Positive India : लॉकडाउन में केला की खेती से समृद्धि की इबारत लिख रहे साधन Jamshedpur New
Positive India. साधन दास एचसीएल कंपनी में फीटर का काम करते थे। लॉकडाउन में कामकाज बंद हो गया तो खेती नहीं होने से बेजान पड़ी भूमि को ही आबाद कर डाला।
गालूडीह (पूर्वी सिंहभूम), सुजीत सरकार। पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला प्रखंड की हेंदलजुड़ी पंचायत के साधन दास ने लॉकडाउन में नौकरी छूटने के बाद नई राह तलाश ली है। अब वे अन्य किसानों के लिए नजीर बन गए हैं। इन्हें लोग अब डिप्लोमा होल्डर किसान कहते हैं। केले की खेती से समृद्धि की इबारत लिख रहे हैं।
स्नातक पास साधन दास एचसीएल कंपनी में फीटर का काम करते थे। लॉकडाउन में कंपनी बंद होने के बाद पश्चिम बंगाल की केएन वैंल्डिंग ठेका कंपनी भी काम बंदकर चली गई। कुछ दिन बाद परिवार में आर्थिक संकट आ गया। फिर क्या था, हाथ में कुदाल थाम कर साधन दास ने जीने की राह खोज ली। अपनी जमीन पर करीब 12 साल तक खेती नहीं करने से जमीन बेजान पड़ी थी। पर, कुछ कर गुजरने जिद ने उन्हें लगभग एक बीघा भूमि पर उन्नत किस्म के केले की खेती शुरू करने पर आमादा कर दिया।
लॉकडाउन ने खेती का महत्व बता दिया
ओडिशा के बारीपदा से स्नातक पास करने के बाद साधन दास ने वर्ष 2011 में डिप्लोमा किया। पर, सरकारी नौकरी नहीं मिली। इसके बाद ठेका कंपनी में काम करने लगे। कभी खेती की तरफ ध्यान नहीं देने वाले साधन दास को लॉकडाउन ने एक किसान बना दिया। वे लॉकडाउन धन्यवाद देते हुए साधन कहते हैं कि इस समय ने खेती का महत्व याद दिला दिया।
नहर और पोखर बने सहारा
साधन दास ने बताया केला का पौधा जी नाइन टीसू कल्चर प्रजाति का है, जो 11 माह में फल देगा, लेकिन सिंचाई के लिए पानी का सुविधा नहीं थी। डीप बोरिंग के लिए भूमि संरक्षण विभाग को आवेदन दिया है। वर्तमान में नहर व पोखर से पानी की व्यवस्था कर खेती कर रहे हैं।
ये है वरीय वैज्ञाानिक की राय
केला के पौधों में नमी जरूरी, इसलिए टपक सिंचाई का उपयोग किसान को करना चाहिए। तकनीकी जानकारी के लिए किसान को कृषि विभाग से संपर्क करना चाहिए। पानी की व्यवस्था के लिए विभाग मदद करेगा। कृषि को बढ़ावा देना ही इस विभाग का लक्ष्य है।
- डॉ आरती बीना एक्का, वरीय वैज्ञानिक