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Weekly News Roundup Jamshedpur : दाद की खाज बन गए वरुण, पढि़ए ऑफ द फील्‍ड खबर

Weekly News Roundup Jamshedpur. चयन समिति में उनकी पैरवी इतनी मजबूत है कि कोई भी चयनकर्ता उन्हें टीम से निकालने की हिमाकत नहीं कर सकता।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 01 Feb 2020 09:00 AM (IST)Updated: Sat, 01 Feb 2020 09:00 AM (IST)
Weekly News Roundup Jamshedpur :  दाद की खाज बन गए वरुण, पढि़ए ऑफ द फील्‍ड खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur : दाद की खाज बन गए वरुण, पढि़ए ऑफ द फील्‍ड खबर

जमशेदपुर, जितेंद्र सिंह। Weekly News Roundup Jamshedpur झारखंड रणजी टीम का बुरा हाल है। टीम को इस गर्त तक पहुंचाने में किसी शख्स का नाम आता है तो वे हैं वरुण आरोन। वे झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व सचिव राजेश वर्मा के चहेता हैं।

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गत पांच सीजन के रिकॉर्ड उठाकर देख लें तो पता चल जाएगा कि किसी भी सीजन में पूरा मैच नहीं खेला। वर्तमान सीजन की बात की जाए तो उन्होंने सिर्फ  तीन मैच ही खेले और चार ही विकेट चटकाए। झारखंड के विकेट लेने वालों की सूची में उनका स्थान 10वां है। चयन समिति में उनकी पैरवी इतनी मजबूत है कि कोई भी चयनकर्ता उन्हें टीम से निकालने की हिमाकत नहीं कर सकता। आखिर बिग बॉस का वरदहस्त हासिल जो है। उनकी टीम के साथियों ने ही उन्हें दाद की खाज कहना शुरू कर दिया है। अब सवाल उठता है कि आखिर टीम झारखंड वरुण आरोन को कब तक इसी तरह ढोती रहेगी।

 जमशेदपुर एफसी पर प्रबंधन की कुदृष्टि

जमशेदपुर एफसी आजकल धर्मसंकट से गुजर रहा है। इंडियन सुपर लीग में खराब प्रदर्शन करने के बाद प्रबंधन ने आला अधिकारियों पर नजर टेढ़ी कर ली है। हालात यह है कि अभी तक शीर्ष अधिकारियों के अनुबंध को पुन: विस्तारित नहीं किया गया है। ऐसे में जेएफसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुकुल विनायक चौधरी समेत अन्य अधिकारियों की धड़कनें तेज हो गई हैं। दो फरवरी को होने वाले मुकाबले से ज्यादा उन्हें अपने भविष्य की चिंता सता रही है। जेआरडी टाटा स्पोट्र्स काम्प्लेक्स स्थित जमशेदपुर एफसी के कार्यालय में मनहूसियत छाई हुई है। शीर्ष से लेकर निचले स्तर के कर्मचारियों के चेहरे लटके हुए हैं। कोई अभी से ही दूसरा ठौर ढूंढने के लिए दूसरे क्लब से संपर्क साधे हुए है, तो कोई इस आशा में है कि जगह खाली होगा तो प्रमोशन मिलेगा। इसके लिए कर्मचारी अभी से सपने देखने लगे हैं। वैसे सपना देखने का हक सबको है।

तो बरमूडा ट्रायंगल में फंसा जेएससीए

वैसे तो झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन (जेएससीए) व विवादों का पुराना नाता है, लेकिन राज्य का निजाम बदलने के साथ ही संघ की चाल भी बदल गई है। कभी पूर्व सीएम रघुवर दास की जीहुजूरी करने वाले पदाधिकारी अब हेमंत सोरेन के आगे पीछे करने लगे हैं। आखिर मजबूरी जो ठहरी। पदाधिकारियों को यह डर है कि कहीं नए निजाम ने फाइल खोल दी तो कईयों की कलई खुल जाएगी। गर्दन भी फंस सकती है। जेएससीए स्टेडियम, विधानसभा भवन व उच्च न्यायालय भवन भौगोलिक दृष्टि से त्रिकोण बनाते हैं। इन तीनों भवनों का निर्माण राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन ने किया है, और तीनों पर कोर्ट में घोटाले को लेकर जनहित याचिका दायर है। जब यही बात संघ से निष्कासित सुनील सिंह से पूछा गया तो उन्होंने दो टूक कहा कि बरमूडा ट्रायंगल में जो फंसा वह गया काम से। देर सबेर घोटालेबाजों का यही हाल होगा। निजाम भी नहीं बचाएगी।

फिर कुंदन को कोच बना दो...

चालू सीजन में जमशेदपुर एफसी का बहुत बुरा हाल है। इसी सीजन की बात करें तो मेन ऑफ  स्टील ने जेएफ सी के इतिहास में सबसे शर्मनाक हार दर्ज की। चेन्नई सिटी एफसी ने इसे 4-1 से पराजित कर दिया। स्पेनिश कोच अंटोनियो इरिएंडो यह मानने को तैयार नहीं कि उन्होंने टीम की बुरी गत कर दी है। टीम के इस हाल से सबसे ज्यादा आहत हैं उनके फैंस। सोशल मीडिया पर फैंस कोच पर भड़ास निकाल रहे हैं। कोई उन्हें जल्दी भगाने को कह रहा है, तो कोई ग्रासरूट कोच कुंदन चंद्रा को ही टीम की कमान देने की बात कर रह है। तिरी को टीम की दीवार कहा जाता है। वह सचमुच में दीवार हैं। पहली बार उनकी अनुपस्थिति में टीम चेन्नइयन एफसी के खिलाफ मैदान पर उतरी और 4-1 से शर्मनाक हार दर्ज कर वापस लौट गई। इस सीजन में तिरी का मैदान पर वापसी मुश्किल है।


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