Navratri : देवी पक्ष के नवरात्र में मां भगवती की आराधना विशेष फलदायी, ये रही पूरी जानकारी
शास्त्रीय मतानुसार देवी पक्ष के नवरात्र में मां भगवती की आराधना विशेष फलदायी सिद्घिप्रद एवं मनोभिलषित फल प्रदायक मानी गयी है।
जमशेदपुर, जेएनएन। पितृपक्ष के उपरांत देवीपक्ष प्रारम्भ होता हैै। देवी पक्ष में आश्विन शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक का अंतराल शारदीय नवरात्र कहलाता है। शास्त्रीय मतानुसार देवी पक्ष के नवरात्र में मां भगवती की आराधना विशेष फलदायी, सिद्घिप्रद एवं मनोभिलषित फल प्रदायक मानी गयी है। इस बार शारदीय नवरात्र रविवार 29 सितंबर से प्रारम्भ होकर सोमवार 7 सितंबर तक रहेगा। विजयादशमी अर्थात दशहरा का पावन पर्व मंगलवार 8 सितंबर को मनाया जाएगा।
इसबार के नवरात्र में किसी भी तिथि की हानि नही है, जिससे यह नवरात्र पूरे 9 दिनों का है। नवरात्र की प्रतिपदा व दशमी तिथि के वार के अनुसार काशी व मिथिला के पंचांगों में इस बार मां दुर्गा का आगमन हाथी पर एवं गमन मुर्गा पर बताया गया है। बंगला पंचांग के अनुसार माता का आगमन हाथी पर तथा प्रस्थान घोड़ा पर दिखाया गया है। माता का हाथी पर आगमन वृष्टि कारक एवं समृद्घिप्रद माना गया है। माता का घोड़ा पर प्रस्थान छत्रभंगकारक, अशांतिदायक एवं अस्थिरताप्रद है। माता का मुर्गा पर प्रस्थान भी अंशत: प्रतिकूल फलप्रद, विकलता प्रद एवं बाधाप्रद हैै। पंडाल पूजन में माता का आगमन सप्तमी तिथि से मानने पर वाहन घोड़ा होगा जो कि छत्रभंग कारी, अशांति दायक एवं अस्थिरता प्रद है।
ये है कलश स्थापन का शुभ मुहूर्त
इसबार 29 सितंबर रविवार को हस्त नक्षत्र एवं ब्रह्म योग में सूर्योदय के उपरांत से लेकर दिनभर कलश स्थापन का शुभ मुहूत्र्त है। अभिजित मुहूत्र्त दिवा 11:36 बजे से दिवा 12:24 बजे तक रहेगा। इसबार की प्रतिपदा तिथि के कलश स्थापन में चित्रा नक्षत्र व वैधृति दोष की बाधा नही है।
इस देवी पक्ष में नवरात्र की तिथियों का समयांतराल
- रविवार 29 सितंबर को प्रतिपदा तिथि रात्रि 10:01 बजे तक उपरांत द्वितीया तिथि लगेगी। इस दिन कलश स्थापन, माता शैलपुत्री का आवाहन, ध्यान व पूजन, दुर्गा सप्तशती का प्रथम पाठ, नवरात्र व्रत प्रारम्भ।
- सोमवार 30 सितंबर को द्वितीया तिथि रात्रि 7:52 बजे तक उपरांत तृतीया का समावेश होगा। इस दिन माता के द्वितीय रुप ब्रह्मचारिणी का आवाहन ध्यान व पूजन, दुर्गा सप्तशती का द्वितीय पाठ, नवरात्र व्रत का दूसरा दिन।
- मंगलवार 1 अक्टूबर को तृतीया तिथि संध्या 5:57 बजे तक उपरांत चतुर्थी तिथि लगेगी। इस दिन माता चन्द्रघंटा का ध्यान व पूजन, दुर्गा सप्तशती का तृतीय पाठ, नवरात्र व्रत का तीसरा दिन।
