eco friendly mat: इको फ्रेंडली चटाई से झारखंड की सरकार ने फेर ली आंखें
eco friendly mat. जमशेदपुर शहर और आसपास के महिला समूहों द्वारा बनाए जाने वाली इको फ्रेंडली योग चटाई अपने ही राज्य में उपेक्षित है।
जमशेदपुर, दिलीप कुमार। जमशेदपुर और आसपास के महिला समूहों द्वारा बनाए जाने वाली इको फ्रेंडली योग चटाई अपने ही राज्य में उपेक्षित है। बीते वर्ष जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से संचालित आदिवासी सहकारी विपणन विकास संघ (ट्राईफेड) नामक संस्था की देहरादून यूनिट ने जमशेदपुर की स्वयंसेवी संस्था कला मंदिर द्वारा संचालित सक्षम स्वयंसेवी संस्था फेडरेशन को एक हजार चटाई का ऑर्डर दिया था। इनमें से 250 चटाई योग दिवस के लिए थीं।
पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व योगा दिवस के मौके पर देहरादून में योग किया था। इस वर्ष प्रधानमंत्री राजधानी रांची में विश्व योग दिवस के मौके पर योग करेंगे। योग के लिए अब तक शहर की आदिवासी महिलाओं द्वारा बनाई जाने वाली घास की चटाई का ऑर्डर नहीं मिला है। नदी और तालाब के किनारे उगने वाली गोंधा घास से बनाई जाने वाली योग चटाई पूरी तरह से इको फ्रेंडली और आरामदायक है। उधर, देश के विभिन्न क्षेत्रों की ट्राईफेड यूनिट ने शहर के एसएचजी फेडरेशन को गोंधा घास से बनने वाले पर्दे और चटाई का ऑर्डर दिया है।
ट्राईफेड को तीन हजार पर्दा देगा फेडरेशन
ट्राईफेड ने शहर की सक्षम स्वयंसेवी संस्था फेडरेशन को तीन हजार दरवाजे और तीन हजार खिड़की के लिए घास से बने पर्दे का ऑर्डर दिया है। कला मंदिर के सचिव अमिताभ घोष ने बताया कि फेडरेशन की महिलाएं देहरादून के लिए 130, ऊंटी और शिमला के लिए 100, जयपुर के लिए 250, हैदराबाद के लिए 25 पर्दे बना रही हैं। ये पर्दे 72 इंच लंबे और 48 इंच चौड़े हैं। दरवाजे के पर्दे की कीमत 464 और खिड़की के पर्दे की कीमत 350 रुपये प्रति पीस है। जानुमडीह में बन रहे इको फ्रेंडली पर्दे देश के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ने वाली घास से बनने वाले इको फ्रेंडली चटाई और पर्दे शहर से सटे जानुमडीह में आदिवासी महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे हैं। जानुमडीह की 13 सदस्यीय सुलूक रेया परिवार और 12 सदस्यीय सुलूक रेया संसार नामक महिला समिति की महिलाएं अपनी प्राचीनतम कला को आधुनिक रंग-रूप के साथ उकेर रही हैं। घर के कार्यों से निपटने के बाद महिलाएं घास से चटाई बनाने में जुट जाती हैं।
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