Air India Sale : एयर इंडिया को कौन उड़ाएगा, टाटा या स्पाइसजेट, सरकार टटोल रही वित्तीय व तकनीकी स्थिति
Air India Sale एयर इंडिया कभी टाटा की हुआ करती थी। लेकिन 1953 में केंद्र सरकार ने उसका अधिग्रहण कर लिया। आज वही एयर इंडिया बिकने के कगार पर है और खरीदार टाटा है। केंद्र सरकार यह मंथन कर रही है टाटा व स्पाइसजेट में कौन अधिक मजबूत है।
जमशेदपुर, जासं। एयर इंडिया के अधिग्रहण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। अब सभी इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि इसे कौन उड़ाएगा, टाटा या स्पाइसजेट। यह तो सभी जानते हैं कि इन दोनों का नाम ही एयर इंडिया के नए मालिक में सबसे आगे है।
अंतिम चरण में पहुंची बोली प्रक्रिया
बहरहाल, केंद्र सरकार की बोली प्रक्रिया अंतिम चरण में प्रवेश कर गई है। बताया जाता है कि इसके लिए कई बोलियां प्राप्त करने के बाद सरकार अगले कुछ हफ्तों में अंतिम घोषणा कर देगी। इस बीच नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाल ही में कहा था कि मंत्रालय को वित्तीय और तकनीकी बोलियां मिली हैं, जिसमें फिलहाल तकनीकी बोलियों की जांच की जा रही है। इसके बाद सरकार जल्द ही वित्तीय बोलियां खोलेगी। टाटा समूह और स्पाइसजेट के मालिक अजय सिंह कथित तौर पर एयर इंडिया के संभावित दावेदार हैं। फिर भी सरकार दोनों की वित्तीय व प्रदर्शन का पूरी तरह आकलन करने के बाद उच्चतम बोली लगाने वाले के नाम की घोषणा करेगी।
टाटा समूह की आर्थिक स्थिति स्पाइसजेट से काफी मजबूत
यह अलग बात है कि टाटा समूह के दो एयरलाइन उद्यम विस्तारा और एयरएशिया इंडिया घाटे में हैं, लेकिन अधिग्रहण करने वाली मूल कंपनी के पास बेजोड़ वित्तीय क्षमता है। टाटा समूह के अनुसार वित्त वर्ष 2015 में टाटा कंपनियों का समेकित राजस्व 7.5 लाख करोड़ रुपये था। इसकी तुलना में अजय सिंह का सबसे बड़ा उद्यम स्पाइसजेट ही है, जो जून 2021 तक 3,298.72 करोड़ रुपये के घाटे में था। यही नहीं, स्पाइसजेट पिछले तीन वित्तीय वर्ष से घाटे में चल रहा है।
टाटा पुरानी इकाई में भी जान फूंकने में माहिर
एक रिपोर्ट में मार्टिन कंसल्टिंग के सीईओ मार्क डी मार्टिन ने कहा है कि टाटा समूह पुरानी इकाई में भी जान फूंकने में माहिर है। टाटा समूह ने 114 वर्ष पुरानी टाटा स्टील को जिस कुशलता के साथ इस्पात जगत में अग्रणी बनाए रखा है, उसकी मिसाल नहीं मिलती। इसी तरह वित्तीय स्थिरता और न्यूनतम 25 वर्षों के निवेश पर दीर्घकालिक रिटर्न एयर इंडिया को पुनर्जीवित करने और एयरलाइन को अपने पैरों पर खड़ा होने में टाटा समूह सबसे अच्छे उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सकता है। टाटा समूह आंतरिक रूप से रणनीतिक अंतर्दृष्टि के साथ आता है जो टर्नअराउंड पर ध्यान केंद्रित करता है।
अनुभव में टाटा समूह का सानी नहीं
जहां तक अनुभव की बात है तो इसमें टाटा समूह का कोई सानी नहीं है। हालांकि टाटा और अजय सिंह का एविएशन से जुड़ाव काफी पुराना है। इसके बावजूद टाटा समूह ने 1932 में टाटा एयरलाइंस (तत्कालीन एयर इंडिया) के साथ विमानन में कदम रखा था, जो 1953 में राष्ट्रीयकरण के साथ सरकार के पास चला गया।
1977 तक टाटा एयर इंडिया की ड्राइविंग सीट पर थे। इसने 2014 में एयरएशिया इंडिया के साथ इस क्षेत्र में फिर से प्रवेश किया और कुछ महीने बाद विस्तारा को भी ले लिया। वहीं अजय सिंह 2005 में स्पाइसजेट के सहसंस्थापक होने के बाद 2010 में कलानिधि मारन को एयरलाइन बेच दी थी। हालांकि फिर पांच साल बाद इसे वापस खरीद लिया, जब यह बंद होने के कगार पर पहुंच गई थी।