Weekly News Roundup Jamshedpur : ...दो-चार बर्तन ही धो दिया करो,पढ़िए खेल जगत की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur. देख भाई हम तो मछली हो गए हैं हाथ लगाओ डर जाएंगे बाहर निकालो मर जाएंगे।
जमशेदपुर, जितेंद्र सिंह। अदृश्य कोरोना ने सामाजिक दूरी बढ़ा दी। साकची कालिया चौक पर काफी दिनों बाद चार दोस्त ऐसे मिले, मानो भरत मिलाप हो। कोच राजेश सिंह मुक्केबाज कुंदन सिंह से बोलने लगे, देख भाई, हम तो मछली हो गए हैं, हाथ लगाओ डर जाएंगे, बाहर निकालो मर जाएंगे। तभी तपाक से राजेश ने कहा, हां भाई, या तो रहो कुटिया में, वरना रहना पड़ेगा कुटिया में।
तभी बगल में खड़े कार्तिक कहने लगे, मेरी बीवी तो कहती है, बार-बार हाथ धोने से अच्छा है कि सात में दो-चार बर्तन भी धो दिया करो। तभी राजेश कहने लगे, मैंने बीवी से पूछा, मास्क क्यों नहीं पहनी हो। उसने तपाक से कहा, मास्क पहन लिया तो आपको कैसे पता चलेगा कि मैं मुंह फुलाकर घूम रही हूं। कुंदन बोले-यार, हाथ धो रहे हैं तो पैसे की लकीर मिट रही है, ना धोए तो उम्र की लकीर ही मिट जाएगी।
इनकी कत्ल की साजिश तो देखो..
टेल्को के आजाद मार्केट में काफी दिनों के बाद दो क्रिकेटर अभिषेक व रोमी मिले। तभी तीसरा दोस्त संतोष पहुंचा और मास्क हटाकर कस कर छींक दिया। दोनों घबरा गए। तभी अभिषेक ने कहा, कत्ल करने की इसकी साजिश तो देखो, पास से गुजरे तो मास्क हटा के छींक दिया। रोमी ने कहा, मास्क को हिंदी में क्या कहते हैं। सभी चकरा गए। चेहरे पर ज्ञानी के भाव के साथ रोमी ने कहा-नाक मुख संरक्षक जीव जंतु रोधक हवा छानक कपड़ा डोर पट्टी। संतोष ने कहा- एक जगह पार्टी में खाना खाने के लिए मास्क खोल टेबल पर रखा, तभी किसी ने बर्तन समझ कर उसमें मटर-आलू की सब्जी डाल दी...हाय!!! कोरोना...। तभी रोमी ने कहा-अबे, उमंग एक दिन मास्क बांट रहा था। मैंने कहा, भाई खुद भी तो मास्क लगा लो तो उसने फटाक से कहा, फिर फेसबुक पर लोग पहचानेंगे कैसे? कोरोना की जय हो।
लौट के बुद्धू घर को आए...
इंडियन सुपर लीग (आइएसएल) के पदार्पण सीजन में जमशेदपुर एफसी ने इंग्लिश फुटबॉल स्टाइल को अपनाते हुए मैनचेस्टर सिटी के पूर्व कोच स्टीव कॉपेल को टीम की कमान सौंपी थी। रक्षात्मक नीति अपनाते हुए टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया पर प्ले ऑफ तक नहीं पहुंच पाई। टीम प्रबंधन को यह नागवार गुजरा और किसी ने सलाह दी कि अब इंग्लिश नहीं, स्पेनिश फुटबॉल स्टाइल को आजमाया जाए। तुरंत ही एटलेटिको डि मैड्रिड के साथ समझौता किया गया और अगले दो सीजन स्पेनिश कोच सीजर फेरांडो व एंटोनियो इरियांडो ने टीम को संवारा। स्पेनिश स्टाइल टिकी टाका का यह दांव भी फेल हो गया। टीम प्रबंधन का उत्साह औंधे मुंह चित हो गया। अब एक बार फिर से टीम इंग्लिश कोच ओवेन कॉयल की शरण में पहुंच चुका है। टीम प्रबंधन के इस निर्णय पर चेहरे पर व्यंग्यात्मक मुस्कान लिए एक फुटबॉल फैन ने कहा, लौट के बुद्धू घर को आए।
कोच ओवेन ने आपदा को अवसर में बदल दिया
कोरोना काल में आपदा को अवसर में बदलने का ट्रेंड चल गया है। आयरिश कोच ओवेन कॉयल ने जिद की कि उन्हें अगर दो साल के लिए जमशेदपुर एफसी अनुबंधित करती है तो ही वह मेन ऑफ स्टील के जहाज पर चढ़ेंगे। इस आपदा काल में कोच के चुनाव के लिए जमशेदपुर एफसी के पास विकल्पों की कमी थी। मरता क्या न करता। कोच साहब की बात मान ली गई और वह उछलते-कूदते जमशेदपुर पहुंच गए। लेकिन उनके सामने चुनौतियां मुंह बाये खड़ी है। टीम में शामिल स्पेनिश खिलाड़ी एटोर मॉनराय व डेविड ग्रांडे उनकी रणनीति के खांचे में किस तरह बैठ पाते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा। दोनों स्पेनिश खिलाड़ी है और इंग्लिश स्टाइल के फुटबॉल में खुद को परिवर्तित करना उनके लिए भी चुनौती होगी। हालांकि वाल्सकिस को चैन्नइयन एफसी से बुलाकर कोच ओवेन कॉयल ने जेएफसी टीम में संतुलन बैठाने का काम शुरू कर दिया है।