67 वर्षीय विधवा को नहीं मिला सरकारी योजनाओं का लाभ
कुंडहित (जामताड़ा) झारखंड निर्माण के बाद 11-11 आदिवासी मुख्यमंत्री बने लेकिन आज भी आदिवा
कुंडहित (जामताड़ा) : झारखंड निर्माण के बाद 11-11 आदिवासी मुख्यमंत्री बने लेकिन आज भी आदिवासी लोगों का समुचित विकास नहीं हो सका। आज भी दर्जनों आदिवासी परिवार पेंशन, आवास एवं खाद्य सुरक्षा योजना के लाभ से वंचित हैं। लोग अधिकारी कर्मचारी के पास जाकर जी हुजुर करते-करते थक गए। जब सरकारी लाभ नहीं मिल पाया तो हार मानकर अपने नसीब को कोश रहे हैं।
ऐसे ही एक कुंडहित पंचायत के सोराकी आदिवासी गावं की 67 वर्षीय विधवा महिला को आज तक एक भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाया। विधवा को न तो विधवा पेंशन और न ही वृद्धापेंशन का लाभ मिला। और न ही खाद्य सुरक्षा योजना के तहत कार्ड बना न ही प्रधानमंत्री आवास का लाभ मिला है। परिवार में बूढ़ी मां के साथ एक जवान बेटी और एक पुत्र को लेकर एक बीचाली व ताड़ की पत्ती के झोपड़ी में जीवन यापन कर रही है। सोमवार को जागरण संवाददाता जब कुंडहित पंचायत के सोराकी गावं के 67 बर्षीय गुलाबी मुर्मू के घर पहुंचे तो देखा कि बूढ़ी विधवा महिला आंगन में खुले आसमान के नीचे मिट्टी के चूल्हा में लकड़ी जलाकर खाना बना रही थी। आंख में धुआं लगने के कारण बूढ़ी महिला आंख पोंछते हुए बताया कि पति मिस्त्री सोरेन के मृत्यु के 22 साल हो गए, लेकिन आज तक विधवा पेंशन भी स्वीकृति नहीं हुआ। जबकि पेंशन के लिए कई बार आवेदन दिया। उन्होंने बताया कि खाद्य सुरक्षा योजना के तहत कार्ड नहीं बनने से उसे राशन भी नहीं मिलता है। राशन नहीं मिलने के कारण परिवार में आर्थिक तंगी रहती है। किसी तरह अनाज जुटा तो घर में खाना बनता है जब अनाज नहीं रहता है तो घर में खाना नहीं बनता गांव में दूसरे के घर में मांगकर खाना खाते हैं। उन्होने बताया कि उसे न तो प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला और न ही एसबीएम के तहत शौचालय का लाभ मिला।
पंचायत में नही चढ़ा था गुलाबी मुर्मू का नाम, सेक डाटा में 2010 के जनगणना के आधार पर जिस परिवार में आवास नहीं है या मिट्टी की छोपड़ी में रहनेवालों को नाम सेक डाटा में चढ़ाने के लिए सर्वे किया गया था। लेकिन सोराकी आदिवासी गावं की 67 बर्षीय गुलाबी मुर्मू का नाम सेक डाटा में नहीं था। जिस कारण आज तक उसे प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला।
कहा गया कि उज्ज्वला योजना प्रधानमंत्री ने गरीब आदिवासी मूलवासी को धुआं से छुटकारा दिलाने के लिए उज्ज्वला योजना के तहत गैस, चूल्हा आदि निश्शुल्क वितरण कर रहे हैं। लेकिन जिस गरीब को जरुरत है उसे आज तक लाभ नहीं मिला। गुलाबी मुर्मू ने आज भी उज्ज्वला योजना के लाभ नहीं मिलने पर लकड़ी के सहारे खाना बनाती है।
क्या कहते हैं मुखिया : कुंडहित पंचायत की मुखिया बिमला हांसदा ने बताया कि गुलाबी मुर्मू का बैंक खाता नहीं रहने के कारण विधवा पेंशन का लाभ नहीं मिल पाया है। जबकि इस वित्तीय वर्ष प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए गुलाबी मुर्मू नाम सूचीबद्ध हो गया है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में गुलाबी मुर्मू को पंचायत की ओर से 10 किलोग्राम चावल दिया गया था।