Weekly News Roundup Jamshedpur : दूर-दूर से, अजी दूर-दूर से..., पढ़िए आफ द फील्ड खबरें
Weekly News Roundup Jamshedpur. वैसे तो यह छेड़छाड़ वाला रोमांटिक गीत है मगर इसके मुखड़े के शब्द सुनकर आपको भी लगेगा जैसे कोरोना वायरस के खिलाफ एडवाइजरी जारी की जा रही है।
जमशेदपुर, जितेंद्र सिंह। Weekly News Roundup Jamshedpur भारत के लोग विपत्ति की घड़ी में भी खुशी ढूढने में पीछे नहीं रहते हैं। सोशल मीडिया पर कई तरह के मीम्स बन रहे हैं। अब लता मंगेशकर का गाया 68 साल पुराना एक गीत इंटरनेट पर अचानक से वायरल होने लगा है।
वैसे तो यह छेड़छाड़ वाला रोमांटिक गीत है, मगर इसके मुखड़े के शब्द सुनकर आपको भी लगेगा जैसे कोरोना वायरस के खिलाफ एडवाइजरी जारी की जा रही है। इसमें एक दूसरे से हाथ मिलाने से बचने के लिए कहा जा रहा है। गाने के बोल कुछ यूं है- दूर-दूर से, अजी दूर-दूर से, पास नहीं आइए, हाथ ना लगाइए। लीजिए नजारा दूर-दूर से, कीजिए इशारा दूर-दूर से। यह गाना 1952 में आई फिल्म साकी का है, जिसमें प्रेमनाथ व मधुबाला ने अभिनय किया है। गाना इंटरनेट पर ख़ूब शेयर किया जा रहा है। एक बार यूट्यूब पर इस गाने को सुनिए। सचमुच आपको भी मजा आ जाएगा।
कभी मानव शृंखला, आज शारीरिक दूरी
फिल्म वक्त का गाना सामयिक हो चला है- वक्त की हर शह ग़ुलाम, वक्त का हर शह पे राज...। आज से एक साल पहले लोकसभा चुनाव का दौर था। तब मतदाताओं को जागरूक करने के लिए दैनिक जागरण से लेकर जिला प्रशासन ने कमर कस रखी थी। पूरे राज्य में मानव शृंखला बनाने का बीड़ा उठाया गया था। अधिकारियों से लेकर शिक्षकों तक ने पसीना बहाया था। डिमना रोड से लेकर बिष्टुपुर के पीएम मॉल तक लगभग दस किलोमीटर का मानव शृंखला बनाया गया था। लेकिन, एक साल बाद ही समय का पहिया ऐसा घूमा कि कल तक हाथ मिलाकर एकजुटता प्रदर्शित करने वाले हम सब शारीरिक दूरी का पालन कर रहे हैं। कहते हैं ना, प्रकृति और वक्त के आगे सब बौना है। तभी तो कहा गया है- आदमी को चाहिए वक्त से डर कर रहे। कौन जाने किस घड़ी, वक्त का बदले मिजाज। वक्त से दिन और रात...।
गुरुजी की हो रही ऑनलाइन क्लास
वैश्विक महामारी कोरोना खेल प्रशिक्षकों को भी क्या-क्या दिन दिखा रही। कभी मैदान में दिन बीता करता था, आज एक कमरे में कैद होकर रह गए है। खेल संघों ने भी सोचा कि कहीं ऐसा न हो खिलाडिय़ों की तरह प्रशिक्षकों में भी जंग लग जाए। ऐसे में स्पोट्र्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया से लेकर भारतीय तीरंदाजी संघ ने प्रशिक्षकों की ऑनलाइन क्लास लेनी शुरू कर दी। मानें- बैठे-बैठे क्या करोगे, करना है कुछ काम, शुरू करो क्लास, ले हरि का नाम। कल तक पलंग तोड़ रहे प्रशिक्षक अब नौ बजते जूम क्लाउड मीटिंग से जुड़ जाते हैं। आधा समझ आता है, आधा भगवान भरोसे। साईं तक भी एथलेटिक्स, बास्केटबॉल के प्रशिक्षकों की क्लास ले चुका है। उधर, द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त संजीव सिंह ने भी तीरंदाजी प्रशिक्षकों के अलावा खिलाडिय़ों के लिए ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था की है। गुरुवार को विश्व तीरंदाजी संघ के पास्कल कॉलमेयर ने भी क्लास ली थी।
कितकित की थाप और गोली जीत
सोनारी का सोंथालिया परिवार व्यवसायी हैं। पिछले एक महीने से काराबोर बंद है। सभी एक कमरे में कैद हैं और जब तब एक ही गीत गा रहे हैं- काटे नहीं कटते ये दिन ये रात। घर से बाहर जाना नहीं है। बच्चे परेशान कर रहे सो अलग। मम्मी नीलाद्री ने बच्चों को व्यस्त करने के लिए जुगत भिड़ाई। 10 साल की अनामिका के साथ लगी कितकित खेलने। कित कित के हरेक कदम पर बच्चों जैसी खिलखिलाहट थी। अनामिका भी मम्मी के कदमों को नकल कर आगे बढ़ रही थी। तभी मम्मी का पैर साड़ी में फंसा और धड़ाम से गिर पड़ीं। अनामिका खिलखिला उठी और चिल्लाने लगी, मम्मी ये कितकित अब तुम्हारे वश की बात नहीं। बेचारी नीलाद्री झेंप गईं। उधर पापा राकेश बेटे गर्व के साथ गोली जीत (कांचा) खेल रहे हैं और डींगे भी हांक रहे हैं। तभी अंटुल पर निशाना साध गर्व ने खेल खत्म कर दिया।