साइबर अपराधी पेटीएम को बना रहे ठगी का हथियार
जामताड़ा जामताड़ा पूरे देश भर में साइबर फ्राड के लिए कलंकित है। साइबर ठग यहां पुलिस
जामताड़ा : जामताड़ा पूरे देश भर में साइबर फ्राड के लिए कलंकित है। साइबर ठग यहां पुलिस की सख्ती के अनुरूप अपराध की प्रवृति बदलते रहे हैं। पहले हेलो मास्टर, फिर कार्ड क्लोनिग व पासबुक हैक के जरिए ऑनलाइन ठगी को अंजाम देते थे तो अब इस लॉकडाउन में पेटीएम को ठगी का हथियार बनाया है। उन्हें हैलो मास्टर बनकर सीधा फोन करने के बजाए पर लिक व मैसेज को खाताधारकों को झांसा देने का अहम जरिया बनाया है। खाताधारकों का मोबाइल एक्सेस करने के लिए उन्हें एप भी डाउनलोड करवाता है। एप डाउनलोड करने के साथ खाता धारकों के मोबाइल में पहले से स्टोर सारे ट्रांजेक्शन की जानकारी पल भर में चुरा लेता है फिर उनके बैंक संबंधित खातों से ऑनलाइन राशि उड़ाना शुरू कर देता है। मंगलवार को यहां नारायणपुर के झिलुवा से दबोचा गया सरगना जीतेंद्र मंडल ऐसे ही ठगी करता रहा है। वह उत्तराखंड पुलिस का भी वांछित है।
मई में ही अल्मोड़ा के खाताधारक से एक लाख की ठगी की : लॉकडाउन अवधि में साइबर अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ी है। इसका एक प्रमाण नारायणपुर थाना के झिलुवा गांव से सरगना जीतेंद्र मंडल समेत तीन अपराधियों की गिरफ्तारी की घटना ही है। एसपी अंशुमान कुमार की सूचना पर जामताड़ा साइबर थाना के प्रभारी सह इंस्पेक्टर सुनील चौधरी ने जीतेंद्र के साथ जलेश्वर मंडल व मुकेश मंडल को भी दबोचा। पूछताछ में उन्होंने पुलिस के समक्ष स्वीकार किया कि अब वे एटीएम खाता धारकों को हैलो मास्टर बनकर फोन करने का जहमत नहीं उठाते और न इस तकनीक पर अपना समय बर्बाद करते। क्योंकि जागरूकता की वजह से मोबाइल धारक अब पहले जैसा अपने बैंक खातों की जानकारी आसानी से नहीं देते। इसीलिए पेटीएम एकाउंट के जरिए बैंक खताधारकों के गोपनीय नंबर का पता करते हैं और ऑनलाइन ठगी करते हैं। पुलिस के मुताबिक जीतेंद्र ने उत्तराखंड के अलमोड़ा के पेटीएम खाताधारक को भी एक लाख की चपत इसी मई में लगाई है। वह भी पेटीएम के जरिए उनके बैंक की सारी जानकारी लेकर। मंडल को उत्तराखंड की पुलिस भी ढूंढ रही है। नोएडा व अहमदाबाद पुलिस से भी वहां से जुड़े इसके आपराधिक तार की जानकारी जामताड़ा साइबर थाना की पुलिस ले रही है।
ऐसे कर रहा ठगी : पुलिस भी कहती है कि हाल के दिनों में साइबर अपराधी पेटीएम को ही ऑनलाइन ठगी का हथियार ज्यादा बना रहे हैं। अपराधी मोबाइल पर झांसा देने के बजाए मैसेज व लिक का उपयोग कर रहा। वे पेटीएम खाते के केवाईसी के नाम पर लोगों को फंसाता है। वह संदेश देता है कि पेटीएम केवाईसी की अवधि समाप्त हो रही है। 24 घंटे के अंदर अपडेट कराएं, अन्यथा खाता बंद हो जाएगा। साइबर अपराधियों के मुताबिक जब खाताधारक कॉल करता है तो वे क्वीक सपोर्ट एप डाउनलोड करवाता है। झांसा में आकर यह एप डाउनलोड करने के साथ ही अपराधी संबंधित पेटीम खताधारक के मोबाइल को खुद एक्सेस करने लगता है। खाता धारक से कुछ रुपयों का ट्रांजैक्शन करवाने के साथ अपराधी को पासवर्ड व ओटीपी की जानकारी भी खुदबखुद स्क्रीन पर मिल जाती है। फिर वे राशि ऑनलाइन उड़ाने लगते हैं।
ऐसे बचें : साइबर थाना प्रभारी सुनील चौधरी कहते हैं कि बेवजह बिना जांचे-परखे फोटोग्राफ्स, एप, वीडियो डाउनलोड करने से परहेज करें। किसी भी लिक को बेवजह क्लिक न करें। कई लोग मोबाइल पर लिक भेजते हैं और उसे क्लिक करने को कहते हैं। ऐसे में क्लिक करने पर आपके बैंक खाता से जुड़े व अन्य गोपनीय दस्तावेज उस मोबाइल में है तो वह लिक भेजनेवाले तक पहुंच सकता है। या फिर गायब हो सकता है। आपके सोशल साइट्स पर एकाउंट की क्लोनिग भी हो सकती है। इसलिए बेवजह के लिक व मैसेज से सावधान रहें।
वर्जन : जेल भेजा गया झिलुवा निवासी जीतेंद्र मंडल ने उत्तराखंड के अलमोड़ा के पेटीएम खाताधार को झांसा में लेकर ऑनलाइन राशि की चपत लगाई है। अन्य किन-किन राज्यों तक पेटीम के जरिए ठगी का जाल इसने बुना था, उसकी भी जांच की जा रही है। इसके उस सहयोगी पेटीएम कर्मी की भी पहचान की जा रही है जिसके सहयोग से जीतेंद्र ने देश भर के पेटीएम खाताधारकों का नम्बर हजारों की संख्या में हासिल किया है। साइबर अपराध से बचने के लिए मोबाइल में आ रहे फिजूल के लिक व संदेशों को क्लिक कर न खोलें और न गूगल में जाकर संपर्क नबंरों की जानकारी लें। ये साइबर अपराधी का फर्जी नंबर भी हो सकता है।
अशुंमान कुमार, एसपी, जामताड़ा।