जानिए, यहां क्यों होती है घोड़ों की पूजा-क्या है मान्यता
गम्हरिया में एक मेला लगता है, जहां घोड़ों की पूजा होती है।
जमशेदपुर, जेएनएन। मकर संक्रांति के दूसरे दिन जमशेदपुर से करीब 15 किलोमीटर दूर गम्हरिया में एक मेला लगता है, जहां घोड़ों की पूजा होती है। टाटा-कांड्रा रोड पर घोड़ा बाबा (बोड़ाम बाबा) मंदिर में भोर चार बजे से ही श्रद्धालुओं का उमड़ना शुरू हो गया है, जो देर शाम तक जारी रहेगा। विशाल मंदिर परिसर के आसपास मेला लगा है, जहां से श्रद्धालु नारियल व केला के साथ मिट्टी का घोड़ा भी खरीद कर चढ़ा रहे हैं।
जानिए, क्या है मान्यता
यह मंदिर कुम्भकार समाज द्वारा संचालित किया जाता है। कुम्भकार या कुम्हार समाज के इस मंदिर का नाम श्री श्री बलराम जीऊ मंदिर है। मकर संक्रांति नई फसल की खुशी में मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण के अग्रज बलराम किसान थे, मिट्टी से जुड़े थे।
इसलिए कुम्हार बलराम जी और उनकी सवारी घोड़ा की पूजा करते हैं। मंदिर परिसर में अलग-अलग स्थान पर सफेद व काले रंग के करीब एक दर्जन घोड़े स्थापित हैं। कुछ श्रद्धालु इन सभी घोड़ों की पूजा करते हैं। श्रद्धालुओं में सभी जाति, वर्ग व समाज के लोग शामिल हैं।
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