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नेताजी का साथ, तो अपना विकास

लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों के नाम धीरे-धीरे साफ होने लगे हैं। भाजपा ने तो नाम घोषित कर दिए हैं जबकि महागठबंधन के नाम पर्दे में हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 03:35 PM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 03:35 PM (IST)
नेताजी का साथ, तो अपना विकास
नेताजी का साथ, तो अपना विकास

 जमशेदपुर (वीरेंद्र ओझा)। लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों के नाम धीरे-धीरे साफ होने लगे हैं। भाजपा ने तो नाम घोषित कर दिए हैं, जबकि महागठबंधन के नाम पर्दे में हैं। हालांकि संभावित उम्मीदवारों के नाम हवा में तैर ही रहे हैं। उनके समर्थक अभी से ताल ठोंक रहे हैं कि भाई ऐसा हुआ तो यही जीतेगा। इससे कुछ पार्टटाइमर कार्यकर्ता कम ठेकेदार-बिजनेसमैन उनके कदमों में स्थान पाने को लालायित हो गए हैं। अभी से उनके घर में सुबह से देर रात तक राम-सलाम करने वाले जुटने लगे हैं। उनका कहना है कि चुनाव का कोई ठीक नहीं है, इसलिए पहले से सेटिंग कर लेना ही बुद्धिमानी है। कहीं जीत गया तो काम-धाम तो मिलेगा ना। ‘नेताजी का साथ-अपना विकास’ यही मंत्र हमेशा से काम आता है। इसमें नया क्या है। संबंध बनाने का फायदा ही होता है, नुकसान नहीं होता। हम उनके काम आएंगे, तभी तो वे हमारे काम आएंगे।

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किससे बनाएं दूरी, दुविधा में पड़े धनकुबेरलोकसभा चुनाव धनकुबेरों के लिए सिरदर्द बनकर सामने आ गया है। उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि अब नेताजी और चेले-चमचे माल के लिए दस्तक देने आएंगे। देना तो है ही, लेकिन किसे ज्यादा दें और किसे कम, यह समझने में टेंशन हो रहा है। एक कारोबारी का कहना था कि यहां से कौन-कौन प्रमुख उम्मीदवार होगा। कौन जीतेगा। नहीं-नहीं, किसका जीतने का चांस ज्यादा है। जब मैंने कहा कि आप क्यों टेंशन ले रहे हैं, कोई जीते-कोई हारे, आपको इससे क्या मतलब है। बोला, मतलब है ना भाई। हर कोई चाहता है कि उसका पैसा पानी में न बहे। जिसका जीतने का चांस ज्यादा होगा, उसे थोड़ा अधिक भी दे देंगे, तो गम नहीं रहेगा।

पता चला कि माल कहीं और लुटा दिया और जीत कोई गया, तो अपना नुकसान हो जाएगा ना। समङो कि नहीं। माल मांगने तो सभी आएंगे। उन्हें पार्टी से कितना फंड मिला, यह तो बताएंगे नहीं। साल भर लूटकर रखे हैं, उसका क्या किया, यह सब हिसाब कौन पूछेगा। बताएगा भी नहीं। बस चुनाव के नाम पर माल मांगने चले आएंगे। एकबारगी मना भी नहीं कर सकते, लेकिन यदि पहले से पक्का पता हो तो दांव बेकार नहीं जाएगा, इसी बात का संतोष रहेगा। जब मैंने कहा कि भाई, अभी तो नामांकन भी नहीं हुआ है, कुछ दिन तो आराम से रहो। जब समय आएगा तो सबकुछ सामने आ जाएगा, टेंशन मत लो। 


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