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Medica Jamshedpur : इलाज को कहां जाएंगे 52 हजार मरीज, एमजीएम-टीएमएच पहले से ही ओवरलोड Jamshedpur News

Medica Hospital Jamshedpur दो दिन पूर्व बेड नहीं मिलने से एक मरीज की हुई थी मौत अब मेडिका भी हो रहा बंद।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Fri, 17 Jul 2020 02:09 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jul 2020 02:09 PM (IST)
Medica Jamshedpur : इलाज को कहां जाएंगे 52 हजार मरीज, एमजीएम-टीएमएच पहले से ही ओवरलोड Jamshedpur News
Medica Jamshedpur : इलाज को कहां जाएंगे 52 हजार मरीज, एमजीएम-टीएमएच पहले से ही ओवरलोड Jamshedpur News

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। बिष्टुपुर स्थित मेडिका अस्पताल में हर साल लगभग 52 हजार मरीज इलाज कराने पहुंचते रहे है। इसमें 47 हजार ओपीडी और पांच हजार इनडोर मरीज शामिल होते हैं। इनडोर में 95 फीसद मरीज गंभीर अवस्था में पहुंचते है, जिन्हें भर्ती करने की जरूरत पड़ती है।

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यह अस्पताल आदित्यपुर स्थित ईएसआइसी व आयुष्मान भारत योजना से भी जुड़ा हुआ है, इसलिए गरीबों के लिए बरदान साबित हो रहा था। लेकिन इसके बंद होने से न सिर्फ जमशेदपुर बल्कि पूरे कोल्हान के मरीजों की परेशानी बढ़ जाएगी।

टीएमएच व एमजीएम पहले से ही चल रहे ओवरलोड

कोल्हान के दो बड़े अस्पताल टीएमएच व एमजीएम पहले से ही ओवरलोड चल रहा है। यहां बेड फुल है। दो दिन पूर्व मनोज मुखी नामक मरीज को टीएमएच अस्पताल में बेड नहीं मिली। इसके बाद ब्रह्मानंद अस्पताल में भी संपर्क किया गया तो वहां भी बेड नहीं मिली। अंत में उसे नेशनल हाइवे स्थित उमा हॉस्पिटल में ले जाया गया, जहां पर उसकी मौत हो गई। मेडिका प्रबंधन की ओर से अगस्त माह से अस्पताल बंद करने की बात कहीं जा रही है। ऐसे में यहां आने वाले लगभग 52 हजार मरीज इलाज कराने कहां जाएंगे। यह बड़ा सवाल है। शहर के दो बड़े अस्पताल टीएमएच व एमजीएम पहले से ही ओवरलोड चल रहा है। यहां रोज हो-हंगामा की स्थिति उत्पन्न होती है। कोरोना जैसे महामारी में मेडिका अस्पताल को बंद सबकी परेशानी बढ़ा सकता है।

 जमशेदपुर को मेडिकल हब बनाने की सपना पर फिर रहा पानी 

मेडिका अस्पताल बंद होने का स्पष्ट कारण अभी तक प्रबंधन की ओर से नहीं बताया  गया है लेकिन, कहा जा रहा है कि बीते एक साल से अस्पताल घाटे में चल रहा था जिसके कारण बंद किया जा रहा है। वर्ष 2014 में पूरी ताम-झाम के साथ मेडिका अस्पताल की शुरुआत की गई थी और जमशेदपुर को मेडिकल हब बनाने का सपना देखा गया था। उसपर अब पानी फिरता दिख रहा है। अचानक से बंद होने की सूचना ने सबको चौंका दिया है। मेडिका अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी आनंद श्रीवास्तव का कहना है की कांतीलाल से एमओयू खत्न होने की वजह से अस्पताल को बंद किया जा रहा है। लेकिन, यह संतुष्ट करने वाला जवाब नहीं है।

 मेडिका में कई गंभीर बीमारियों का होता इलाज 

मेडिका अस्पताल में मेडिसीन, सर्जरी, हृदय रोग, स्त्री एवं प्रसूति रोग, नेत्र रोग, कान-नाक-गला रोग, किडनी, अस्थि रोग, मूत्र रोग, पल्मनोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी, न्यूरोसर्जरी और गैस्ट्रोइंटेरोलॉजी सर्जरी की सुविधा उपब्ध है। वहीं, किडनी मरीजों का डायलिसिस की भी सुविधा है। झारखंड में सबसे पहले मेडिका में ही होल्मियम लेजर की सुविधा भी शुरु की गई थी। इसके अलावा लैमिनर फ्लो और हेपा फिल्टर वाले छह ऑपरेशन थियेटर भी शुरु किया गया था, जहां घुटना एवं कूल्हा प्रत्यारोपण, न्यूरो सर्जरी समेत तमाम तरह की सर्जरी होती है।

 शहर के विशेषज्ञ डॉक्टर देते हैं सेवा 

मेडिका अस्पताल में शहर के कई विशेषज्ञ चिकित्सक सेवा देते हैं। इसमें इंडियन मेडिकल एसोसिशएन (आइएमए) के अध्यक्ष सह इंटरनल मेडिसीन विशेषज्ञ डॉ. उमेश खां, न्यूरोसर्जन डॉ. फतेबहादुर सिंह, डॉ. एन परवेज, चेस्ट फिजिशियन डॉ. तपन कुमार मोहंती, डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. बी. मजूमदार, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. बिमलेंदु कुमार व डॉ. एनके दास, सर्जिकल आंकोलॉजिस्ट डॉ. नीतेश कुमार सिन्हा, नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. दीपक कुमार, डॉ. वाहिद खान, पिडियाट्रिक सर्जन ड़. सौम्या घोष, पल्मनोलॉजिस्ट डॉ. आरके मिश्रा, जनरल सर्जन डॉ. अजीत सरण जंगबहादुर, ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. वरुण चंद्रा सहित अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक सेवा देते है।

 मेडिका में दूसरे दिन भी हड़ताल जारी 

बिष्टुपुर स्थित मेडिका अस्पताल में दूसरे दिन भी सुरक्षाकर्मियों का हड़ताल जारी है। लगभग 50 सुरक्षाकर्मी काम बंद कर मुख्य गेट के समीप बैठे हुए हैं। उनका कहना है कि एजेंसी द्वारा बीते कई माह से उनका पीएफ नहीं जमा किया गया है। बोनस व छुट्टी का भी पैसा बकाया है। सुरक्षाकर्मियों का कहना है कि जबतक उनका बकाया क्लियर नहीं होता जाता तबतक वह हड़ताल पर रहेंगे। मेडिका अस्पताल अगस्त माह से बंद हो जाएगा। फिलहाल यहां सिर्फ पांच मरीज भर्ती है। इधर, एक चिकित्सक ने मेडिका अस्पताल में लाखों रुपये खर्च कर एमआरआ सहित कई सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं। इसके लिए उन्होंने ऋण लिया था। लेकिन, अस्पताल बंद होने से उनका भी पैसा फंस गया है। इसके साथ ही, कई दवा विक्रेताओं का भी पैसा फंस गया है।


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