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तीन लाख किराया देकर 60 प्रवासी महाराष्ट्र से नारायणपुर पहुंचे

संवाद सहयोगी नारायणपुर (जामताड़ा) प्रवासी मजदूरों के विभिन्न राज्यों से घर वापसी का क्रम

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 May 2020 04:36 PM (IST)Updated: Tue, 19 May 2020 06:11 AM (IST)
तीन लाख किराया देकर 60 प्रवासी 
महाराष्ट्र से नारायणपुर  पहुंचे
तीन लाख किराया देकर 60 प्रवासी महाराष्ट्र से नारायणपुर पहुंचे

संवाद सहयोगी, नारायणपुर (जामताड़ा) : प्रवासी मजदूरों के विभिन्न राज्यों से घर वापसी का क्रम जारी है। कोई स्पेशल ट्रेन से, कोई बस से तो कोई ट्रक से अपने घर को पहुंच रहे हैं। जिन्हें जो सुविधा उपलब्ध हो रही है उसी का सहारा लेकर घर पहुंच रहे है। सोमवार की सुबह महाराष्ट्र से 60 प्रवासी मजदूर नारायणपुर पहुंचे। सभी मजदूर नारायणपुर और करमाटांड़ प्रखंड के रहने वाले हैं। सभी लोग काम करने महाराष्ट्र गए थे। प्लस टू उच्च विद्यालय नारायणपुर के क्वारंटाइन सेंटर में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अरविद दास, डॉ. केदार महतो की मेडिकल टीम ने बारी-बारी से सभी मजदूरों के स्वास्थ्य की जांच की। सभी को 14 दिन क्वारंटीन रने को कहा गया है। मौके पर बीडीओ महेश्वर प्रसाद यादव, प्रशांत भैया, मो. अरमान, सीआरपी सोहन कुमार, बीआरपी नसीतूर रब आदि भी उपस्थित थे। नारायणपुर के क्वारंटाइन सेंटर और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नारायणपुर में प्रवासी मजदूरों के स्वास्थ्य की जांच प्रतिदिन हो रही है।

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बड़ी मशक्कत से पहुंचे : महाराष्ट्र से कुल 60 प्रवासी मजदूरों ने 3 लाख रुपये में दो ट्रक बुक किया था। 3 दिन और 3 रात की लंबी यात्रा के बाद ये लोग नारायणपुर पहुंचे हैं। मजदूरों ने बताया कि हाइवे पर राहत शिविर में उन लोगों को भोजन पानी मिलता था। वही खाकर यात्रा कर रहे थे। मजदूरों की माने तो बड़ी मशक्कत से किसी प्रकार वे लोग ट्रक पर सवार होकर अपने घर वापस आए है। घर वापसी पर उनके चेहरों पर सुकून देखते बनता था।

पांच-पांच हजार जमा किए : अपने घर वापस लौटे मो. जमशेद, सुमन कुमार, मो. सरफराज, लालबाबू, मो. अजीज ने कहा कि हम लोग 60 मजदूर थे। सभी मजदूरों ने मिलकर पांच-पांच हजार रुपये एकत्र किया। फिर 3 लाख रुपये ट्रक संचालक को किराया सौंपा।

घंटों करना पड़ा भूखे सफर : मजदूरों ने बताया कि 3 दिन और 3 रात के लंबे सफर के बाद नारायणपुर पहुंचे है। रास्ते में राहत शिविर में हम लोगों को किसी प्रकार भोजन मिल जाता था। कई घंटे तो भूखे ही सफर करना पड़ा। पूर्णबंदी के कारण महाराष्ट्र में रहने में बहुत दिक्कत हो रही थी। राशि भी समाप्त हो रही थी। रोजगार बंद था। कोई उपाय नहीं था इसलिए घर आने के सिवा दूसरा कोई चारा नहीं बचा था। स्थिति सामान्य होने पर हम लोग वापस काम पर लौट जाएंगे। अभी धान की खेती का समय आ रहा है। घर पर रहकर बढि़या से कृषि कार्य करेंगे। वहां हम मजदूरों का कोई सुध लेने वाला भी नहीं था।


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