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हंगामेदार रही गिदीझोपड़ी में विश्व बैंक की जनसुनवाई

बागबेड़ा जलापूर्ति योजना के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर हुई विश्व बैंक की जनसुनवाई हंगामेदार रही। गांव में इसके लिए सुबह से ही गहमा-गहमी रही। गिदी झोपड़ी के प्राथमिक विद्यालय के पीछे लगे टेंट में गांव के लोग एकत्र थे। लेकिन, यहां वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के समर्थक ग्रामवासियों को नहीं जाने दिया जा रहा था। रास्ते पर तैनात युवक ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की मांग करने वालों को उधर नहीं जाने दे रहे थे। जनसुनवाई में शामिल दर्जनों महिलाओं ने जब वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के समर्थन में बोलना शुरू किया तो उन्हें बाहर जाने को कहा गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 07:00 PM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 07:00 PM (IST)
हंगामेदार रही गिदीझोपड़ी में विश्व बैंक की जनसुनवाई
हंगामेदार रही गिदीझोपड़ी में विश्व बैंक की जनसुनवाई

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : बागबेड़ा जलापूर्ति योजना के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर हुई विश्व बैंक की जनसुनवाई हंगामेदार रही। गांव में इसके लिए सुबह से ही गहमा-गहमी रही। गिदी झोपड़ी के प्राथमिक विद्यालय के पीछे लगे टेंट में गांव के लोग एकत्र थे। जनसुनवाई में शामिल दर्जनों महिलाओं ने जब वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के समर्थन में बोलने नहीं देने पर वहां से उठ कर चली आई। ये महिलाएं विश्व बैंक की टीम के अधिकारियों से भी बात करना चाहती थीं लेकिन, अंग्रेजी नहीं आने की वजह से वो अपनी बात नहीं कह पाई।

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फिजी की इमराना जलाल के नेतृत्व में विश्व बैंक की टीम सुबह सवा 11 बजे गिदी झोपड़ी पहुंची। टीम में जान माटसन, आपरेशंस आफिसर तमारा मिल्सटजैन और रिसर्च असिस्टेंट रुपेस दलाई भी थे। टीम गिदी झोपड़ी के माझी बाबा सुखराम किस्कू ने प्राथमिक विद्यालय गिदी झोपड़ी के पीछे बैठक के लिए टेंट लगाया था। गांव की रेखा ने बताया कि जनसुनवाई के लिए कुछ खास लोगों को बुलाया गया था। इन लोगों को एक दिन पहले ही समझा दिया गया था कि उन्हें विश्व बैंक के अधिकारियों से क्या कहना है। बैठक की शुरुआत में विश्व बैंक के अधिकारियों ने अंग्रेजी में अपने गिदीझोपड़ी आने का मकसद बताया। सभा में सवा सौ के करीब लोग थे। इसके बाद लोगों ने अपनी बात रखनी शुरू की। चार-पांच लोगों ने कहा कि वो गिदीझोपड़ी में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं चाहते। इसके बाद एक महिला ने कहा कि गांव में जल संकट है। इसलिए ट्रीटमेंट प्लांट बनना चाहिए। इसके बाद कई महिलाएं वहां से चली गईं। कुछ महिलाएं बंगाली और ¨हदी में बोल रही थीं, जिसका अनुवाद कर विश्व बैंक के अधिकारियों को नहीं बताया जा रहा था। हंगामे के बाद सभा खत्म कर दी गई। इसके बाद विश्व बैंक के अधिकारियों ने आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में उन बिंदुओं पर चर्चा हुई जिसे लेकर जनजाति के कुछ लोगों को आपत्ति है। विश्व बैंक के अधिकारियों ने एक वृद्धा का बयान नोट किया जिसने उन्हें बताया कि प्रशासन ने महिलाओं पर लाठी चार्ज किया, हमें झूठे मुकदमे में फंसाया और हमारे धर्मस्थल पर प्लांट बना रहे हैं। जनजाति के लोगों ने प्रशासन पर बिना ग्रामसभा की अनुमति के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का आरोप लगाया। विश्व बैंक के अधिकारियों ने शिकायत के एक-एक बिंदु पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है। टीम सोमवार को उपायुक्त अमित कुमार समेत पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधिकारियों से मिलेगी।

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दूर से देखा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट

दो इनोवा कार से आई विश्व बैंक की टीम के अधिकारियों ने गिदीझोपड़ी में बैठक करने के बाद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट देखा। टीम के अधिकारियों ने पहाड़ी के नीचे सड़क से ही वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की तस्वीर अपने मोबाइल से ली। इसके बाद टीम वापस चली गई।

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नहीं सुनी ग्रामीणों की बात

गिदीझोपड़ी और बगल के गांव मध्य घाघीडीह की सैकड़ों महिलाएं पंचायत भवन में विश्व बैंक के अधिकारियों का इंतजार कर रही थीं। लेकिन, टीम के अधिकारियों ने उनकी बात नहीं सुनी। विश्व बैंक की टीम बिना उनकी बात सुने ही चली गई।


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