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साइबर अपराधियों के निशाने पर पड़ोसी जिलों की एटीएम

जामताड़ा देश भर में होने वाल साइबर अपराध से जुड़े अपराधियों के अहम गढ़ के रूप में बदन

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 Mar 2019 06:51 AM (IST)Updated: Thu, 28 Mar 2019 06:51 AM (IST)
साइबर अपराधियों के निशाने पर पड़ोसी जिलों की एटीएम
साइबर अपराधियों के निशाने पर पड़ोसी जिलों की एटीएम

जामताड़ा : देश भर में होने वाल साइबर अपराध से जुड़े अपराधियों के अहम गढ़ के रूप में बदनाम जामताड़ा में सोमवार रात को पुलिसिया कार्रवाई से यह साबित हो गया कि यहां एटीएम कार्ड का क्लोन बन रहा है। करमाटांड़ में यह गिरोह बेधड़क क्लोनिग मशीन के जरिए कार्ड बनाकर दूसरे जिलों की एटीएम से राशि निकासी करता था। हालांकि इसकी भनक जामताड़ा साइबर सेल को पहले ही मिल चुकी थी, इसलिए जामताड़ा की सभी एटीएम में बैंक प्रबंधन के सहयोग से पुलिस की निगरानी कड़ी कर दी गई थी। ऐसे में स्थानीय अपराधी एटीएम के क्लोन कार्ड के जरिए रुपये की निकासी के लिए धनबाद, बोकारो, देवघर, आसनसोल से लेकर रांची व कोलकाता तक के एटीएम का निशाने बनाए हुए है। वे बाहरी जिलों से इसलिए रुपये की निकासी करते हैं ताकि पुलिस की नजर में अपराधियों का आवासीय ठिकाना जामताड़ा न चढ़े और वे ऑनलाइन ठगी को अप्रत्यक्ष लूट में बदलते रहे। इसलिए बढ़ी थी निगरानी : दरअसल महीने भर से जामताड़ा के सभी एटीएम में पुलिस ने चौकसी कड़ी कर दी थी। इसके लिए एसपी शैलेंद्र कुमार सिन्हा के निर्देश पर साइबर थाना की पुलिस ने हर बैंक प्रबंधन को हिदायत जारी की थी कि उनकी एटीएम में जो भी राशि निकासी करने को आएं तो उनका एटीएम कार्ड देखकर उस नाम से पहचान के तौर पर आधारकार्ड, ड्राइविग लाइसेंस, मतदाता पहचान पत्र आदि जरूर देख लें। शक होने पर पुलिस को तत्काल सूचना दें। इसी हिदायत पर यहां एटीएम में मौजूद सुरक्षा कर्मी रुपए निकासी को पहुंचने वाले लोगों का एटीएम कार्ड उससे जुड़े दूसरा पहचान पत्र देखता है। तब जाकर कार्ड धारक को रुपए निकालने की अनुमति देता है। उस समय साइबर पुलिस को सूचना थी कि क्लोन कार्ड यहां बनाया जा रहा है। उसका उपयोग साइबर अपराधी यहीं करेंगे। पर तू डाल-डाल तो मैं पात-पात की तर्ज पर साइबर अपराधी पुलिस से बचने को अपनी तरकीब निकाले हुए थे। वैसे तो पुलिस अभी कुछ बोल नहीं रही है पर यह संभव है कि कोदराटांड़ में जो क्लोनिग गिरोह दबोचा गया उसके पीछे पुलिस को सुरक्षा की इसी कड़ी व्यवस्था में किसी न किसी एटीएम से सुराग मिला हो।

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बता दें कि साइबर डीएसपी सुमित कुमार ने कुछ दिन पूर्व औपचारिक बातचीत में कहा था कि क्लोनिग के जरिए इस जिला के एटीएम से साइबर अपराधी निकासी नहीं कर सकते। ऐसी निकासी रोकने के लिए हर एटीएम में कड़ी निगरानी की व्यवस्था की गई है। हाल में करमाटांड़ के तीन लोग बने थे शिकार : देवडीह के लाल मोहम्मद के खाते से एटीएम क्लोनकार्ड के जरिए पांच बार में कुल 50 हजार रुपये, तेतुलबंधा निवासी राजेश मंडल के खात से दस बार में कुल एक लाख रुपये व कालाझरिया निवासी पुतुल देवी के खाते से 36500 रुपये की निकासी दूसरे जिलों की एटीएम से की गई थी। इनकी राशि की निकासी साइबर अपराधियों ने प. बंगाल के व‌र्द्धमान, आसनसोल व धनबाद जिले की एटीएम से की थी। यह अलग बात है कि कोदराटांड़ में गिरफ्तार सुकदेव मंडल, नवीन व किशोर का इसमें हाथ था या किसी अन्य साइबर आपराधिक गिरोह की संलिप्तता थी। -पुलिस के हत्थे चढ़ने का खतरा कम : क्लोन कार्ड के जरिए साइबर अपराधी इसलिए बाहरी जिलों की एटीएम से रुपये की निकासी करते हैं कि वहां उनपर आसानी से शक नहीं हो और न ही वह आगे चलकर पुलिस के हत्थे आसानी से चढ़ पाए। दरअसल क्लोन से जुड़े साइबर अपराधी का एकमात्र साक्ष्य एटीएम में पुलिस को यही मिल सकता है कि वहां लगे कैमरे में उसकी तस्वीर कैद रहेगी। इस साक्ष्य को हासिल कर उस अपराधी को पकड़ने में पुलिस को काफी माथापच्ची करनी पड़ेगी। जबकि ऑनलाइन ठगी में अपराधी पुलिस के लिए कई साक्ष्य छोड़ जाते हैं। वर्जन :

करमाटांड़ में क्लोन कार्ड बनाने का इनपुट पूर्व में मिला था। एटीएम में सुरक्षा व नगरानी बढ़ाने का एक कारण यह भी है। यहां के अपराधी ट्रेन व बस से बंगाल समेत अन्य नजदीक के जिलों में जाकर वहां की एटीएम से क्लोन कार्ड के जरिए राशि की निकासी करते हैं। अब क्लोनिग गिरोह से जुड़े साइबर अपराधियों पर और ताबड़तोड कार्रवाई होगी।

--- शैलेंद्र कुमार सिन्हा, एसपी, जामताड़ा।


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