जब गार्ड को पाच सौ रुपये देकर राहुल गाधी से मिले थे बागुन
सिंहभूम के पूर्व सासद बागुन सुम्बरुई ने एक बार राहुल गांधी से मिलने के लिए गार्ड को 500 रुपया दिया था।
जेएनएन, जमशेदपुर : सिंहभूम के पूर्व सासद बागुन सुम्बरुई ने एक बार यह राज खोला था कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मिलने के लिए उन्होंने एक बार गार्ड को पांच सौ रुपये दिए थे। तब जाकर उनकी राहुल से मुलाकात हो पाई थी।
चाईबासा में आयोजित कांग्रेस के एक चिंतन शिविर में उनके मुंह से यह बात सुनते ही पूरे हाल में सन्नाटा छा गया था।
उस शिविर में वयोवृद्ध काग्रेसी नेता बागुन ने कहा था कि पिछले विधानसभा चुनाव में जब उन्हें पता चला कि गीता कोड़ा काग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ने जा रही हैं, तो उन्हें आश्चर्य हुआ। इसके बाद वे राहुल गाधी से मिलने दिल्ली पहुंच गए। वहा देखा कि राहुल से मिलने वालों की लंबी कतार लगी है। उसमें तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पुत्र भी थे, जो बिना मिले लौटने का मन बना रहे थे। तब उन्होंने दिमाग लगाया और गार्ड को पाच सौ रुपये का नोट थमाते हुए परिचय दिया कि मैं पाच बार सासद और चार बार विधायक रहा हूं। मैं कोई अपराधी नहीं हूं। बस क्या था, नोट थमाते हुए उन्हें अंदर जाने का मौका मिल गया।
बागुन ने कहा था कि राहुल गाधी ने जैसे ही उन्हें देखा, चहक उठे। कहा- आइए बागुन बाबू आइए, क्या बात है? बागुन ने उनसे पूछा आपने चाईबासा से गीता कोड़ा को टिकट दिया है? जब उनका जवाब हा में आया तो उन्होंने पूछा कि आप गीता कोड़ा को जानते हैं? राहुल ने कहा- हा, वह पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी हैं और विधायक भी थीं।
शिविर में कांग्रेस दिग्गज ने कहा था कि यह सुनने के बाद उन्होंने राहुल गांधी से पूछा कि आपको क्या यह मालूम नहीं है कि मधु कोड़ा साढ़े चार हजार करोड़ रुपये के घोटाले में साढ़े चार साल जेल में रहे, उन पर कार्रवाई भी काग्रेस ने ही की। ऐसी महिला को टिकट देंगे तो क्या पार्टी की बदनामी नहीं होगी? बागुन के मुताबिक राहुल ने कहा कि आप जिसे कहेंगे, टिकट दे दूंगा। वे चित्रसेन सिंकू को साथ ले गए थे।
उन्होंने राहुल से कहा कि देखिए इसे टिकट दीजिए, इस पर 107 का भी मुकदमा दर्ज नहीं है। इसकी छवि काफी साफ-सुथरी है। राहुल गाधी ने उनकी बात से आश्वस्त होकर वहा बैठे अधीनस्थों को निर्देश दिया। बस तीन मिनट की मुलाकात में उन्होंने गीता कोड़ा का टिकट कटवा दिया और सिंकू को चाईबासा विधानसभा क्षेत्र के लिए टिकट लेकर लौटे थे। यह कहानी बागुन सुम्बरुई ने बिष्टुपुर स्थित माइकल जॉन आडिटोरियम में हुए कांग्रेस के कार्यक्रम में भी सुनाई थी।