अस्पताल में भर्ती होने के लिए मां लगी थी लाइन, बेटे की हो गई मौत
मां अपने दिव्यांग बेटे को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए पर्ची कटवाने को लाइन में लगी थी और पर्ची कटने से पूर्व ही बेटा मूर्छित होकर गिर गया और उसकी मौत हो गई।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। सरकारी सिस्टम का बलि चढ़ गया अजय।परसुडीह स्थित सोपोडेरा निवासी अजय प्रसाद (37) की तबीयत बिगडऩे पर उसे एमजीएम अस्पताल लाया गया। लेकिन, परिजन अस्पताल की व्यवस्था से अनजान थे। अजय को इमरजेंसी विभाग ले जाने के बजाए ओपीडी में बैठा दिया गया और मां मीना देवी पर्ची के लिए लाइन में खड़ी हो गई। करीब 15 मिनट वह लाइन में खड़ी रही। पर्ची बना भी नहीं था कि अजय बेहोश होकर गिर गया। इसके बाद कर्मचारियों ने उसे उठाकर इमरजेंसी विभाग ले गए। जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इसके बाद मां अपने जिगर के टुकड़े से लिपट-लिपट कर हो रही थी। वह अस्पताल प्रबंधन पर सवाल खड़ा कर रही थी। बार-बार कह रहीं थी कि उन्हें मालूम होता तो अपने बेटा को सीधे इमरजेंसी विभाग में लेकर जाती। उन्हें किसी के द्वारा जानकारी नहीं मिली। जबकि प्रत्येक हॉस्पिटल में रिसेप्शनिस्ट काउंटर होता है जहां पर मरीज को जाते ही सारी जानकारी तत्काल मिल जाती है। लेकिन एमजीएम अस्पताल में ऐसा नहीं है। रिसेप्शनिस्ट का काउंटर होने से शायद अजय सही समय पर डॉक्टर के पास पहुंच पाता और उसकी जान बच जाती।
दिव्यांग अजय को था फाइलेरिया
अजय पूर्व से फाइलेरिया रोग से ग्रस्त था। लेकिन बीते दो दिन से उसकी सांस तेज गति से चल रही थी। इसे देखते हुए गुरुवार को उसे खासमहल स्थित सदर अस्पताल ले जाया गया। वहां से डॉक्टरों ने एमजीएम अस्पताल रेफर कर दिया। यहां पर भर्ती होने से पूर्व ही उसकी जान चले गई। उसे इलाज नहीं मिल सका। अजय दिव्यांग था, जिसके कारण वह बोलने-चालने में असमर्थ था।
ये कहते अस्पताल के उपाधीक्षक
गंभीर मरीज को सीधे इमरजेंसी विभाग में ले जाने का निर्देश पूर्व में ही दिया जा चुका है। पहले इलाज इसके बाद कागज पर्ची बनने का भी आदेश है। इस मरीज को अगर जानकारी नहीं थी तो किसी से भी पूछती तो उसे लाइन में खड़ा नहीं होना पाता। सीधे इमरजेंसी विभाग में मरीज चले जाता।
- डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी, उपाधीक्षक, एमजीएम।