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मंगल के दंगल में कोहराम मचा रहे हैं छोटे सुल्तान

कदमा स्थित मंगल सिंह अखाड़ा में पांच से 12 साल के नन्हें पहलवानों का उत्साह देख सभी हतप्रभ हैं।

By Edited By: Published: Fri, 25 May 2018 07:57 PM (IST)Updated: Sat, 26 May 2018 11:06 AM (IST)
मंगल के दंगल में कोहराम मचा रहे हैं छोटे सुल्तान
मंगल के दंगल में कोहराम मचा रहे हैं छोटे सुल्तान

जमशेदपुर, जेएनएन। आमिर खान की फिल्म 'दंगल' व सलमान खान की 'सुल्तान' को धन्यवाद कहिए, जिसने कुश्ती को आमजन में अलग पहचान दिलाई, वरना इस खेल को कभी सामान्य खेल की तरह नहीं देखा गया। ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त व साक्षी मल्लिक, फोगट बहनें जैसे पहलवान आज घर-घर में जाने जाते हैं। कदमा स्थित बृज मंगल सिंह अखाड़ा के दंगल में शहर के नन्हें 'सुल्तान' कोहराम मचा रहे हैं।

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गौरतलब है कि मंगल सिंह शहर के नामी-गिरामी पहलवान थे और कभी दारा सिंह को चुनौती दी थी। वैसे तो यहां चल रहे सातवें बृजमंगल सिंह गुर्ज खिताब में देश भर के पहलवान ताल ठोक रहे हैं, लेकिन पांच से 12 साल के नन्हें पहलवानों का उत्साह देख सभी हतप्रभ हैं। फोगट बहनों की राह पर चल रहे 15 वर्षीय अभिजीत, 12 वर्षीय विश्वजीत व सात वर्षीय रौनित को ही ले लीजिए। तीनों भाई हैं और निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं।

बारीडीह के रहने वाले इन बच्चों के पिता जोगेंद्र ठाकुर ऑटो चलाकर अपने बच्चों का पेट भरते हैं, लेकिन इसी आस में पहलवानी सिखा रहे हैं कि कहीं बच्चों का भविष्य बेहतर हो सके। तीनों बच्चे बेल्डीह चर्च में पढ़ते हैं। सबसे बड़ी बात, मां चमेली देवी दिन भर तीनों बच्चों के पीछे भागती रहती है, कुछ खा ले। बड़ा पहलवान बनना हैं तुमलोगों को। लेकिन बच्चे तो बच्चे हैं। कहते हैं, पहलवानी में दांव महत्वपूर्ण होता है। कदमा के गगन चौबे को ही ले लीजिए। पिता संतोष चौबे खुद कुश्ती के कोच हैं।

दस साल के गगन भी पिता की राह पर चल पड़े और रोज शाम दंगल में पसीना बहाते हैं। 12 वर्षीय ऋषि कुमार वर्मा के पिता सत्यनारायण वर्मा लकड़ी के कारीगर हैं, लेकिन अपने बेटे को किसी तरह अच्छा पहलवान बनाना चाहते हैं। ऋषि कहते हैं, वह पेशेवर पहलवान बनना चाहते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करेंगे। ऋषि के भाई विकास राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण जीत चुके हैं। डीबीएमएस कदमा के छात्र 11 वर्षीय आदित्य सिंह अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं, जो कुश्ती में कॅरियर बनाने की जिद्दोजहद कर रहे हैं। आदित्य के पिता सूरज सिंह खुद पहलवान रह चुके हैं। कोच संतोष चौबे बताते हैं, ट्रेनिंग के दौरान छोटे पहलवानों का खास ख्याल रखा जाता है। दो घंटे के प्रशिक्षण सत्र में ढाक, धोबी पछाड़, कला जंग, टांग मारना, बाकरी, जनेऊ पकड़ना जैसे दांव सिखाया जाता है।


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