लेने वाली सरकारी व गैर सरकारी संबंधित एजेंसी को नुकसान होता है और न सेवा के बदले राशि जमा करने वाले ग्राहक को। नुकसान उसे होता है जिसकी रकम उड़ाई जाती है।

पुलिस की ये मुश्किलें
गोरखधंधे में सीधा दोषी साइबर अपराधी व फ्रेंचाइजी कंपनी का एजेंट है। पुलिस अनुसंधान कर राशि जमा करने वाले ग्राहक तक पहुंच भी जाएगी तो ग्राहक कहेगा कि उसने संबंधित एजेंट व काउंटर में नकदी देकर भुगतान किया है, पर मौके पर वह एजेंट मुकर जाता है। ऑनलाइन भुगतान करने वाला साइबर अपराधी तक पुलिस पहुंच नहीं सकती क्योंकि उसने फर्जी सिम के जरिए बने फर्जी ई-वॉलेट से संबंधित कंपनी को राशि का भुगतान किया है। टॉवर लोकेशन के जरिए उस साइबर अपराधी तक पहुंचना पुलिस के लिए काफी मुश्किल है।

ऐसे लग सकेगा अंकुश
ऑनलाइन भुगतान में फर्जीवाड़ा पर रोक के लिए ग्राहक को संबंधित कंपनी या एजेंसी के पास जाकर खुद भुगतान करना पडे़गा। वह किसी फ्रेंचाइजी या अन्य स्तर के काउंटर के जरिए भुगतान करवाता है तो दोनों ही स्थितियों में संबंधित पक्ष से अपने भुगतान का प्रमाणपत्र अवश्य ले। यही प्रमाणपत्र साक्ष्य रहेगा तो पुलिस भी संबंधित पक्ष पर कानूनी कार्रवाई कर पाएगी।

ऐसे हुआ गोरखधंधे का खुलासा
हाल में साइबर थाना इंस्पेक्टर ने करमाटांड़ के हीरापुर से पांच साइबर अपराधियों को रंगे हाथ दबोचा। उनके मोबाइल की जांच जब कराई गई तो पता कि उसमें बने फर्जी ई-वॉलेट से लंबे समय से यहीं से पंजाब बिजली पावर लिमिटेड को बिजली विपत्र के रूप में राशि का भुगतान किया जा रहा था। इनमें कादिर अंसारी, इशाक अंसारी, फिरोज अंसारी, शमसुल अंसारी व सरफराज अंसारी शामिल हैं। अपराधियों ने स्वीकार किया कि वे पंजाब स्टेट बिजली पावर लिमिटेड को वॉलेट से भुगतान वहां के रिटेलर के इशारे पर करते थे।

पंजाब पावर लिमिटेड को फर्जी ई-वॉलेट के जरिए किए गए भुगतान व पकड़े गए साइबर अपराधी के मामले में पुलिस अनुसंधान कर रही है। साइबर अपराधी नई-नई तकनीक का उपयोग कर रहे हैं पर पुलिस भी उनके नेटवर्क को तोड़ने में लगातार जुटी है।
-शैलेंद्र कुमार सिन्हा, एसपी, जामताड़ा।

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