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करमदाहा मेला में अश्लील कार्यक्रम पर प्रशासन चौकस

नारायणपुर (जामताडा़) मकरसंक्रांति के अवसर पर प्रत्येक वर्ष प्रखंड के करमदाहा दुखिया महादेव मंदिर प्रांगण में 15 दिवसीय ऐतिहासिक करमदाहा मेला का आयोजन भी होता है। आगामी 15 जनवरी से विधिवत रूप से मेले का आयोजन आरंभ हो जाएगा। गत वर्ष करमदाहा मेला की बंदोबस्त छह लाख 70 हजार रुपये की ऊंची रकम में हुई। इस वर्ष अभी तक मेला की बंदोबस्ती नहीं हुई है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Jan 2020 05:02 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jan 2020 05:02 PM (IST)
करमदाहा मेला में अश्लील कार्यक्रम पर प्रशासन चौकस
करमदाहा मेला में अश्लील कार्यक्रम पर प्रशासन चौकस

नारायणपुर (जामताडा़) : मकरसंक्रांति के अवसर पर प्रत्येक वर्ष प्रखंड के करमदाहा दुखिया महादेव मंदिर प्रांगण में 15 दिवसीय ऐतिहासिक करमदाहा मेला का आयोजन भी होता है। आगामी 15 जनवरी से विधिवत रूप से मेले का आयोजन आरंभ हो जाएगा। गत वर्ष करमदाहा मेला की बंदोबस्त छह लाख 70 हजार रुपये की ऊंची रकम में हुई। इस वर्ष अभी तक मेला की बंदोबस्ती नहीं हुई है। वर्ष 2017 में मेला दो लाख 90 हजार 500 रुपये में हुई थी। पिछले वर्ष डाक में अचानक काफी उछाल देखा गया था। मेला में इस वर्ष झूला, मौत का कुआं, ड्रेगन आदि मनोरंजन के साधन उपलब्ध है। हालांकि इस वर्ष थियेटर व अश्लील डांसवाले कार्यक्रम (बूगी-बूगी) पर प्रशासन की रोक है। साथ ही रात्रि दस बजे के बाद माइक भी नहीं बजेगा। मेले में इस क्षेत्र के अलावा गिरिडीह, धनबाद, देवघर आदि जिलों के लोग तो आते ही हैं पड़ोसी राज्य बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा आदि प्रांतों से भी लोग यहां व्यवसाय करने आते हैं। मेला में सुरक्षा के मद्देनजर प्रशासन का चाक-चौबंद व्यवस्था की जाती है। मेला में दंडाधिकारी की प्रतिनियुक्ति के साथ ही पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल को भी तैनात किया जाता है। हालांकि वर्तमान समय में करमदाहा में सुरक्षा बल तैनात हैं। मेला में बिकनेवाला लोहे का समान, खाजा काफी प्रसिद्ध है। मेला का खाजा का वजन एक से दो किलो तक होता है। पूर्व में खाजा का वजन और भी ज्यादा हुआ करता था परंतु समय के साथ खाजे का आकार छोटा होते गया। फिर भी मेला आए लोग इसे अपने साथ ले जाना नहीं भूलते हैं। कर्ण नामक एक राजा 17वीं सदी के मध्य में शिकार खेलने के क्रम में करमदाहा आए थे, तब उन्होंने बराकर नदी के पानी की दह से दुखिया महादेव शिवलिग की खोज की थी। तब इस स्थान का नाम कर्णदाहा रखा गया था बाद में नाम परिवर्तित करके करमदाहा कर दिया गया है। करमदाहा मेला में पहुंचने के लिए नारायणपुर, गोविदपुर, जुम्मन मोड़ आदि स्थानों से बस, टेंपो की सुविधा उपलब्ध है। बराकर नदी पर वर्ष 2001 में उच्चस्तरीय पुल बनने व गोविदपुर-साहिबगंज हाइवे बनने के बाद करमदाहा मेले की भव्यता दिन व दिन बढ़ती जा रही है। मेला के मद्देनजर मंदिर प्रबंधन समिति ने दुखिया महादेव मंदिर की साफ-सफाई रंगरोगन, साज-सज्जा का कार्य पूर्ण कर लिया है। मकर संक्रांति के अवसर पर लगनेवाले इस मेला में शामिल होने आए लोग सर्वप्रथम बराकर नदी में पवित्र स्नान करते हैं दुखिया महादेव की पूजा-अर्चना के बाद ही मेले का आनंद लेते हैं।

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संकीर्तन : प्रखंड के करमदाहा स्थित दुखिया महादेव मंदिर प्रांगण में प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी 24 पहर अखंड हरिनाम संकीर्तन का आयोजन मंदिर परिसर में किया जाएगा। उक्त जानकारी देते हुए आयोजक सीताराम गोस्वामी ने बताया कि 24 घंटे तक अखंड हरिनाम संकीर्तन का आयोजन किया जाएगा। उक्त संकीर्तन में धनबाद जिले की कीर्तन मंडली भाग लेगी। आयोजन को सफल बनाने की आवश्यक तैयारियां पूरी की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि पूर्णाहुति के बाद श्रद्धालुओं के बीच खिचड़ी प्रसाद का वितरण किया जाएगा।


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