- बुधवार 2 अक्टूबर चतुर्थी तिथि दिवा 4:21 बजे तक उपरांत पंचमी तिथि लगेगी। इस दिन माता कुष्माण्डा का आवाहन, ध्यान व पूजन, दुर्गा सप्तशती का चतुर्थ पाठ, नवरात्र व्रत का चौथा दिन।
- गुरुवार 3 अक्टूबर को पंचमी तिथि दिवा 3:09 बजे तक उपरांत षष्ठी तिथि लगेगी। इस दिन माता के पंचम स्वरुप स्कन्दमाता का आवाहन ध्यान व पूजन, दुर्गा सप्तशती का पंचम पाठ, नवरात्र व्रत का पांचवां दिन।
- शुक्रवार 4 अक्टूबर को षष्ठी तिथि अपराह्न 2:22 बजे तक उपरांत सप्तमी तिथि लगेगी। इस दिन माता के छठे स्वरुप कात्यायनी का आवाहन ध्यान व पूजन, दुर्गा सप्तशती का छठा पाठ, नवरात्र व्रत का छठा दिन। पंडाल पूजन में दिवा काल में बोधन तथा सायं में माता को आमंत्रण व अधिवास।
- शनिवार 5 अक्टूबर को सप्तमी तिथि अपराह्न 2:03 बजे तक उपरांत अष्टमी तिथि लगेगी। इस दिन माता के सातवें स्वरुप माता कालरात्रि का आवाहन, ध्यान व पूजन, दुर्गा सप्तशती का सप्तम पाठ, नवरात्र व्रत का सातवां दिन। पंडाल में नवपत्रिका प्रवेशन, कोला बोउ एवं महासप्तमी पूजा, मध्य रात्रि में महानिशा पूजा रात्रि 11:02 बजे से रात्रि 11:50 बजे तक।
- रविवार 6 अक्टूबर को अष्टमी तिथि अपराह्न 2:16 बजे तक उपरांत नवमी तिथि लगेगी। इस दिन माता के आठवें स्वरुप माता महागौरी का आवाहन, ध्यान व पूजन, दुर्गा सप्तशती का आठवां पाठ, नवरात्र व्रत का आठवां दिन। महाअष्टमी व्रत, महानवमी व्रत, कन्या पूजन, पंडाल में अष्टमी नवमी के सन्धि काल में सन्धि पूजा।
सोमवार 7 अक्टूबर को नवमी तिथि अपराह्न 3:05 बजे तक उपरांत दशमी तिथि लगेगी। इस दिन माता के नवें रुप सिद्घिदात्री का आवाहन, ध्यान व पूजन, दुर्गा सप्तशती का नवां पाठ, नवरात्र व्रत का नवां दिन। मतांतर से कन्या पूजन, पाठ के उपरांत अपराह्नï 3:05 बजे से पूर्व नवमी तिथि में ही हवन एवं पाठ की पूर्णाहुति। हवन के उपरांत नवमी तिथि में ही नवरात्र व्रत का पारण भी करना शास्त्र सम्मत होगा। पंडाल में महानवमी पूजन, हवन, बलिदान।
- मंगलवार 8 अक्टूबर को दशमी तिथि अपराह्नï 4:18 बजे तक उपरांत एकादशी तिथि लगेगी। विजयादशमी अर्थात दशहरा का पावन पर्व 8 अक्टूबर मंगलवार को मनाया जायेगा। इसी दिन पूजा पंडाल में माता के विसर्जन हेतु पूजन कार्य संपन्न होंगे। शमीपूजन, अपराजिता पूजा, जयंती ग्रहण, नीलकण्ठ दर्शन, विजय यात्रा आदि धर्म कार्य संपन्न होंगे। जगत जननी मां भगवती की कृपा से नवरात्र सभी भक्तों व प्राणियों के लिए कल्याणकारी रहे।
- - पं. रमा शंकर तिवारी, ज्योतिषाचार्य